सादर अभिवादन
पाँच लिंकों का आनन्द
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...

निवेदन।
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रविवार, 5 फ़रवरी 2023
3660 ...विश्व में विष का शमन, बुद्धि में प्रभु का मनन
शनिवार, 4 फ़रवरी 2023
3659...बुद्धू-बक्सा
हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
शिक्षा के लिए सबकी जरूरतों में शामिल यानी हर घर की जरूरत
विज्ञान कितना भी विकास कर ले. उन्नत से उन्नत रोबोट बना ले और उसमें दुनिया भर के चाहे जितने डाटा फीड कर ले, लेकिन कोई मौलिक कविता या कहानी तब भी नहीं रच सकता. सृष्टि में यह वरदान सिर्फ और सिर्फ मनुष्य को मिला है कि वह अपनी या दूसरी की भावनाओं, विचारों और अनुभूतियों को रचनात्मक अभिव्यक्ति दे सके. यह रचनात्मक अभिव्यक्ति दरअसल अपनी एक अलग दुनिया बनाने की कोशिश की तरह है. उसी तरह जैसे विश्वामित्र ने कभी इन्द्र से नाराज होकर अपना एक अलग स्वर्ग बनाने की कोशिश की थी.
मज़े से गिन सितारे छत न हो तो
समंदर क्या अगर वुसअत न हो तो
कहा ठंडी हवा ने कैक्टस से
इधर भी आइयो ज़ह्मत न हो तो
तुम्हें भी आ गया ख़ैरात करना
कोई फ़ितना सही आफ़त न हो तो
दिल हुआ कश्मकश-ए चारह-ए ज़ह्मत में तमाम
मिट गया घिस्ने में इस `उक़्दे का वा हो जाना
अब जफ़ा से भी हैं मह्रूम हम अल्लाह अल्लाह
इस क़दर दुश्मन-ए अर्बाब-ए वफ़ा हो जाना
ज़ु`फ़ से गिर्यह मुबद्दल ब दम-ए सर्द हुआ
बावर आया हमें पानी का हवा हो जाना
उम्र देखो तो आठ साल की है, अक्ल देखो तो साठ साल की है,
वो गाना भी अच्छा गाती है, गरचे तुमको नहीं सुनाती है,
बात करती है इस क़दर मीठी, जैसे डाली पे कूक बुलबुल की है,
जब कोई उसको सताता हैतब ज़रा ग़ुस्सा आ जाता है,
पर वो जल्दी से मन जाती हैकब किसी को भला सताती है,
शिगुफ्ता बहुत मिज़ाज उसकाउम्दा है हर काम काज उसकाहै
बाहों में लिपट रहा था गजरा
और सारे बदन से फूटता था
उसके लिए गीत जो लिखा था
हाथों में लिए दिये की थाली
उसके क़दमों में जाके बैठी
आई थी कि आरती उतारूं
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023
3658....सृष्टि के पहले दिन...
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023
3657 ....सबके दिलों में अपने -अपने “अचल” बसते हैं
सादर अभिवादन
बुधवार, 1 फ़रवरी 2023
3656..चिराग जो जल रहा...
।।प्रातः वंदन।।
अन्धकार के जीव छिपे, जो रवि के नैसर्गिक द्रोही.."
पं. नरेंद्र शर्मा
वसंत आया देहरी पर
सुबह हवाओं में खुशबू थी
खिले बाग़ में ढेरों फूल
कोयल कुहुक रही अमराई
पंछी रहे शाख पर झूल..
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कई बार दरिया मेरे पास से गुज़र गया
और बात मै प्यासा का प्यासा रह गया
इक चराग़ जो जल रहा था मुसलसल
रुखसती से उसकी वो भी बुझ गया ..
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डर..! सभी को लगता है
समाज में सबसे निडर फौजी जवानों को माना जाता है ! इसी विषय डर पर,
सेना से अवकाश लेने के बाद जब
एक साक्षात्कार में सैम मानेकशॉ से पूछा गया तो
उन्होंने कहा कि जो इंसान..
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छलकी बदरी
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जाएँगे हम मगर इस क़दर जाएँगे.रख के सब की ख़बर बे-ख़बर जाएँगे.
धूप चेहरे पे मल-मल के मिलते हो क्यों,मोम के जिस्म वाले तो डर जाएँगे...
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
मंगलवार, 31 जनवरी 2023
3655 ..मतलब वही... ग्रहदोष लगता है
सादर अभिवादन
सोमवार, 30 जनवरी 2023
3654 / फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.
नमस्कार ! यूँ आज शहीद दिवस है ........ महात्मा गाँधी जी की पुण्य तिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं ...... जब - जब महात्मा गाँधी का नाम आएगा गोडसे का नाम स्वयं ही याद आ जायेगा ..... ये ऐसा विषय है जिस पर कुछ न कहा जाये वही बेहतर है यूँ मैं गोडसे को हत्यारा मानती हूँ देशद्रोही नहीं .....
खैर ..... आइये चलते हैं आज की हलचल पर ... ............ ब्लॉग्स पर आने वाली पोस्ट क्या हलचल कर रही है , यही देखना है ....... आज कल बसंत छाया हुआ है ...... प्रकृति में भी और ब्लॉग्स की रचनाओं में भी . आइये हम भी बसंत का आनंद लें ........
और बसंती ऋतु
झुंड में लहरों पे उड़ना
चहचहाना चोंच भरना।
एक लय एक तान लेके
फ़लक पे जाके उतरना॥
नए वर्ष का भी एक माह बीतने वाला है .......मात्र एक दिन बचा है .... और जनवरी का आखिरी इतवार लोग कुछ यूँ मना रहे हैं ....
ऊँची उड़ान
सफर जिंदगी का भाग रहा है
अपने वेग से,
चेहरे पर इस हँसी के पीछे दर्द
बहुत है..
यहां हौसलों ने जिद की है |
ऊँची उड़ान के लिए हौसले और संकल्प की ज़रूरत होती है , लेकिन बचपन तो बस इन्द्रधनुषी सपनों में रहता है ....... आइये आज की ही तारिख की एक पाँच साल पुरानी पोस्ट पढ़िए ....
इंद्रधनुषी स्वप्निल बचपन
हम यहाँ बचपन के सपनों की रंगीनी से सराबोर हैं लेकिन आज का बचपन किन परिस्थितियों से जूझ रहा है ये जानना बहुत ज़रूरी है ........ सबको इस विषय में जागरूक रहना आवश्यक है .... विशेष रूप से जिनके बच्चे अभी स्कूल में पढ़ रहे हैं ........ बहुत बार अनजाने में ही ऐसा कुछ हो जाता है जिससे बच्चे और माता पिता भी परेशानी में आ जाते हैं ....... आइये जानते हैं इसके बारे में ......
वेपिंग…एक नया खतरा !
क्या आप जानते हैं कि Vape यानि कि E Cigarette क्या है ? मैं तो नहीं जानती थी। यदि आप भी नहीं जानते तो जरा गूगल पर सर्च करिए और जान लीजिए। यदि आपके घर में युवा या टीनएजर हैं तो बैठ कर उनको उसके नुक़सान बता कर सख्त ताकीद करिए क्योंकि ये एक ऐसी लत है जो बहुत तेजी से स्कूल के बच्चों में पैर फैला रही है।
अभी फिलहाल हमारे एक परिचित का बेटा अज्ञानता के कारण मुसीबत में आ चुका है। उसकी क्लास के कुछ बच्चे क्लास में वेप ले रहे थे अज्ञानतावश उसने भी उसकी सुगंध से आकृष्ट होकर ले ली। टीचर तक बात पहुँच गई और सख़्त एक्शन लिया गया। घर पर खबर भेजी गई। रेस्टीकेट करने की बात चल रही है। बच्चे का कहना था कि वो सुगन्ध से आकर्षित हुआ उसे पता नहीं था कि ये क्या चीज है ? यदि उसे पता होता तो मुसीबत से बच जाता।
पूरी जानकारी लीजिये लेख को पढ़ कर ...... और जहाँ तक हो सके बच्चों को भी इसके बारे में बता कर आगाह करें ...... जितना ज्यादा ये इ - नेट वर्किंग है उतने ही ज्यादा खतरे बढ़ रहे हैं . नयी नयी तरह की नशे की चीज़ें ईज़ाद हो रही हैं .....हम जैसों को तो कभी कभी पुराना ज़माना ही याद आ जाता है ......
वो फ़ोन कॉल
हमारे समय में कम्प्यूटर नहीं था, नेट नहीं था, मोबाइल नहीं थी। किसी को जरूरी समाचार देना होता तो शहर में हरकारा दौड़ाया जाता, बात दूर, दूसरे राज्य की हो तो टेलीग्राम किया जाता। घर में किसी की बीमारी की खबरें तो खत का हिस्सा भी नहीं बनती थी, साफ छुपा ली जाती। तर्क यह होता, "बिचारे को क्यों परेशान किया जाय? आकर भी क्या कर लेगा!"
घर में कोई मर जाय तो सीधे टेलीग्राम होता....Come soon. यहाँ भी मौत की खबर छुपा ली जाती, "बिचारा, अधिक दुखी हो जाएगा तो आएगा कैसे?"
कितनी ही बातें यूँ ही याद आ जाती हैं ....... तार का नाम सुनते ही घर में कोहराम सा मच जाता था ....... भले ही कोई ख़ुशी की बात हो ...... वैसे ख़ुशी पर टेलीग्राम कम ही आते थे ....... अब तो टेलीग्राम का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है ...... सच कितना बदल गया है सब कुछ ...... यहाँ तक कि इंसान भी ......
लोग बदल गए हैं
सुना है, लोग बदल गए हैं
अमृत-काल' की 'गणतंत्रीय सूचना' :
प्रतिवर्ष भ्रमणार्थियो के लिए खुलनेवाला 'मुग़ल गार्डन' इस वर्ष 'अमृत उद्यान' (नामांतरण) होने के बाद ही 31 जनवरी 2023 से खुलेगा।
सामान्य जानकारियां शेष नागरिकों के लिए :
1. 'भारतीय राष्ट्रपति भवन' के अंदर, रायसीना हिल्स पर 15 एकड़ में स्थित है मुग़ल गार्डन।
2. 26 जनवरी 2023 से 'मुग़ल गार्डन' का नाम 'अमृत उद्यान' कर दिया गया है।
शेष जानकारी ब्लॉग पर जा कर लें ........कल यानि २८ जनवरी को नर्मदा जयंती थी ..... इस बात की जानकारी मुझे फेसबुक पर एक लेख पढ़ने से हुई ........ और उसके बाद ही ब्लॉग पर माँ नर्मदा की स्तुति में एक खूबसूरत रचना पढ़ने को मिली .... जिसे आप सबके साथ साझा कर रही हूँ .....
माँ नर्मदे ! उत्साह का आशीष दो माँ ...
गुंजार
तू जगा रहा है निज गुंजार से
और हम न जाने
किन अंधेरों में सोए हैं
एक क्षण के लिए
तुझसे नयन मिलते हैं तो |
किस कदर इंसान हैरान है ... परेशान है कि उसे सब कुछ बेईमान ही लगता है ..... कुछ ऐसा ही कह रही है ये ग़ज़ल ......
फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.
मुकद्दस हवाएं भी परेशान लगती हैं।
पातों की खड़खड़ाहट तूफान लगती हैं।
आग से शोर तो लाजमी है बस्तियों में,
महलों की कैफ़ियत शमशान लगती हैं।
अब अधिक तूफ़ान को न लाते हुए आज लिंक्स का सिलसिला यहीं ख़त्म कर रही हूँ ........ मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद ...... तब तक के लिए ......
नमस्कार
संगीता स्वरुप .