शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
मंगलवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
मन उलझनों की
गुत्थी लिए घूम रहा दुविधा में
मैं सोच में
पड़ी हूँ क्या करूँ
दुविधा की
चादर लिए
खुशी से हुई मीलों दूर।
आंचलिक संवेदना वाले समादृत कथाकार थे फणीश्वरनाथ रेणु, पढ़िए उनकी कहानी- रसप्रिया
गेहूँ-चने से भरे-लदे खेतों में एक दिन
विश्व पुस्तक मेला 2023 ,प्रगति मैदान ,दिल्ली
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव