शायद आप परिचित न हो
रवींद्र जी एक बहुत ही उम्दा
प्रूफ रीडर भी है।
सदा स्वस्थ रहे,प्रसन्न रहें और
अपनी लेखनी से खूब यशस्वी हों।
पढ़िए इनकी एक रचना
अश्क का रूपहला धुआँ
बीते वक़्त की
एक मौज लौट आयी,
आपकी हथेलियों पर रची
हिना फिर खिलखिलाई।
मेरे हाथ पर
अपनी हथेली रखकर
दिखाये थे
हिना के ख़ूबसूरत रंग,
बज उठा था
ह्रदय में
अरमानों का जलतरंग।
★
चलिए अब आज के विशेषांक
की ओर बढ़ते हैं।
आज हमक़दम ने एक वर्ष पूरा कर लिया है।
आप सभी के बहुमूल्य सहयोग से
देखते-देखते यह साल कैसे
उड़ गया पता ही न चला।
तो सबसे पहले अवलोकन करते हैं-
हमक़दम के पहले अंक का
★
"सब"
शब्द का ज़िक्र होते ही
सबसे पहले
स्कूल में पढ़ी एक कविता
याद आ गयी।
मुझे लगा इस कविता के बिना यह अंक
अधूरा है।
आपने भी पढ़ा होगा शायद-
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
★★★
"सब" पर हमारे प्रिय रचनाकारों
की लेखनी ने खूब रंग बिखेरे है।
चलिए आप भी सरस
साहित्य सुधा का पान करिये।
★★★
सर्वप्रथम पढ़िये
सब के उदाहरणार्थ रखी रचना
आदरणीय~यशवन्त यश जी
सबके बारे में
धारणा बनाने का ......
सबको हक है
अपने हिसाब से
चलने का ........
बधाई संदेश
पहली वर्षगाँठ पर बधाई
आज सब को हो आनंद बधाई
घडी हमकदम के सालगिरह की आई
कितना सुंदर साथ हमारा
प्यारा प्यारा न्यारा न्यारा
कितने नये मित्र मिले
मिली नई धाराएं
सब मिल एक सागर में
कितने रत्न समाये
आओ मिल सब करें आचमन
भोर की लाली लाई
आदित्य आगमन की बधाई
रवि लाया एक नई किरण
संजोये जो,सपने सब हो पूरण
पा जायें सच में नवजीवन
उत्साह की सुनहरी धूप का उजास
भर दे सब के जीवन में उल्लास ।
पूर्णय प्रकाश, रहा अनादि तम
सृष्टि सृजन शिशिकिरण ,सुख - इंगित
वृक्ष लता में गूँथे प्रीत दृश्य यही सब ओर.. . ...
जब रहें सब
एक जुट हो कर
सब सिमट कर|
सब में है इतनी शक्ति
सभी भय खाते उससे
अकेले यदि होते
चक्रव्यूह में फँस निकल नहीं पाते
दुनिया से नहीं डरेंगे हम
सामना डट कर करेंगे हम |
अपनी बातें सही ढंग से
सबके सामने रखेंगे हम
हमारी गलती यदि हुई
स्वीकार करेंगे हम |
चार पाँच शहरों का दौरा हुआ
चार पाँच शहरों के
थोड़े-थोड़े हिस्से चमक गए
समझ लीजिये कि समूचे प्रदेश के
सब हिस्से चमक गए और
स्वच्छ भारत का सपना भी
जैसे पूर्णत: साकार हो गया !
सिर्फ समझना ही तो है
समझ लीजिये ना
इसमें हर्ज़ ही क्या है
कितना दुष्कर है ये प्रयास।
कहां पूरी होती है सबकी आस,
लगाते रहते हैं बस कयास।
'सब' में निहित 'विश्वबंधुत्व' का भाव,
जिसका दिखता है सदा अभाव।
सर्वत्र व्याप्त है भेदभाव,
एक रोज़ पत्थर पिघलेगे सितारे बरसेगे
कह दे उनसे जाकर ए मन,
उम्मीद ना जगाए इस तरह आँखों में कोई,
टूटते हैं उम्मीद जब, टूटती हैं साँसे कई,
आस टूटते हैं हृदय के, आवाज होती नहीं,
चीखते है सन्नाटे, बुझ रहे हैं अब आस के दिए,
तारे कहते ; गीत सुनाओ सबको मस्ती वाला।
देना सीखो ये ही तो है प्रकृति का सन्देश !
हवा महक कर बोली;"मैं तो घूमी सब देश"।।
अनुराग बन्ध में सिमटी मैं
यूँ ही पल- पल जीना चाहूं ,
सपन- वपन कर डगर पे साथी -
संग तुम्हारे चलना चाहूं ;
तेरे प्यार से हुए हैं जगमग -
ये नैनों के दीप मेरे !!
नाम तुम्हारे हर शब्द मेरे
तुम्हे समर्पित सब गीत मेरे !!!!!!!!!
लिख देने
की कोशिश
करने में
आपदा भी
आ सकती है
"सब" के स्थान "स्वयं" को प्रमुखता दिया गया। लोकतंत्र में एक नहीं
सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।अपने यहाँ तो एक राजनैतिक दल का यह जुमला भी बीते चुनाव में खूब सुर्खियों में रहा कि सबका साथ , सबका विकास। लेकिन यदि हम अपनी बातों पर खरे नहीं उतरेंगे , किन्हीं कारणों से अपने विकास को महत्व देंगे , तो सबका साथ छुटने लगता है। गत माह कुछ राज्यों में सम्पन्न विधान सभा चुनाव परिणाम
एक बार फिर से हमें यह संदेश दे गया। देश, समाज और परिवार का
जो भी मुखिया है, वह अपने पद पर तभी तक है, जब तक सबको
साथ रखता है, सबके लिये सोचता है।
पाठकों का हार्दिक धन्यवाद।
हमक़दम के हर क़दम में
आपका साथ और सहयोग रहा।
आपके बहुमूल्य साथ आगे भी ज़ारी रहेगा
ऐसी आशा करते हैं।
★
आप सभी के द्वारा सृजित
आज यह विशेषांक कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य शुभकामनाएँ और सुझावों
की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के अगले अंक के विषय में
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।
-श्वेता सिन्हा
हर कदम का साल गिरह विशेषांक को बेहद सुंदर तरीके से सजा संवार कर आपने प्रस्तुत किया है, श्वेता जी और इसमें मेरे विचारों को भी स्थान दिया है, अतः मैं हृदय से आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी को जन्मदिन की अनेक शुभकामनाएँ।
सभी रचनाकारों को सुबह का प्रणाम।
हर- क़दम
जवाब देंहटाएंके माध्यम से जो विषय रखें जाते हैं, उससे हमें एक चिन्तन शक्ति भी प्राप्त होती है। किसी भी विषय को विभिन्न दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलता है। यह बड़ी बात है कि इस विषय के माध्यम से हम अपने विचारों को विस्तार और दिशा देते हैं। यह चिन्तन स्वयं से बाहर निकल सबके लिये होती है।
सर्व प्रथम हमारे प्रिय चर्चाकार भाई रवीन्द्र जी को अशेष शुभकामनाएँ उनके जन्मदिन पर..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ सखी को इस बेहतरीन अंक के लिए...
साधुवाद.
सादर...
शुभ-प्रभात
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷।
हमकदम की यात्रा अनवरत चलती रहे। हमकदम से जुड़कर ही आप जैसे विद्वजनों
का सान्निध्य प्राप्त हुआ।आज का अंक बहुत
गहन विचार प्रस्तुत करता हुआ। बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति। सभी आदरणीय
रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार श्वेता जी।
सर्वप्रथम आदरणीय रवीन्द्र जी को जन्मदिन की बधाइयाँ और हलचल से जुड़े सभी माननीय लेखको, पाठकों व सम्पादकों को मकर संक्रान्ति की शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंआदरणीया श्वेता जी को उनकी सम्पादकीय दक्षता हेतु विशेष बधाई । जिस लगन से उन्होने यह जिम्मेदारी निभाई है वह वाकई सराहनीय है।
इस वार्षिक अंक हेतु पुनः बधाई । शुभ प्रभात ... सफल प्रभात।
शुभ प्रभात आदरणीय श्वेता जी
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आदरणीय रवींद्र जी को उनके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
"सब " में सजी हमक़दम की सभी की बेहतरीन रचनाएँ ,
हलचल परिवार और सभी रचनाकारों को मकर संक्रान्ति की शुभकामनायें ।
ह्रदय तल से आभार मेरी रचना को हमक़दम में स्थान देने के लिए
सादर
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंहम-क़दम का एक वर्ष...
हमारे उद्देश्य को सफल करता नज़र आ रहा है
मुख्य उद्देश्य यह है कि एक ही विषय पर रचनाएँ एक ही जगह पर किसी विशेष कार्य हेतु आसानी से उपलब्ध हो जाए...हम सफल हुए...आभार आप सब को..
आज का अंक एक बेहतरीन अंक है....
भाई रवीन्द्र जी को उनके जन्म दिवस पर अशेष शुभकामनाएँ..
सादर...
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी को जन्मदिन की बधाइयाँ और हलचल को भी प्रथम जन्मदिन पर ढेरो बधाइयां।आप लोगों के अथक प्रयासों से ही ये संभव हो पाया हैं।स्वेता जी की संपादकीय लगन भी बेमिसाल हैं।वार्षिक अंक की रचनाये भी सर्व श्रेष्ठ हैं।हमें भी स्थान देने के लिये,आभार।
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंहम-कदम का सफल और लोकप्रिय एक वर्ष ..., बहुत बहुत बधाई ! आज के विशेषांक मे मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार । सभी को मकर संक्रांति की शुभ कामनाएँ।
रविंद्र जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
रवीन्द्र जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहम-कदम का सफल और लोकप्रिय एक वर्ष पूरा होने की बेहद खुशी है..... असीम शुभकामनाएं
उम्दा संकलन
आज मकर संक्रांति के शुभ दिवस पर हृदय प्रिय रविन्द्र भईया को जन्मदिन की ढ़ेर सारी शुमकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी दो रचनाएं शामिल करने के लिए |एक साथ एक ही विषय पर रचनाएं पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है |उम्दा संकलन |
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आदरणीय रवींद्र जी को उनके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं"सब " से सजी हमक़दम की बेहतरीन रचनाएँ..
एक वर्ष की असीम शुभकामनाएँँ..
धन्यवाद।
सर्वप्रथम रवीन्द्र जी को जन्मदिवस की अनंत अशेष शुभकामनाएं ! खूब यशस्वी हों सफलता के सभी सोपान चढ़ शिखर पर पहुंचें और अपनी सकारात्मक ऊर्जा से सबको जागृत एवं सचेत करते रहें यही मंगलकामना है ! आज के अंक की सभी रचनाएं अनमोल ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! हमकदम को भी अपनी वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी को उनके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ....बेहद सुंदर विशेषांक
जवाब देंहटाएंहमकदम का सफल एक वर्ष। बधाई और शुभकामनाएं हलचल के चर्चाकारों के लिये। रवींद्र जी का जन्मदिन आज के दिन सोने पर सुहागा हो गया उनके लिये ढेर सारी शुभकामनाएं। आभार 'उलूक' का श्वेता जी हमकदम के आज के पन्ने में जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम रविन्द्र जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसाथ ही हमकदम का एक सफलवर्ष पूर्ण होने पर सभी को बधाई । श्वेता ,आप सभी चर्चा्कारों की मेहनत का परिणाम है ..।आज का अंक लाजवाब है
भषा प्रेमी उत्कृष्ट लेखनीकार रविंद्र सिंह यादव जी को उनके जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं"सब" विषय पर उत्कृष्ट रचनाऐं "सब "संकलन प्रशंसनीय "सब" रचनाकारों को बधाई।
श्वेता जी को विशेष मेहनत और शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई। उनकी कर्म के प्रति निष्ठा सराहनीय, शानदार लेखनी और समय परक विषयों पर अतुलनीय जानकरी युक्त संभाषण और भुमिकाऐं सभी कुछ प्रशंसनीय।
मेरी दो रचनाओं को शामिल करने हेतु हृदय तल से आभार।
सब पर प्रसाद जी की ये कविता प्रासंगिक रहेगी।
सब जीवन बीता जाता है – जयशंकर प्रसाद
सब जीवन बीता जाता है
धूप छाँह के खेल सदॄश
सब जीवन बीता जाता है
समय भागता है प्रतिक्षण में,
नव-अतीत के तुषार-कण में,
हमें लगा कर भविष्य-रण में,
आप कहाँ छिप जाता है
सब जीवन बीता जाता है
बुल्ले, नहर, हवा के झोंके,
मेघ और बिजली के टोंके,
किसका साहस है कुछ रोके,
जीवन का वह नाता है
सब जीवन बीता जाता है
वंशी को बस बज जाने दो,
मीठी मीड़ों को आने दो,
आँख बंद करके गाने दो
जो कुछ हमको आता है
सब जीवन बीता जाता है.
हमेशा की तरह बेहतरीन संकलन स्वेता जी ,आदरणीय रवींद्र जी को उनके जन्म दिवस की हार्दिक बधाई ,और आप सभी को मकरसक्रांति की ढेरो शुबकामनाएं
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। "हम-क़दम" का एक वर्ष पूरा होने पर सभी रचनाकारों एवं चर्चाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। आज के अंक में "सब" पर विभिन्न दृष्टिकोण चिंतन की स्वस्थ परम्परा को प्रदर्शित कर रहे हैं। "पाँच लिंकों का आनन्द" पर अपने जन्म दिन की शुभकामनाएँ पाकर आल्हादित हूँ। आप सभी रचनाकारों,पाठकों एवं चर्चाकारों का सादर आभार।
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता -- मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सभी के लिए मंगल कामना --
जवाब देंहटाएंसर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामया -
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माँ कश्चित दुखभाग् भवेत्!!!!!!!!
आज का अंक दो -दो वर्ष गांठ के कारण अति विशेष और आह्लादित करने वाला है | हमारे प्रिय रविन्द्र जी का जन्म दिन और हमकदम की पहली सालगिरह -- दोनों ही अवसर पर''सब '' का शुभ चिंतन बहुतही प्रेरक है | जब ये विषय पढ़ा तो चिंतन शक्ति शून्य सी हो गयी - पर जब गूगल प्लस पर सबकी लिखी रचनाएँ पढ़ी तो बहुत ख़ुशी हुई | ''सब '' पर सब रचनाकारों ने बहुत उम्दा सृजन किया |रविन्द्र जी को जन्म दिन पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें |उनका यश साहित्य में और बुलंद हो और सपरिवार सकुशल रहें यही कामना है | मेरा सौभाग्य कि ब्लॉग जगत पर जुड़ने के बाद जिन समर्पित साहित्य साधकों से परिचय हुआ उनमें रविन्द्र जी भी हैं शामिल हैं -- जिनकी प्रूफ रीडिंग में महारत का आभास मुझे तभी हो गया था जब शब्द नगरी में मेरे डैशबोर्ड पर मेरे परिचय में पहले ही दिन एक गलती पकड ली थी और मुझे इस के बारे में बता कर अपनी शालीनता का परिचय दिया था | वे एक पाठक क रूप में अत्यंत उत्साही और मनोबल बढाने वाले हैं | और इनका लेखन ब्लॉग जगत में अपनी पहचान आप है और साहित्य के लिए समर्पित होने के साथ सहयोगियों के लिए बहुत प्रेरक हैं |
श्वेता तुम्हारी तारीफ करना चाहूंगी तुमने रविन्द्र जी की बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना का चयन किया है | उनकी रचना यें यूँ तो सभी अच्छी हैं पर '' आँखें ' और '' अश्क का रुपहला धुआं '' मुझे सबसे ज्यादा बहुत पसंद हैं | रविन्द्र जी को एक बार फिर शुभकामना के साथ पञ्च लिंकों के सभी चर्चाकारों को '' हमकदम '' की संकल्पना और इसे बहुत ही उत्साह और समर्पण के साथ संचालित करने के लिए बहुत बहुत बधाई देती हूँ | शशि भाई ने सच लिखा -- एक विषय देकर हमकदम उस पर चिंतन करने का मौक़ा देता है | और हमकदम के सभी विषयो पर अत्यंत उत्तम सृजन हुआ है | यदि मैं गलत नहीं तो इन विषयों पर अधिकतर योगदान हमारी विदूषी बहनों ने दिया है | कामना हैकि हमकदम की ये महफ़िलें यूँ ही रौनकों से भरी साहित्य सृजन में अपना अतुलनीय योगदान देती रहे | आज की प्रस्तुति में शामिल सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनायें और प्रिय कुसुम बहन की मनमोहक टिप्पणी ने मन मोह लिया |
मेरी पुरानी रचना को शामिल करने के लिए आभारी हूँ | मुझे लगा था मैं इस विषय पर लिख नहीं पाऊँगी | पर ये रचना मुझे याद ही नहीं रही थी | तुमने याद रखा -- बहुत अच्छा लगा जिसके लिए आभार नहीं बस मेरा प्यार -- और मेरे कुछ शब्द -- क्योकि मुझे भी लोहड़ी पर लेखन से जुड़े पुरे दो साल हो गए हैं |
ना होते सब दिन एक सुनों--
कभी दिवस बड़े -- कभी रैन बड़ी ,
कभी होते दोनों सम एक सुनो '
प्रीत की रीत से जग चलता -
है नफ़रत छोटी और प्यार बड़ा -
बसता हर मुस्कान में जो -
मानवता काहै आधार बड़ा
कभी अश्रु बनकर बह जाते -
इन भावो के अतिरेक सुनो
कभी धूप हुई -
कभी छाँव हुई -
यूँ ही पल- पल घटते -
इस जीवन की शाम हुई -
बीता पल लौट नहीं आ पाता -
फिसला ज्यों हाथ से रेत सुनो !!!!!!!!!
सस्नेह ------------------------------------------
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आदरणीया रेणु जी सादर आभार।
हटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएं'हमकदम' टीम को ढेरो बधाईयाँ...
सुंदर प्रस्तुती
बेहतरीन अंक
हमारे हमकदम रवीन्द्र जी को वर्षगांठ की बधाई। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविन्द्र जी को कल के जन्मदिन की बधाई आज देना चाहती हूँ समयाभाव के कारण कल बिना प्रतिक्रिया के ही बीत गया ...
जवाब देंहटाएंसभी लिंको की रचना एं एक से बढकर एक थी...सभी रचनकारों को हार्दिक बधाई...
मेरी पुरानी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद... ।
प्रतिक्रिया एक दिन बाद के लिए माफी भी क्या माँगू मैं तो ज्यादातर लेट ही रहती हूँ....फिर भी माफी तो चाहती ही हूँ...
कृपया भविष्य में मेरी किसी भी पोस्ट का लिंक यहाँ साझा न करें।
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