बर्फ़ से ढके
निर्विकार श्वेत पाषाण
साक्षी है
हरी घास को सींचते
लहू के छींटो की...
मौसम की आहट पर
इतराते चिनार के फूल
ख़ुद पर लगे रक्त के धब्बों से
सहमे, मासूम आँसुओं से नम,
दर्द की छटपटाहट में
उदास तो होंगे शायद...
बैठी पति की मृत देह के समीप
जैसे बैठी हो सावित्री
पर जीवित नहीं होगा उसका सत्यवान
पत्नी और पुत्र के सामने गोली उतार दी
जिस व्यक्ति के सीने में
दिल चीर देती है उनकी मुस्कान
जब कश्मीर को जन्नत बता रहे थे
एक दिन पहले शिकारे में बैठे हुए
कश्मीर में कितना खून बहा है
गधे के कान में घी डालो तो वह यही कहेगा कान मरोड़ते हैं
तोते को जितना भी प्यार से रखो वह मौका देख उड़ जाते हैं
काला कौआ पालो तो वह चोंच मारकर ऑंखें फोड़ देगा
खलनायक नायक बना तो वह मौका देख छुरा भोंक देगा
पर मन में एक खटका बना ही हुआ था, क्योंकि उन्हें अपना सामान नजर नहीं आ रहा था ! हेमंत से पूछने पर उसने कहा आप जहां रहेंगे वहां रखवा दिया है ! रामगोपाल जी समझ गए कि मुझे यहां नहीं रहना है ! सामान पहले ही वृद्धाश्रम भिजवा दिया गया है ! आज नहीं तो कल तो जाना ही था, पहले से ही पहुंचा दिया गया है ! तभी हेमंत बोला, पापा आपके लिए एक सरप्राइज है ! रामगोपाल जी ने मन में सोचा काहे का सरप्राइज बेटा, मैं सब जानता हूँ ! तुम भी दुनिया से अलग थोड़े ही हो ! पैसा क्या कुछ नहीं करवा लेता है ! खुद पर क्रोध भी आ रहा था कि सब जानते-समझते भी सब बेच-बाच कर यहां क्यों चले आए ! पर अब तो जो होना था हो चुका था !