शीर्षक पंक्ति : आदरणीया अभिलाषा चौहान जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
हर किसी कर से मुक्ति हो जाएगी
दौलतमंद का नाम कर्जदार कर दो।
तरक्की दिखने लगेगी ऊंची सर्वोपरि
विनाश का नाम चमत्कार कर दो।
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वह महिला निर्भर नहीं
किसी पुरुष पर,
उसे नहीं चाहिए
किसी की मंज़ूरी,
नहीं चाहिए
किसी का सहारा,
किसी का समर्थन.
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भेड़िये अब गलियों में घूमते
लगा भेड़ का मुखौटा
शिकार की तलाश में ,
गली-गली घूमते इन भेड़ियों को
पहचान पाना है मुश्किल !
भेड़ को भेड़िया बनने में
नहीं लगती देर
हे प्रभु कैसा हे अंधेर..!!
तुम सा न अपना सृष्टि में कोई ,
निशि दिन दरस की नित कामना है ।
मीरा की अविचल लगन ह्रदय में ,
शबरी सी जगी दृढ़ भावना है ।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को शीर्षक पंक्ति में स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
बहुत ही सुन्दर संकलन. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अंक ...
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