सादर अभिवादन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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रविवार, 30 जून 2024
4172..लोगन के जम्मो मन के मइल धोवा जावय
शनिवार, 29 जून 2024
4171.."बचपन बचाओ" के नारों से बेख़बर
सादर अभिवादन
शुक्रवार, 28 जून 2024
4170...तुमसे कहना है कुछ...
नशा मुक्त भारत अभियान एक प्रमुख राष्ट्र निर्माण पहल है क्योंकि यह स्वस्थ और अनुशासित युवाओं पर केंद्रित है।
प्रति वर्ष २६ जून को मनाया जाने वाला एक विशेष दिवस
जिसमें एनएमबीए नारकोटिक्स ब्यूरो, राज्य और जिला सरकार, पुलिस, गैर सरकारी संगठनों, अस्पतालों आदि जैसी नियामक एजेंसियाँ एक साथ मिलकर भारत को नशा मुक्त बनाने के लिए समन्वित तरीके से काम करती हैं।
सबसे दुखद और.दुर्भाग्य पूर्ण है नशा के मोहपाश में उलझते किशोर और युवाओं की बढ़ती संख्या।
फुटपाथ, मंदिर की सीढ़ियों,
गंदे नालों के किनारे
फटे,मैले टाट ओढ़े निढाल
सिकुड़े बेसुध सो जाते हैं
डेंडराइट के नशे में चूर।
किसी भी फोटोग्राफी प्रतियोगिता के लिए
सर्वश्रेष्ठ चेहरे बनते
अखबार और टेलीविजन पर
दिए जाने वाले
"बचपन बचाओ" के नारों से बेख़बर,
कचरे में अपनी ज़िंदगी तलाशते
मासूमों को देखकर,
बेचैन होकर कहती हूँ ख़ुद से
गंदगी की परत चढ़ी
इनके कोमल जीवन के कैनवास पर
मिटाकर मैले रंगों को
भरकर ख़ुशियों के चटकीले रंग
काश! किसी दिन बना पाऊँ मैं
इनकी ख़ूबसूरत तस्वीर।
"पार लग गए ! अब कोई चिंता नहीं!
बारिश ने सब काम कर दिया!"
माई बाप खुश हैं
"सबके लिए,
कितना कुछ लाती हैं ,
जब भी आती हैं ।"
माथे पर मिट्टी लगा,पूज रहे हैं लोग।
वीरों के लहु से सनी,सहती वीर वियोग॥
पाषाण
छैनी ले पाषाण में,गढते दिव्य स्वरूप।
देख उसे फिर पूजते,सभी रंक अरु भूप॥
ऐसी ही सोचों वाली हेलेन एडम्स केलर हमेशा इस बात को प्रमुखता देती रहीं, कि इस महान दुनिया में हर जगह घर जैसा महसूस करने का अधिकार सभी को मिलना चाहिए। उन्होंने महिलाओं और विकलांगों के यथोचित अधिकारों के लिए कई-कई बार विश्व भ्रमण किया था। विश्व भ्रमण के दौरान विकलांग व्यक्तियों के प्रति समाज के बीच एक सहानुभूतिपूर्ण या .. यूँ कहें कि .. समानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण बनाने के प्रयास के साथ ही दानस्वरूप मिले एकत्रित करोड़ों रुपयों से विकलांगो के लिए, विशेष कर नेत्रहीनों के लिए अनेक संस्थानों का निर्माण भी करवाया था।
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गुरुवार, 27 जून 2024
4169...किंतु वह प्रेम तो निकला रेगिस्तानी
शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ. मिस शरद सिंह की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-
प्यारी प्रियतमा
पहने पीत परिधान
पहुँचे पवित्र प्रकोष्ठ
पूजे परम पूज्य
प्राण प्रतिष्ठित पावन प्रतिमा
*****
कविता | प्रेम का पुण्य-स्मरण | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
किंतु वह प्रेम
तो निकला
रेगिस्तानी
रेत के टीले
की तरह
एक आंधी में
बदल गया
उसका ठिया
प्रेम श्रद्धा और विश्वास है
किसी को कुछ देने की आस है
हज़ार ख़ुशियों के फूल उगाने वाली बेल है
प्रेम बना देता हर आपद को खेल है
इसकी एक किरण भी उतर जाये मन में
बिखेर देना किसी महादानी की तरह
प्रेम में होना ही तो होना है
यही बीज दिन-रात मनु को बोना है!
*****
रुष्ट हो जलता है भानु
मेघ भी अब तिलमिलाए
पीर मन की ये सुनाएं ...!
*****
पढ़ाया लिखाया उसे
निपुण बनाया घर के काम काज में
छोटे बड़ों का आदर भी
करना सिखाया उसे
सिखाया जिंदगी जीने का हुनर भी
बना दिया लाडली को सर्वगुण सम्पन्न
*****
बुधवार, 26 जून 2024
4168..न तुम जीते,न हम हारे
।।प्रातःवंदन।।
भले न दे सको सान्त्वना
मैं दुख पर पा सकूँ जय.."
रवीन्द्रनाथ टैगोर
✨️
अल्फाजों के मेरे छुआ लबों ने जब तेरे मिल गये सब धाम l
अंतस फासले सिरहाने पाकीजा अंकुश सिमट गये सब ध्यान l
युग युगांतर साधना महकी जिस सुन्दर क्षितिज सागर समर समाय l
नव यौवन लावण्य अंकुरन उदय जैसे इनके रूहों बीच समाय l
✨️
मन रे कुहूक
मंगलवार, 25 जून 2024
4167 ...मैं तो केवल पापा और ताऊजी को चीनी के रस में डुबोने जा रही हूँ
सादर अभिवादन
कुछ ही मिनट पहले
सखी श्वेता ने सूचित किया
हम अचानक ही व्यस्त हो गए हैं
सोमवार, 24 जून 2024
4166 पत्नी से बड़ा कोई आलोचक नहीं होता
सादर अभिवादन
विदाई की बेला है
दुख तो स्वाभाविक है
नम होंगे नयन
जार-जार अश्रु भी बहेंगे
पर याद रखना होगा
हर अंत एक नयी शुरुआत है
हर रात का होता प्रभात है !