नमस्कार
पाँच लिंकों का आनन्द
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
---
फ़ॉलोअर
रविवार, 15 सितंबर 2024
4247..शिरोरेखा सिसक पड़ी,"हाँ ! बच्चों भाषा का अनुशासन सब भूल चले हैं।"
शनिवार, 14 सितंबर 2024
4246 ...मातृभाषा ये हमारी,लगे सदा हमें प्यारी।
नमस्कार
शुक्रवार, 13 सितंबर 2024
4245...राह बनायी जो तुमने
उन्हें सदियों से वृक्ष के चित्र दिखाकर
उनसे
फल-फूल और लकड़ियाँ प्राप्त की जाती रही हैं
नाइट्रोजन की अपेक्षा ऑक्सीजन के कीड़े
उन्हें अधिक तेजी से निगलते रहे हैं
फिर भी वे नींद से जाग नहीं पाई
वे नहीं जान पाई कि वे स्त्रियाँ हैं
उन्होंने स्वयं के लिए अंधेरा चुना
गुरुवार, 12 सितंबर 2024
4244...न्याय बिके बाजारों में जब, पीड़ित घिसता जूते रोज...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अभिलाषा चौहान जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच पसंदीदा
रचनाएँ-
न्याय बिके बाजारों में जब,
पीड़ित घिसता जूते रोज।
अंधा है कानून यहाँ पर,
खोता जाता उसका ओज।।
*****
हैरानी होगी परिणाम अनुकूल न निकलने पर,
परेशान होने से भी तो आराम नहीं मिलता।
राहों में बहुत मिलेंगे जो मन को भाएंगे।
केवल मन भाने से भाव नहीं मिलता।
जय जय
जय गणपति गणनायक। गणपति वंदना। गणेश जी की आरती
सिद्धि-बुद्धि-सेवित, सुषमानिधि,
नीति-प्रीति पालक, वरदायक।।
शंकर-सुवन, भुवन-भय-वारण,
वारन-वदन, विनायक-नायक।
मोदक प्रिय, निज-जन-मन-मोदक, गिरि-तनया-मन-मोद-प्रदायक।।
अमल, अकल अरु
सकल-कलानिधि, ऋद्धि-सिद्धिदायक, सुरनायक।
*****
असीम आसमान और निस्सीम समुन्दर की तरह
अनन्त तक चली जाती है आवाज़,
रखी रहती है गुदगुदी बनकर,
मन की आवाज़ वही गुनगुनाहट है
जो तुम कभी-कभी अनचाहे अपने होंठों पर ले आते हो
*****
औरतों के प्रति जब कभी पुरानी धारणा की मुठभेड़
आधुनिकता से होती है, तो भारतीय मन-मनुष्य और समाज को पुरुषार्थ के उजाले में देखने-दिखाने के लिए
मुड़ जाता है. पर हमारी परंपरा में पुरुषार्थ की साधना वही कर सकता है, जो स्वतंत्र हो.
हिंदी साहित्य के शेक्सपीयर कहे जाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु
हरिश्चंद्र की ज़िंदगी में मल्लिका अकेली स्त्री नहीं थीं, जिनके साथ उनके
संबंध थे, लेकिन मल्लिका का उनके जीवन में विशेष स्थान था.
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बुधवार, 11 सितंबर 2024
4243..बहा करे संवाद की धार..
।।प्रातःवंदन।।
"शब्द जो राजाओं की घाटी में नाचते हैं
जो माशूक की नाभि का क्षेत्रफल नापते हैं
जो मेजों पर टेनिस बॉल की तरह लड़ते हैं
जो मंचों की खारी धरती पर उगते हैं...
कविता नहीं होते! "
पाश
क्रान्तिकारी काव्य परम्परा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कवि अवतार सिंह संधू "पाश " की जन्म जयंती पर शत-शत नमन (जन्म 9Sep1950)
जो अस्मत बचा न सके उनके अब इस्तीफे चाहिए
खुद हालात से लड़े लेंगें नहीं हमें खलीफे चाहिए
उनकी की शान ओ शौकत इसलिए बंद हो..
✨️
टूट गई वह डोर, बँधे थे
जिसमें मन के मनके सारे,
बिखर गये कई छोर, अति हैं
प्यारे से ये रिश्ते सारे !
✨️
भाषा ने लिपि से कहा
मैं आँखों की मधुर ध्वनि
तुम अधरों से झरती हो
घट घट में मैं डूबी हूँ
तुम कूप कूप में रहती हो..
✨️
निर्मल मन मे ईष्ट
तू अपने ही दोष मिटा
सबका करो सुधार
गुणी हृदय है बहुत बड़ा
गुणता रही उदार निर्मल मन मे ईष्ट.
✨️
हमारे साझे का मौसम
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
4242...मुझे हार स्वीकार
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
मिलते हैं अगले अंक में।