स्नेहिल अभिवादन
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जनादेश के आधार पर आज से नवगठित
पंचवर्षीय लोकतांत्रिक सरकार ने जनता के
सपनों मेंरंग भरने के लिए कूची थाम ली है।
कुछ असंतोष,कुछ विरोध,हर छोटी से छोटी
बातों की विस्तृत विवेचना के साथ, रंग बिरंगे
मुखौटों में छुपे रोचक किरदारों के साथ जीवन
की आवश्यकताओं को पाने की जुगत के लिए
समय के साथ कर्म का सफ़र
अनवरत जारी रहेगा।
हम भी नकारात्मक क्यों सोचे
क्यों न उम्मीद के बीज रोपे
माना की जंगल नहीं उगा सकते
पर कुछ वृक्ष तो छायादार होगें।
★★★
अब देर न करते हुये
चलिए आज की रचनाएँ
पढ़ते हैं-
★
इन्द्रधनुष
-----------
जनादेश के आधार पर आज से नवगठित
पंचवर्षीय लोकतांत्रिक सरकार ने जनता के
सपनों मेंरंग भरने के लिए कूची थाम ली है।
कुछ असंतोष,कुछ विरोध,हर छोटी से छोटी
बातों की विस्तृत विवेचना के साथ, रंग बिरंगे
मुखौटों में छुपे रोचक किरदारों के साथ जीवन
की आवश्यकताओं को पाने की जुगत के लिए
समय के साथ कर्म का सफ़र
अनवरत जारी रहेगा।
हम भी नकारात्मक क्यों सोचे
क्यों न उम्मीद के बीज रोपे
माना की जंगल नहीं उगा सकते
पर कुछ वृक्ष तो छायादार होगें।
★★★
अब देर न करते हुये
चलिए आज की रचनाएँ
पढ़ते हैं-
★
इन्द्रधनुष
खेलने वाला सारा बचपन
कचकड़े की गुड़िया से
मचलता है अक़्सर
चाभी वाले या फिर
बैटरी वाले खिलौने की
कई अधूरी चाह लिए और ...
ना जाने कब लहसुन-अदरख़ की
गंध से गंधाती हथेलियों वाली
मटमैली साड़ी में लिपटी
गुड़िया से खेलने लगता है
कचकड़े की गुड़िया से
मचलता है अक़्सर
चाभी वाले या फिर
बैटरी वाले खिलौने की
कई अधूरी चाह लिए और ...
ना जाने कब लहसुन-अदरख़ की
गंध से गंधाती हथेलियों वाली
मटमैली साड़ी में लिपटी
गुड़िया से खेलने लगता है
★★★★★
ख़्यालों सफ़र में
हक़ीकत और ख़्वाब बुने जाते हैं
दिल चाहता कुछ और है
पर होता कुछ और है
★★★★★
याद तुम्हारी
तुम नहीं हो जो पास -
तो सही याद तुम्हारी ,
रहूं मगन मन बीच -
चढी ये अजब खुमारी ;
बना प्यार मेरा अभिमान
गर्व में रही फूल सी !!
मन कंटक वन में-
याद तुम्हारी -
तो सही याद तुम्हारी ,
रहूं मगन मन बीच -
चढी ये अजब खुमारी ;
बना प्यार मेरा अभिमान
गर्व में रही फूल सी !!
मन कंटक वन में-
याद तुम्हारी -
ना तेरे पौधों की कच्ची कली,
ना तेरी लगाई बेल रे !
ना तेरे मंदिर की ज्योति,
ना कोई तुझसे मेल रे !
मैं तो तेरे आँगन की तुलसां,
फूलूँ कातिक मास रे !
मैं तो तेरे फूलों की खुशबू,
कोमल सा आभास रे !!!
★★★★★
ना तेरी लगाई बेल रे !
ना तेरे मंदिर की ज्योति,
ना कोई तुझसे मेल रे !
मैं तो तेरे आँगन की तुलसां,
फूलूँ कातिक मास रे !
मैं तो तेरे फूलों की खुशबू,
कोमल सा आभास रे !!!
★★★★★
ये
गिरि
कानन
जलस्रोत
दुर्लभ भेंट
ईश-प्रकृति की
चैतन्य जगत को
★★★★★★
पत्रकारिता दिवस पर
यदि हमने निष्ठा, समर्थन और ईमानदारी से अपना काम किया है, तो लक्ष्मी की प्राप्ति हो न हो, पर इतना तो तय है कि समाज में सम्मान और पहचान मिलेगा। इसके लिये हमें उतावलापन दिखलाने से बचना चाहिए, आज पत्रकारिता दिवस ने मुझे इस बात का पुनः एहसास कराया। जैसा कि मैंने कल ही बताया था कि वर्षों बाद मैं पत्रकारिता दिवस के मौके पर मौजूद रहूंगा। सो, अन्य सारे इधर-उधर के कार्यक्रम छोड़ जिला पंचायत सभाकक्ष में जा पहुंचा। हां, थोड़े देर के लिये इसी बीच पुलिस लाइन मनोरंजन कक्ष में एएसपी नक्सल के प्रेसवार्ता में जाना पड़ा था। दो मामलों का खुलासा पुलिस को जो करना था। अतः अखबार का काम सबसे पहले जरूरी है। बहरहाल, विंध्याचल प्रेस क्लब के इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पूर्व विधान परिषद सदस्य आदि तमाम भद्रजन मौजूद रहें।
यदि हमने निष्ठा, समर्थन और ईमानदारी से अपना काम किया है, तो लक्ष्मी की प्राप्ति हो न हो, पर इतना तो तय है कि समाज में सम्मान और पहचान मिलेगा। इसके लिये हमें उतावलापन दिखलाने से बचना चाहिए, आज पत्रकारिता दिवस ने मुझे इस बात का पुनः एहसास कराया। जैसा कि मैंने कल ही बताया था कि वर्षों बाद मैं पत्रकारिता दिवस के मौके पर मौजूद रहूंगा। सो, अन्य सारे इधर-उधर के कार्यक्रम छोड़ जिला पंचायत सभाकक्ष में जा पहुंचा। हां, थोड़े देर के लिये इसी बीच पुलिस लाइन मनोरंजन कक्ष में एएसपी नक्सल के प्रेसवार्ता में जाना पड़ा था। दो मामलों का खुलासा पुलिस को जो करना था। अतः अखबार का काम सबसे पहले जरूरी है। बहरहाल, विंध्याचल प्रेस क्लब के इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पूर्व विधान परिषद सदस्य आदि तमाम भद्रजन मौजूद रहें।
★★★★★
आज का यह आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की
सदैव प्रतीक्षा रहती है।
आज का यह आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की
सदैव प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के विषय के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रहीं हैं विभा दी
अपनी विशेष
प्रस्तुति के साथ।