नमस्कार ! बदलता मौसम ...... बदलती ऋतु ..... कुल मिला कर मन की अजब - गज़ब की दशा .... शायद ऐसा मुझे ही लग रहा है ................. लेकिन ब्लॉग्स पढ़ते हुए लगा की औरों का मन भी बड़ा चलायमान है .... कब कहाँ पहुँच जाये , नहीं कह सकते .... एक रचना पढ़िए और महसूस कीजिये की आपका मन भी तो ऐसा नहीं ?
भ्रमणकारी पाँव मन के
मन है मैं हूँ और दूजा
है नहीं कोई यहाँ।
लौट आया फिर भटक कर
दूर तक जाने कहाँ?
इस मन की भटकन को रोकने का एक ही साधन है और वो है ईश्वर ...... इसी के तहत एक खूबसूरत रचना .......
तू सबब है यहाँ
तू मेरे पास है,
भर रहा नित नयी
हृदय में आस है !
आस ही है जो मन में उमड़ते भावों को अपने अनुसार गढ़ लेती है ......आपको पुनर्जन्म में विश्वास है ? मुझे तो है ....लेकिन पिछले जन्म का याद कुछ नहीं रहता , ये भी पता है , तो अगले जन्म में मुलाक़ात होगी या नहीं इस पर कुछ नहीं कह सकती ...... फिर भी देखिये लिखने वाले क्या क्या लिखते हैं ?
इंतज़ार
होने को तो हो सकता था
कि तुम सुनकर उछल पड़ती,
कह देती कि तुम्हें इसी का इंतज़ार था,
पर यह भी तो हो सकता था
कि तुम्हें इसमें मेरा छिछोरापन दिखता।
अब ये तो इंतज़ार कर सकते हैं लेकिन दिल्लीवासी भला किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं ? जाइए घूम कर आइये अमृत उद्यान जिसका वर्णनं आपको इस पोस्ट पर मिलेगा ....... और हाँ अमृत उद्यान का पूरा आनंद लेना हो तो पोस्ट के नीचे दिए लिंक पर जाना न भूलियेगा ......
आभार,
जवाब देंहटाएंमैं मुगल गार्डन घूमी थी कभी
बहुत सख्ती थी तब,किसी पौधे को छू नहीं सकते थे,
इस अमृत उद्यान में शायद अब नहीं होगा
छू -सहला सकने में पाबंदी
आभार,
सादर नमन
पौधे को छू सकते या नहीं ये तो नहीं पता , लेकिन व्यवस्था की प्रशंसा ज़रूर पढ़ी है । आभार।
हटाएंसादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स
आभार विभा जी।
हटाएंसुंदर सार्थक लिंक चयन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं आकर्षक।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सादर सस्नेह।
हार्दिक धन्यवाद कुसुम जी ।
हटाएंअच्छी प्रस्तुति है दी। एक ब्लॉगर कभी अपने ब्लॉग से पूर्णतः विमुख तो नहीं हो पाएगा, पर दुनिया भर के बखेड़े सँभालने में अपना शौक ही पीछे छूट जाता है अक्सर....
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना ,
हटाएंचेहरे की किताब ( Facebook)ने लोगों को अपने ब्लॉग्स भुलवा दिए । यहाँ तक कि अपने ही ब्लॉग का पता ठिकाना भूल गए । वो बात सही है कि दुनिया भर के बखेड़े शौक को पीछे धकेल देते हैं ।
शुक्रिया ।
वाह!सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंवाह!शानदार प्रस्तुति..।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा ।
हटाएंबढ़िया जानकारीपरक हलचल।
जवाब देंहटाएंसराहना हेतु आभार।
हटाएंबढ़िया लिंक्स. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएं
जवाब देंहटाएं-भ्रमणकारी पाँव मन के भागता है बेधड़क…सही कहा जिज्ञासा जी ने मन के पाँवों को कौन थाम पाया है भला ? सुंदर रचना !
तू सबब हैं यहाँ-अनीता जी की आस्था व समर्पण में पगी सुन्दर कविता मन को भिगो गई!
-ओंकार जी की लाजवाब कविता इंतजार…मुझे ठुकराए जाने का डर
अपनाए जाने की उम्मीद से ज़्यादा था…।
प्यार में छटपटाते मन की अजीब उलझन…!कहा भी न जाए चुप रहा भी न जाए…जैसी स्थिति में फंसे मन का सुन्दर चित्रण किया है।
अमृत उद्यान-फिर छिड़ी बात फूलों की- जी रन्जु जी मन ललचा गया सुन्दर फूलों की बात और तस्वीरें देख…जा रहे हैं हम भी😊
-गणित के प्रकांड पंडित रामानुज जी की अद्भुत खोज के बारे में रोचक व महत्वपूर्ण जानकारी …गर्व है हमें उन पर! गगन जी का हार्दिक आभार इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए।
आभार व बधाई संगीता जी को भी, परिश्रम के साथ सुंदर सार्थक लिंक चयन के लिए। सभी रचनाएं रोचक …सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
उषा जी ,
हटाएंसमीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार । बहुत मन से पढ़े हैं सभी लिंक्स ।
आदरणीया मैम , सादर प्रणाम । आज मेरी परीक्षाएं खत्म हुईं हैं तो आ गई वापस । सब से पहले यहाँ भाग कर आईं हूँ आपकी प्रस्तुति पढ़ने के लिए । आपकी यह अत्यंत सुंदर आनंद कर प्रस्तुति अनेक आनंदकर और ज्ञानवधक रचनाओं से भरी हुई है जिसे बार-बार पढ़ने का मन हो रहा है और आपकी टिप्पणियाँ इतनी सुंदर है मानों यह प्रस्तुति अलग-लग रचनाओं का संग्रह न लग कर अपने आप में ही एक सुंदर आलेख या कहानी का आभास दे रही है । हार्दिक आभार इस सुंदर प्रस्तुत के लिए एवं आप सबों को पुनः प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंप्रिय अनंता ,
हटाएंअब परिणाम का इंतज़ार होगा । और हमें इंतज़ार है कि अब कोई नया सृजन होगा ।
प्रस्तुति की सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद।
विविधताओं से परिपूर्ण बेहतरीन सूत्रों से सुसज्जित सुन्दर संकलन । सादर वन्दे!
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया मीना । यूँ ही हौसला अफजाई करते रहें।
हटाएं
जवाब देंहटाएंआज के सारगर्भित अंक में सुंदर रचनाओं को पढ़ने का आनन्द मिला जिनमें...
अनीता दीदी की.. जीवन संदर्भ पर गहन आध्यात्मिक दृष्टि डालती सुंदर रचना.. तू सबब है यहां।
ओंकार जी की..इस जन्म से उस जन्म तक सच्चे और सरल मन की अनकही दास्तां.. इंतज़ार
रंजू भाटिया जी की पोस्ट... अमृत उद्यान की सुंदर और विशेष जानकारी युक्त पोस्ट और बहुरंगी छवियां.. फिर छिड़ी बात फूलों की
गगन जी की.. अटल और अद्भुत जानकारी युक्त पठनीय पोस्ट.. भारतीय गणना की श्रेष्ठता सिद्ध करता एक अद्भुत अंक, 2520।
इस सुंदर पठनीय अंक में मेरी रचना "भ्रमणकारी पांव मन के को शामिल करने के लिए हृदय से आभार और अभिनंदन आदरणीय दीदी . सभी रचनाकारों को बधाई और नव सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंआज के सारगर्भित अंक में सुंदर रचनाओं को पढ़ने का आनन्द मिला जिनमें...
अनीता दीदी की.. जीवन संदर्भ पर गहन आध्यात्मिक दृष्टि डालती सुंदर रचना.. तू सबब है यहां।
ओंकार जी की..इस जन्म से उस जन्म तक सच्चे और सरल मन की अनकही दास्तां.. इंतज़ार
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आज के सारगर्भित अंक में सुंदर रचनाओं को पढ़ने का आनन्द मिला जिनमें...
जवाब देंहटाएंअनीता दीदी की.. जीवन संदर्भ पर गहन आध्यात्मिक दृष्टि डालती सुंदर रचना.. तू सबब है यहां।
ओंकार जी की..इस जन्म से उस जन्म तक सच्चे और सरल मन की अनकही दास्तां.. इंतज़ार
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प्रिय जिज्ञासा ,
जवाब देंहटाएंइस सार्थक और विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।