निवेदन।


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मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

4326 .. मन ने तन पर लगा दिया जो वो प्रतिबंध नहीं बेचूँगा

 सादर अभिवादन

सादर अभिवादन

आज अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस है



अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस अथवा अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रूप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था। भारत में स्पेशल दिव्यांगों को स्वावलंबन बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 2020 3 दिसंबर के उपरांत tea 24 Disability Foundation डिसेबिलिटी फाउंडेशन ने 10 दिव्यांगों को स्वावलंबन परमानेंट जॉब देकर किया आज फाउंडेशन भारी मात्रा मेंं दिव्यांगों स्वावलंबन बनाने पर कार्य कर रहा . है tea24 Disability Foundation डिसेबिलिटी फाउंडेशन की डायरेक्टर मंजू कुमारी बिहार पटना से जो स्वयं दोनों पैरों से दिव्यांग है

सोमवार, 2 दिसंबर 2024

4325..परछाई और मैं..

 वे रंग बिरंगे रवि की

किरणों से थे बन जाते

वे कभी प्रकृति को विलसित

नीली साड़ियां पिन्हाते।।


वे पवन तुरंगम पर चढ़

थे दूनी–दौड़ लगाते

वे कभी धूप छाया के

थे छविमय–दृश्य दिखाते।। 

हरिऔध

प्रकृति की बदलती तस्वीरे के साथ आज नजर डालिए..



सीपी में ही रह गए मोती

कोई न शृंगार हुआ,

बाग़-बाग़ में बिन फूलों के

अबकी बरस मधुमास लगा,.

✨️

अर्थ


हर जगह नहीं हो सकते हम


हो सकती है एक शुभेच्छा


एक सद्भावना सारे विश्व के लिए


पहुँच सकते हैं जहाँ तक कदम


जाना ही होगा

✨️

मोबिकेट" यानी मोबाइल शिष्टाचार

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब बातों को जानते भी हैं,

✨️

देखते हैं बिगबॉस की कहानियाँ बच्चे टीवी पर / शायद घरों में अब वे दादी-नानियाँ नहीं होती

जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती

हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती


चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था

मुनासिब हरेक को चार दीवारियाँ नहीं होती

✨️

परछाई और मैं

अकेले चलते-चलते

अपनी परछाई से

बातें करते-करते

अनंत युगों से

करता आ रहा हूं पार

एक समय चक्र से..

✨️

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

रविवार, 1 दिसंबर 2024

4324 ...जब उन्हें बताया गया कि यहां पानी बिकता है

 


सादर अभिवादन



विश्व एड्स दिवस प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने, एचआईवी से पीड़ित लोगों के प्रति समर्थन दिखाने और एड्स से संबंधित बीमारियों से मरने वालों को याद करने के लिए मनाया जाता है. यह एक वैश्विक पहल है जो व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई में कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करती है. यह दिन बीमारी के बारे में शिक्षा को भी बढ़ावा देता है, परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालता है और एचआईवी से जुड़े कलंक को कम करने के लिए समझ को बढ़ावा देता है.

और....
आ गया क्रिसमस का महीना
आ गई गुरु घासी दास की जयंती
पीछे लगा हुआ है
अंग्रेजी नव वर्ष

अब रचनाएँ पढ़िए

पहले ही दिन मां नहाने गयीं। उनके खुद के और उनके बांके बिहारी के स्नान में ही सारे पानी का काम तमाम हो गया। बाकी सारे परिवार को गीले कपडे से मुंह-हाथ पोंछ कर रह जाना पडा। माँ तो गांव से आई है। जीवन में बहुत से उतार-चढाव देखे हैं पर पानी की तंगी !!! यह कैसी जगह है ! यह कैसा शहर है ! जहां लोगों को पानी जैसी चीज नहीं मिलती। जब उन्हें बताया गया कि यहां पानी बिकता है तो उनकी आंखें इतनी बड़ी-बड़ी हो गयीं कि उनमें पानी आ गया।

शनिवार, 30 नवंबर 2024

4323 ... प्रेम का वह मोती सागर में गहरे छिपा है

 सादर अभिवादन

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

4322 ..कई वर्षों से भारत में भी ब्लेक फ्राइडे को मान्यता दी है

 सादर अभिवादन

गुरुवार, 28 नवंबर 2024

4321...यूं सुलगते, बंजर मन के ये घास-पात...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए पसंदीदा रचनाएँ-

परदेसी से

उसके हरे-हरे पत्ते

हवाओं में मचलते हैं,

उसकी टहनियों पर बैठकर

पंछी चहचहाते हैं।

*****

जो धरा है वही चाँद

और सभी निरंतर होना चाहते हैं

वह, जो थे

जाना चाहते हैं वहाँ

जहाँ से आये थे!

*****

करें यकीं कैसे

यूं सुलगते, बंजर मन के ये घास-पात,

उलझते, खुद ही खुद जज्बात,

जगाए रात,

वो करे, यकीं कैसे?

*****

प्रतियोगिता

बहुत ही पीछे है कछुआ,

सोच खरगोश सो गया।

धीरे धीरे चल कछुआ🐢

मंजिल तक पहुँच गया।

*****

अजब परिंदे, गजब परिंदे

मैना अपने में मस्त रहती हैं ! मुख्य ढेर के अलावा बेझिझक इधर-उधर घूमते हुए, गिरे हुए कण भी चुग लेती हैं ! हर बार अपना ही घर समझ यह पाखी जोड़े में ही आता है। उपरोक्त सारे पक्षी जितने शान्ति प्रिय लगते हैं, तोते उतना ही शोर मचाते हैं ! हर समय चीखते-चिल्लाते इधर-उधर मंडराते हैं ! उनको कुछ खा कर भागने की भी बहुत जल्दी रहती है ! उनको पानी पीते नहीं देख पाया हूँ कभी ! जो भी हो पर होते बहुत सुन्दर हैं, प्रकृति की एक अद्भुत कलाकारी ! इन्हीं के बीच दौड़ती-भागती सदा व्यस्त रहने वाली गिलहरी का तो कहना ही क्या, उसके तो अपने ही जलवे होते हैं! 

*****   

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


बुधवार, 27 नवंबर 2024

4320..छांव में छिपे रंग..

।।प्रातःवंदन।।

 नये-नये विहान में

असीम आस्मान में-

मैं सुबह का गीत हूँ।

मैं गीत की उड़ान हूँ

मैं गीत की उठान हूँ

मैं दर्द का उफ़ान हूँ

मैं उदय का गीत हूँ

मैं विजय का गीत हूँ

सुबह-सुबह का गीत हूँ

मैं सुबह का गीत हूँ..!!

डॉ धर्मवीर भारती

बुधवारिय प्रस्तुतिकरण में शामिल रचना...✍️

सन् सत्तावन के बाद....

 क्या सन् सत्तावन के बाद किसी

सिहनी ने तलवार लिया नहीं कर मे

या माँ ने जननी बन्द कर दी

लक्ष्मीबाई अब घर-घर में..

✨️

लौटती नहीं नदियां

नदियां

नहीं निकलती

किसी एक स्रोत से 

कई छोटी बड़ी धाराओं के मिलने से

बनती है नदी

✨️

छांव में छिपे रंग


एक दिन तुम

गहरी नींद से जागोगे 

और पाओगे

मिथ्या, कल्पना जैसा कुछ नहीं होता,

जो सभी कुछ होता है, यथार्थ होता है।

✨️

कैंसर में जागरूकता जरूरी

आजकल एक पोस्ट बहुत वायरल हो रही है कि प्राकृतिक चिकित्सा से फोर्थ स्टेज का कैंसर ठीक हो गया। मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानती हूँ जिन्होंने अपना एलोपैथी इलाज बीच में छोड़कर आयुर्वेदिक या नेचुरोपैथी अपनाया और नहीं बच सके। मेरी राय है कि कैंसर पेशेंट को पहले किसी अच्छे डॉक्टर से पूरा इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन वगैरह जो वो बताएं वह करवाना चाहिए,

✨️

वक़्त

मैंने बचपन से कहा -

“चलो ! बड़े हो जाए !”

उसने दृढ़ता से कहा - 

ऐसा मत करना ! 

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️


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