सादर अभिवादन .....
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
---
फ़ॉलोअर
रविवार, 31 जुलाई 2022
3471 ...बाजे गाजे के संग बिसरे, घर की यादें आती है
शनिवार, 30 जुलाई 2022
3470... शिक्षा या डिग्री
हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
प्रश्न है कि जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरूरत है या डिग्री की ?
शिक्षा ही इतिहास पलटती, फैला दो ये बात जग सारा ।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।।
शिक्षा ही बाईबल का कोना, शिक्षा ही मक्का मदीना ।
शिक्षा ही वेदों का सार, शिक्षा ही रब का दरबार ।।
शिक्षा इस विधि में शिक्षक बालकों के सामने एक रचना प्रस्तुत करता है और उसी रचना का अनुकरण कर एक नवीन रचना लिखने के लिये कहा जाता है। इस अनुकरण मे भाषा तो बालक की होती है परंतु उसे शैली के लिये अध्यापक द्वारा बताई जाने वाली रचना पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जैसे दिवाली पर निबंध बता कर होली पर लिखने के लिये कहना।
शिक्षा गावों में सामाजिक कुरीतियों का विनाश करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण का प्रबंध किया जाए, क्योंकि अशिक्षा में सामाजिक कुरीतियां और अंधविश्वास विकसित होते हैं। समय-समय पर समाज सेवकों द्वारा व्याख्यानों का आयोजन करना भी आवश्यक है। बाल विवाह से हानि, अशिक्षा के दोष आदि शीर्षकों पर बनी फिल्मों का प्रदर्शन भी लाभप्रद सिद्ध होगा।
शिक्षा से बन रही अब महान
समाज में बढ़ रहा उनका सम्मान
शिक्षा से हर क्षेत्र में बाजी मारी
अपनी भूमिका निभाती सारी
इनसे ही होती दुनिया प्यारी
उत्तर :- जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरूरत है, डिग्री की नहीं ©प्रेमचंद
प्रेमचंद के कुछ अनमोल वचन इस प्रकार हैं - (1) जो आदमी दूसरी कौम से जितनी नफरत करता है, समझ लीजिये कि वह खुदा से उतनी ही दूर है, (2) विपत्ति से बढ़कर.... अनुभव सीखने वाला कोई विद्यालय आज तक नही खुला, (3) जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरूरत है, डिग्री की नहीं। हमारी डिग्री है- हमारा सेवा भाव, हमारी नम्रता तथा हमारे जीवन की सरलता, (4) अगर हमारी आत्मा जाग्रत नहीं हुई तो कागज की डिग्री व्यर्थ है, (5) अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे, (6) बुराई का मुख्य उपचार मनुष्य का सद्ज्ञान है। इसके बिना कोई उपाय सफल नहीं हो सकता, (7) जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं तथा (8) मैं एक मजदूर हूँ, जिस दिन कुछ लिख न लूँ उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।
शुक्रवार, 29 जुलाई 2022
3469... कुछ एहसास
माथे पे गिरी एक आवारा बूँदजगाने लगे एक अनजानी प्याससमझ लेना तन्हाई के किसी लम्हे नेअंगड़ाई ली है कहीं
बस बेचने वाला हो तेज
पकड़ रखता हो बाज़ार की नब्ज़ पर,
फैन काट लेते हैं नस तक,
फ़िर टी शर्ट क्या चीज़ है,
और चलते-चलते,
गुरुवार, 28 जुलाई 2022
3468...घूमता रहा सूरज निशाचर भोर में लौटा
शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.जैनी शबनम जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ-
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
जब भी वे आपस
में टकराते बादल
तीव्र गर्जना
होती
दिल दहल जाते
सब के
सोते बच्चे चौंक कर उठते।
रोक लेता है
पीड़ाओं का प्रहार
प्रिये तुम्हारा प्यार
धमनियों में
नित्यप्रति संचार
होता हर्ष अपार।
अनसुनी, संवेदनाओं की सिसकियां,
अनकहे जज्बातों की, बिसरी सब गलियां,
पुकारती हैं कभी, अनुगूंज बनकर,
रोकते कहीं, टूटे वादों के गूंज,
छोड़ चला, जिनको पीछे!
मुड़ कर, देख रही अखियां मीमचे...
मिसाइल मैन का मिशन पूरा करना हमारी जिम्मेदारी
कुशल नेतृत्व हो तो कोई काम नहीं मुश्किल..
कठिन फैसला जो लेते , पाते
वही मंजिल..
स्कूल जाने के लिए वह घर से एक घंटा पहले ही
निकलती क्योंकि उसे पैदल ही जाना होता था । सर्दी, गर्मी, बरसात कोई भी मौसम हो शोभा को स्कूल जाने के
लिए मौसम की हर ज़्यादती को सहना ही पड़ता था ।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बुधवार, 27 जुलाई 2022
3467...दिल-राग ऐसे छेड़े हैं,..
।।प्रातः वंदन ।।
'कुछ किताबें हमें सपने देखना सिखाती हैं, कुछ यथार्थ से हमारा सामना करवाती हैं, लेकिन जो बात सबसे अधिक मायने रखती है वह यह कि लेखक ने किताब किस ईमानदारी से लिखी है।'
-पाउलो कोएल्हो
विचारपरक शब्दों के साथ बुधवारिय प्रस्तुति की आगाज़ खास अंदाज में...मतलब सावनी बतरस से..
सावन गुनगुनाता आया है,अनाम सन्देश लाया है,
बादलों की लुकाछिपी से,अंतर्मन मेरा हर्षाया है,
फुहार की टिप-टिप धुन ने,दिल-राग ऐसे छेड़े हैं,
सहमे हुए पग हैं मेरे,इस राह के रास्ते जो टेढ़े..
🌸🌸
प्रश्न प्रश्न को यूं ना डालना होगा
हम जहाँ रह रहे वहाँ हर पल
साथ दुश्मन है मानना होगा,..
🌸🌸
औरत और मर्द का रिश्ता इतना उलझा हुआ क्यों हो जाता है आखिर...और वो तब जब वो रिश्ता पति पत्नी का हो ?
अभी ऐसे ही किसी की कुछ इसी" दरकते रिश्ते "की कहानी सुनते हुए पीछे पढ़ी हुई कुछ पंक्तियां याद आई कि " औरत और मर्द का रिश्ता जो इंसान को इंसान के रिश्ते तक पहुंचाता है और फ़िर एक देश से दूसरे देश के रिश्तों तक... पर यह रिश्ता अभी उलझा हुआ है.. क्यूंकि अभी दोनों अधूरे हैं दोनों ही एक-दूजे को समझ..
🌸🌸
पेंच
मैंने सदा चाहा
तुम्हारा प्रेमपूर्ण होना
जबकि मेरा प्रेमपूर्ण होना
दशकों से छीज रहा है..
🌸🌸
अपने आप...
बरसा आकाश अपने आप
भीगी धरती अपने आप
ज्यूँ तुम थे बरसे
और मैं थी भीगी..
🌸🌸
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
मंगलवार, 26 जुलाई 2022
3466 ...मितरों!! बुरे दिन चले गये कि नहीं?
सोमवार, 25 जुलाई 2022
3465 / का बरखा जब कृषि सुखानी'!
हर --हर ,महादेव ! जी हाँ , भला सावन का महिना हो और महादेव याद न किये जाएँ ये तो हो नहीं सकता न ........ इस समय जब मैं कल के लिए प्रस्तुति बना रही हूँ तो मुझे शिव ही याद आ रहे हैं ..... सावन का महिना विशेष रूप से भगवान् शिव को समर्पित है .... तो चलिए सबसे पहले उनकी ही अराधना करते हुए जानकारी लेते हैं ज्योतिर्लिंगों की .....
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग
तभी एक खूबसूरत शोड़षी पर नजर पड़ी। सावन के इस सुहाने मौसम में उसकी दुबली पतली काया पर पीत वस्त्र मानों सरसों के खेत में गुलाब का फूल। शायद उस दुकान के सामने की जगह में पचासों लोगों की घूरती निगाहें उसे विचलित कर रही थी। या और कोई विवशता थी, पता नहीं पर वह बार बार इधर उधर देख रही थी और कुछ क्षणोपरांत धीरे-धीरे सरकते – सरकते मेरे बगल में आ गई।
मध्यम किंतु मीठे कोकिल स्वर में बोली, “तुम्हारे पास छाता है।”
आगे की बातचीत जानने के लिए लिंक पर जाएँ ..........भाग्य से छीका फूट कर भी कुछ ना मिले उसे क्या कहते हैं मुझे पता नहीं .......बस ऐसे वक़्त ईश्वर की ही लीला लगती है और खुद के मन को समझाने के लिए ईश्वर ही सबका ठिकाना भी है ..... आस्था रखिये तो ऐसा ही महसूस होगा .....
कहीं धूप खिली कहीं छाया
यहाँ कुछ भी तजने योग्य नहीं
यह जगत उसी की है माया,
वह सूरज सा नभ में दमके
कहीं धूप खिली कहीं छाया !
ये भी ईश्वर की ही माया होगी कि शहर के बीच में और एक शहर बसता है ...... गहन अनुभूति को लिए एक रचना पढ़िए ...
प्रेशियस चाइल्ड की देखभाल --
पुराने जमाने के लोग भी क्या लोग थे? एकदम मस्त! एक तरह से फुरसतिया टाइप के थे। लेकिन मजाल है कि जरूरी काम में देरी हो जाए! शादी की उम्र 21-22 साल है। ये पट्ठे उससे भी पहले कर लेते थे। बच्चे भी समय पर और बच्चों की शादियाँ और उनके बच्चे भी समय पर इसलिए इनके पास फुरसत ही फुरसत होती थी।
लेखक से नम्र निवेदन है कि आपने अपनी बात कह तो दी लेकिन ये बिलकुल ऐसी ही है जैसे नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कोई नहीं सुनता ..... आज परिवार को कहाँ सब पैसे को देखते हैं ...... फिर कृषि सूखे तो सूखती रहे ....खैर अभी बारिश का मौसम है ...... और आने वाला है हमारा राष्ट्रिय त्यौहार ...... आज भी बहुत से लोग स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर नहीं कर पाते ..... वैसे मेरा विषय ये नहीं है ...बस इस बार ७५ वर्ष की आज़ादी का ज़श्न है जिसे अमृत महोत्सव का नाम दिया गया है उस पर एक बहुत सुन्दर गीत लायी हूँ ....
एक देशगान -आज़ादी के अमृत महोत्सव पर
आज़ादी का
वर्ष पचहत्तर
घर -घर उड़े तिरंगा.
इसके सम्मुख
कान्तिहीन है
इंद्रधनुष सतरंगा.
अरे ! ........... ये क्या हुआ ? आज आज़ादी के इस दिन का कितना महत्त्व है ज़रा आप भी जानिये ....और स्वतंत्र भारत के नागरिक होने पर गर्व कीजिये ....
हाय ये क्या हुआ मेरा तो पंद्रह अगस्त मनाने का सारा उत्साह ही ठंडा हो गया
उनका हाल देख कर मन बैठ गया चेहरा लटका हुआ उदास, बातों में भी कोई उत्साह नहीं, मुझसे रहा नहीं गया पड़ोसी धर्म निभाते हुए मैंने पूछ ही लिया क्या हुआ भाई साहब कोई बात हो गई, मेरा पूछना था कि वो शुरु हो गये हाय ये क्या हो गया पूरे साल जिस पन्द्रह अगस्त का इंतजार रहता था उसने इस बार ये क्या किया सारा उत्साह ही ख़त्म हो गया उसे मनाने का,
देख लिया आपने कि हम भारतीय कितने कृतघ्न हैं ...... कभी देश के बारे में नहीं बस अपने बारे में ही सोचते हैं ........ लेकिन नहीं ..... सब ही तो ऐसा नहीं सोचते ..... सारी उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं ...... हम में से अधिकांश देश के प्रति सच्चे प्रेम की भावना से प्लावित हैं ..... अपने कार्य और कार्य क्षेत्र मे पूरे मन और तन से लगे हुए हैं ....रेल - विभाग से जुड़े हमारे एक वरिष्ठ ब्लॉगर प्रवीण पाण्डेय जी का एक गीत .......
वयं राष्ट्रे जागृयाम
गति में शक्ति, शक्ति में मति हो,
आवश्यक जो, लब्ध प्रगति हो,
रेल हेतु हो, राष्ट्रोन्नति हो,
नित नित छूने हैं आयाम,
वयं राष्ट्रे जागृयाम।
विडिओ भी ज़रूर सुनियेगा ....... रोम रोम पुलकित हो जायेगा .... ऐसा ही भाव हर क्षेत्र में हो और आँखों में भारत को अग्रणी बनाने का सपना ....... सपनों की बात चली है तो एक खूबसूरत सा ख्वाब ये भी है ....
उनींदी पलकों पर छाई !!
ज़िन्दगी को पोर पोर जीया था
ख़ामोश जुबां दीवारों पे तेरा नाम लिखती
मदहोश से हर्फ़ इश्क़ की आग में तपकर
सीने से दुपट्टा गिरा देते ...
न तुम कुछ कहते न मैं कुछ कहती
हवाएं बदन पर उग आये
मुहब्बत के अक्षरों को
सफ़हा-दर सफ़हा पढने लगतीं ...