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शनिवार, 25 मई 2019

1408.. माँ


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

सबने कहा एक दिन कोई विशेष नहीं हो सकता
हर पल पुकारी जा सकती है
माँ
Image
लिखने बेठा तारीफ तो लफ्ज़ ही ना मिल पाये 
लिख सकू क़तरा भी खुद पर मुझे नाज़ हो जाये

ना इबादत से मिली है ना हसरत में खिली है 

जन्नत है कही तो बस माँ के कदमो में मिली है

माँ
By @_the._.shooter 
Mother's day post ❤
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मेरी सांस-सांस की हर महक
उसकी आत्मा से उठती है
वह देहरी पर सजी रंगोली सा
इन्द्रधनुषी प्यार है

माँ
Related image
मैं बाँधू सवालों के पुल,
एक एक कर तुम देना हल।
सवाल सरल ही होंगे देखो,
झटपट जवाब तैयार रखना ,
जो कुछ है तेरे मन में,
वैसे ही उत्तर देना।

माँ
Image result for माँ पर मार्मिक कविता
माँ



Related imageजैसे कि मैं
फिर मिलेंगे...
><
बहत्तरवें विषय के बारे में बता दें
विषय 
गलीचा
उदाहरण कुछ भी हो सकता है...
मसलन ...
पहली 
बार दिखा है 
मन्दिर के 
दरवाजे तक 
गलीचा 
बिछाया गया है 

कितना कुछ है 
लिखने के लिये 
हर तरफ 
हर किसी के 

अलग बात है 
अब सब कुछ 
साफ साफ 
लिखना मना है

रचनाकार
डॉ. सुशील जोशी
प्रेषण की अंतिम तिथि- 25 मई 2019
प्रकाशन तिथि- 27 मई 2019
प्रविष्ठियाँ ब्लॉग सम्पर्क प्रारूप द्वारा ही मान्य


9 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी...
    सादर नमन..
    सदा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात !
    माँ की महिमा पर लाजवाब प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर /वात्सल्य से सरोबार उत्तम रचनाओं का शानदार संकलन। सभी रचनाकारों को बधाई उत्तम साहित्य सृजन हेतु

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!बेहतरीन प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  6. माँ और मातृत्व को समर्पित बहुत ही शानदार अंक आदरणीय विभा दीदी | माँ की ममता के बारे में जो कहा जाए वही कम है | बदलते समय में माँ को प्रताड़ित करने की खबरें यदा कदा सुनाई पड़ती हैं | कभी किसी पत्रिका में पढ़ा था कि किसी समय की अन्नपूर्ण बुढ़ापे में दो रोटी को लाचार हो जाती है | ये पंक्तियाँ मेरे लिए कभी ना भूलने वाली प्रेरक पंक्तियाँ बन गई | पर इन अन्नपुर्नाओं को इस लाचारी से दोचार करवाने वाली भी शायद प्राय एक नारी ही होती है | अपनी संतान को हर कष्ट से गुजर सुरक्षित और सुव्यवस्थित रखने वाली माँ के लिए कोई भी कृतज्ञता का शब्द पर्याप्त नहीं | पूजा भले ना करें पर दुत्कारे ना | भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति को ऊँचा स्थान मिला है | यहाँ गंगा मात्र गंगा नहीं गंगा मैया है तो गीता , गायत्री , गौ और धरती को माँ के उद्बोधन से सम्पूर्ण सम्मान दिया जाता है |माँ को समर्पित इस विशेष अंक के लिए साधुवाद | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | सादर

    जवाब देंहटाएं

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