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सोमवार, 3 जून 2024

4146 ..बात करने से बात बनती है,

 सादर अभिवादन

वर्ष का मध्यान्ह 03 जून
महत्वपूर्ण दिवस
रथयात्रा रविवार 07 जुलाई को
आइए पढ़ें कुछ कविताएं , कहानियां

लिखते पढ़ते रहने से मरते
हुए लोगों की देह में जान पड़ जाती है
आजमाइए स्वयं..
वह कवि जिसके पास केवल कुछ मिनट ही बचे हों महाप्रयाण हेतु.., 
से निवेदन करिए ..दादा जा तो रहे हैं , हमें कुछ
कविता सुनाते जाइए..
...विश्वास करिए वे
सप्त सुर मे कविता पढ़ते
..नज़र आएंगे.. और वो श्रोता????
एक कोने पड़े शायद सो रहे होंगे

कुछ रचनाएं



अधिकांश लोगों को ग्रंथों में वर्णित देवराज इंद्र की उस ओछी हरकत का ज्ञान होगा, जब उसने ऋषि गौतम का रूप धर उनकी पत्नी अहिल्या के साथ दुर्व्यवहार किया था ! वह कामरूप सिद्धि थी जो डीपफेक का बेहद उच्च कोटि का संस्करण ही तो था ! हनुमान जी ने भी श्री राम के पहले दर्शन साधु वेश में किए थे ! सीता हरण, शूर्पणखा कांड, मारीच का स्वर्ण हिरण रूप, रावण के गुप्तचर शुक का वानर रूप सब डीपफेक के उच्च कोटि के संस्करणों के ही तो उदाहरण हैं ! महिषासुर ने तो साक्षात भैंसे का रूप ही धारण कर लिया था ! कितना और कहां तक गिनाया जाए........!





सब ठीक है.. तो बहुत अच्छा ! ठीक नहीं है तो बात कीजिए !
बिलकुल ...सही सुना आपने ! बात कीजिए.
जो भी समझता हो आपकी बात, उससे बात कीजिए.
कोई नहीं है तो हमसे बात कीजिए.
बात करने से क्या होगा ? ये समझना बहुत मुश्किल है.
एक काम करते हैं. आप अनय  की दास्ताँ  सुनिए.
फिर बताइयेगा बात करने से बात बनती है या नहीं !

बात करने से बात बनती है,
एक खिड़की ज़हन में खुलती है.  





पंखा झलते
उँटी, चम्बा
औली, कुल्लू मनाली,
बरखा रानी
की आभा से
दसों दिशाएं खाली,
मैना
सूखी हुई डाल पर
अपनी पीठ खुजाए.




अबकी बार चार सौ पार
चला यह नारा बारम्बार,
लोकतंत्र के भवसागर से
यही करेगा बेड़ा पार !

दुनिया देख रही भौंचक्की
बना चुनाव एक त्योहार,
नेताओं का बड़बोलापन
शब्दों की दुधारी तलवार !





गर्मी में जब करोड़ों झुलस रहे हैं
मैं शिमला जैसी शीत बयार
सिएटल में पा कर
आनन्दित हो उठता हूँ

मैं खुशकिस्मत हूँ कि
मैं गरीब पैदा हुआ





यथार्थ से दूर  
मरीचिकाएँ ..लुभाती  
गर्म रेत पे  
कलकल बहती धारा  
चमकीली ..स्वच्छ ...
निर्मल सी ..अमृत धारा  
बढ़ा देती प्यास  
क्षणिक सुख प्राप्ति की  
परम उत्कंठा ...




ध्यान योग का महत्व...
ध्यान योग साधना साधारण बात नहीं...
इसका महत्व वही जान सकता है..
जो ध्यान योग में बैठता है।
वाह! "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी"

आप धन्य है...
आप इस देश,समाज,
के प्रेरणास्रोत हैं।
आप का ध्यान
योग साधना को महत्व देना,
समस्त देशवासियों के लिए एक संदेश है... 
कि ध्यान योग का जीवन में क्या महत्व है।


आज बस
कल मिलिएगा सखी से
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. प्रस्तुत कर्ता व रचनाकारों को सादर नमन, प्रभावशाली भूमिका, सराहनीय रचनाओं का चयन, आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर लिंक्स का संगम ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. यशोदा जी,
    रचना को स्थान दे मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏

    जवाब देंहटाएं

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