निवेदन।


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सोमवार, 25 जुलाई 2022

3465 / का बरखा जब कृषि सुखानी'!

 


हर --हर  ,महादेव !  जी हाँ , भला सावन का महिना हो और महादेव याद न किये जाएँ   ये तो हो नहीं सकता न ........ इस समय जब मैं कल के लिए प्रस्तुति बना रही हूँ तो मुझे शिव ही याद आ रहे हैं ..... सावन का महिना विशेष रूप से  भगवान् शिव को समर्पित है .... तो चलिए सबसे पहले उनकी ही अराधना  करते हुए जानकारी लेते हैं  ज्योतिर्लिंगों की .....

भगवान शिव के 12 ज्‍योतिर्लिंग


पुराणों के अनुसार जहां-जहां ज्‍योतिर्लिंग हैंउन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। कहा 

जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शनपूजनआराधना और नाम जपने मात्र से भक्तों के सभी पाप 

समाप्त हो जाते हैं। बाबा भोले की विशेष कृपा बनी रहती है। आइये महाशिवरात्रि के मौके पर आपको 

द्वादश ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन कराते हैं।


ॐ  नम:  शिवाय ........... अब सावन का महिना हो और बरसात की बात न हो ....... ऐसा तो 

नामुमकिन है .....  तो प्रस्तुत है एक संस्मरण ...... 


तभी एक खूबसूरत शोड़षी पर नजर पड़ी। सावन के इस सुहाने मौसम में उसकी दुबली पतली काया पर पीत वस्‍त्र मानों सरसों के खेत में गुलाब का फूल। शायद उस दुकान के सामने की जगह में पचासों लोगों की घूरती निगाहें उसे विचलित कर रही थी। या और कोई विवशता थी, पता नहीं पर वह बार बार इधर उधर देख रही थी और कुछ क्षणोपरांत धीरे-धीरे सरकते – सरकते मेरे बगल में आ गई।

मध्‍यम किंतु मीठे कोकिल स्‍वर में बोली, “तुम्‍हारे पास छाता है।”


आगे की बातचीत जानने के लिए  लिंक पर जाएँ ..........भाग्य से  छीका  फूट कर भी कुछ ना मिले उसे क्या कहते हैं मुझे पता नहीं .......बस ऐसे वक़्त ईश्वर की ही लीला लगती है और खुद के मन को समझाने के लिए  ईश्वर ही सबका ठिकाना भी है ..... आस्था रखिये  तो ऐसा ही महसूस होगा ..... 

कहीं धूप खिली कहीं छाया


यहाँ कुछ भी तजने योग्य नहीं 

यह जगत उसी की है माया,  

वह सूरज सा नभ में दमके 

कहीं धूप खिली कहीं छाया !


ये भी ईश्वर की ही माया होगी कि शहर के बीच में और एक शहर बसता है ...... गहन अनुभूति को लिए एक रचना पढ़िए ...


एक ऐसा भी शहर


लोकतंत्र के चश्मे से नहीं दिखता
यह शहर क्यों कि इनकी झोली में 
होते हैं  इनके उम्र से भी अधिक 
शहर बदलने के पते.

ज़िन्दगी में न जाने कितनी  विसंगतियाँ हैं ............. संवेदनशील मन भावुक हो उठता है ..... .. अब ज़रूरी नहीं कि वो अनुभव आपका अपना हो लेकिन मन बस महसूस करता है और उसे अभिव्यक्त करता है .....ऐसी ही अभिव्यक्ति है ..... 

आग में मुझको तपानी उँगलियाँ
तप के वे कुंदन बनेंगी ।
फिर वे जाने क्या लिखेंगी ?

वे कहीं लिख जाएँ न घर्षण मेरा
उस खुदा के सामने अर्पण मेरा ।


अब घर्षण और अर्पण की बात है तो देखिये मुझे लगता है कि ज़िन्दगी में हर पल  ही घर्षण हो रहा है कोई दूसरों के साथ कर रहा तो कोई खुद  अपने आप से परेशान है फिर भी हर एक को देखभाल की ज़रूरत तो पड़ती ही है ...... और जब कोई बहुत प्रिशियस  हो तो .......

प्रेशियस चाइल्ड की देखभाल --



इस रचना की कोई पंक्ति उठा कर  यहाँ नहीं ला रही हूँ , कि ज़रा से चावल देख कर आप अंदाज़ा लगा लें कि आखिर  ये  है क्या ? आप लिंक पर जा कर पुलाव ही का आनंद ले आयें ......अब पुलाव की बात चली है तो याद आया  कि पहले ज़माने में खाने में पुलाव बहुत स्पेशल  हुआ करता था ..... आम दिनों में सादा  चावल या ज्यादा से ज्यादा तहरी या  तहारी बन जाती थी .... बाकी तो एक खिचड़ी भी होती थी ...... खैर बात कर रहे विशेष आयोजन की तो सबसे ज्यादा विशेष आयोजन होता था शादी विवाह का उत्सव ..... वैसे पहले उसमें भी मीठे चावल बनते थे ...... खैर चावल को छोड़ हम आज विचार मंथन करते हैं  कि बारिश का भी क्या लाभ जब खेती ही सूख गयी हो .... 

पुराने जमाने के लोग भी क्या लोग थे? एकदम मस्त! एक तरह से फुरसतिया टाइप के थे। लेकिन मजाल है कि जरूरी काम में देरी हो जाए! शादी की उम्र 21-22 साल है। ये पट्ठे उससे भी पहले कर लेते थे। बच्चे भी समय पर और बच्चों की शादियाँ और उनके बच्चे भी समय पर  इसलिए इनके पास फुरसत ही फुरसत होती थी। 


लेखक से नम्र निवेदन है कि आपने अपनी बात कह तो दी लेकिन ये बिलकुल ऐसी ही है जैसे नक्कारखाने में  तूती की  आवाज़ कोई नहीं सुनता ..... आज परिवार को कहाँ सब पैसे को देखते हैं ...... फिर कृषि सूखे तो सूखती रहे ....खैर अभी  बारिश का मौसम है ...... और आने वाला है हमारा राष्ट्रिय त्यौहार ...... आज भी बहुत से लोग स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर नहीं कर पाते ..... वैसे मेरा विषय ये नहीं है ...बस इस बार ७५ वर्ष की आज़ादी का ज़श्न है जिसे  अमृत महोत्सव का नाम दिया गया है उस पर एक बहुत सुन्दर गीत लायी हूँ .... 


एक देशगान -आज़ादी के अमृत महोत्सव पर


आज़ादी का

वर्ष पचहत्तर

घर -घर उड़े तिरंगा.

इसके सम्मुख

कान्तिहीन है

इंद्रधनुष सतरंगा.


अरे ! ........... ये क्या हुआ ?  आज आज़ादी के इस दिन का कितना महत्त्व है ज़रा आप भी जानिये ....और स्वतंत्र भारत के नागरिक होने पर गर्व कीजिये .... 


हाय ये क्या हुआ मेरा तो पंद्रह अगस्त मनाने का सारा उत्साह ही ठंडा हो गया


उनका हाल देख कर मन बैठ गया चेहरा लटका हुआ उदास, बातों में भी कोई उत्साह नहीं, मुझसे रहा  नहीं गया पड़ोसी धर्म निभाते हुए मैंने पूछ ही लिया क्या हुआ भाई साहब कोई बात हो गई, मेरा पूछना था कि वो शुरु हो गये हाय ये  क्या हो गया पूरे साल जिस पन्द्रह अगस्त का इंतजार रहता था उसने इस बार ये क्या किया सारा उत्साह ही ख़त्म हो गया उसे मनाने का,


देख लिया आपने कि हम भारतीय कितने कृतघ्न  हैं ...... कभी देश के बारे में नहीं बस अपने बारे में ही सोचते हैं ........ लेकिन नहीं ..... सब ही तो ऐसा नहीं सोचते ..... सारी उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं ...... हम में से अधिकांश देश के प्रति सच्चे प्रेम की भावना से  प्लावित  हैं ..... अपने कार्य और कार्य क्षेत्र मे   पूरे मन और तन से लगे हुए हैं ....रेल  - विभाग से जुड़े हमारे एक वरिष्ठ ब्लॉगर  प्रवीण पाण्डेय  जी का एक गीत ....... 

वयं राष्ट्रे जागृयाम


गति में शक्तिशक्ति में मति हो,

आवश्यक जोलब्ध प्रगति हो,

रेल हेतु होराष्ट्रोन्नति हो,

नित नित छूने हैं आयाम,

वयं राष्ट्रे जागृयाम।


विडिओ  भी ज़रूर सुनियेगा ....... रोम रोम पुलकित हो जायेगा .... ऐसा ही  भाव हर क्षेत्र में हो और आँखों में भारत को   अग्रणी बनाने का सपना .......  सपनों की बात चली है तो एक खूबसूरत सा ख्वाब ये भी है .... 


उनींदी पलकों पर छाई !!


संगीत सी बहती इस लहरी सी कविता  का  लिंक पर जा कर  रसपान करें ....

और  आज  की प्रस्तुति के अंतिम  पायदान पर ..... एक ऐसी  शख्सियत  से मिलवा रही हूँ  , जिसकी नज़में पढ़ कर मन करता है  कि उनको आज की  अमृता   प्रीतम  का खिताब ही दे दूँ  ...... चाहे वो क्षणिका हों या नज़्म ...... पढ़ कर मुँह से वाह के साथ दिल से आह भी निकलती है ..... बस आज कल ब्लॉग पर नहीं डाल रहीं अपनी पोस्ट ...... पर कितना कमाल लिखती हैं ...मिलिए हरकीरत  "हीर " जी से .... 


उन्हीं नज़्मों में मैंने
ज़िन्दगी को पोर पोर जीया था
ख़ामोश जुबां दीवारों पे तेरा नाम लिखती
मदहोश से हर्फ़ इश्क़ की आग में तपकर
सीने से दुपट्टा गिरा देते ...
न तुम कुछ कहते न मैं कुछ कहती
हवाएं बदन पर उग आये
मुहब्बत के अक्षरों को
सफ़हा-दर सफ़हा पढने लगतीं ...

इस  नज़्म के बाद न कुछ लिखा जायेगा और न पढ़ा जायेगा ...... कुछ देर शायद  इसी में मन जैसे शून्य में विलीन हो जायेगा ........ तो आज के लिए बस यहीं तक का सफ़र ......फिर मिलते हैं अगले सप्ताह कुछ चुनिन्दा  लिंक्स के साथ .........नमस्कार 🙏

संगीता स्वरुप 



29 टिप्‍पणियां:

  1. अप्रतिम अंक
    गति में शक्ति, शक्ति में मति हो,
    आवश्यक जो, लब्ध प्रगति हो,
    श्रावण मास का द्वितीय चंद्रवार
    शुभ हो...
    आभार
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर संकलन मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. ॐ नमः शिवाय
    सावन का महिना हो और महादेव याद न किये जाएँ
    –बिलकुल याद किए जाएँ... सोने पर सुहागा जब सावन का सोमवार हो तो और विशेष रूप से शिव शम्भु याद आ जाते हैं
    -आपकी टिप्पणियों का कोई जबाब नहीं
    अद्धभुत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अप्रतिम टिप्पणी पा कर मेरा मन बम बम हो गया । ॐ नमः शिवाय 🙏

      हटाएं
  4. सुंदर संकलन!! मेरी रचना को साझा करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका दी ❤

    जवाब देंहटाएं
  5. विविध रंगों से सजी सुंदर प्रस्तुति। हर रचना का परिचय देती भूमिका हर सूत्र पर जाने को प्रेरित कर रही है ।
    इस सुंदर अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय दीदी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लिंक्स पर जाने की प्रेरणा के लिए ही तो लिखते हैं 😄 और मुझे लगता है कि तुम जाओगी भी । आभार ।

      हटाएं
  6. वाह! पाँच की जगह एक दर्जन लिंक्स, आपने तो भावों की सरिता ही बहा दी है, आभार!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनिता जी ,
      क्षमा सहित .... मेरी प्रस्तुति कुछ ज्यादा ही लिंक्स लिए लंबी हो जाती है । भाव सरिता में आपने डुबकी लगाई इसके लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  7. विविधता पूर्ण बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर, सार्थक और समृद्ध संकलन। हिन्दी साहित्य और भाषा की सेवा में आपका योगदान सराहनीय है! हिन्दी सृजन कर रहे ब्लॉगरों को बहुत-बहुत शुभकामनायें! जिन रचनाओं को आज यहां जगह मिली उनके रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई। आदरणीय संगीता स्वरूप जी को इस श्रम साध्य सफल प्रयास पर कोटि-कोटि बधाईयाँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रविन्द्र जी ,
      इतनी प्रशंसा न करें कि कहीं पुदीने के झाड़ पर चढ़ जाऊँ । आप सभी इस सेवा में समिधा डाल रहे हैं । बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभार । आपकी दी बधाई हृदय से स्वीकार करती हूँ ।

      हटाएं
  9. हर-हर महादेव। 🕉 नमः शिवाय।

    जवाब देंहटाएं
  10. अब जब कोई एग्रीगेटर नहीं है, ऐसे में आपका सार्थक प्रयास ही काम आता है।
    आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. डॉक्टर साहब ,
      मेरा बस प्रयास मात्र है , ब्लॉगिंग को आबाद करना तो सब ब्लॉगर्स का काम है । थोड़ा आलस्य ही है कि ब्लॉग खोल कर अपनी पोस्ट नहीं डालते । सब शॉर्टकट अपनाए हुए हैं ।
      आप यहाँ आये इसके लिए आभारी हूँ ।

      हटाएं
  11. प्रिय दी,
    रचनाओं के सूत्रों को अपने स्नेह की लेई में भीगा भीगाकर जैसा आप जोड़ती है न वो अपने आप में एक स्वादिष्ट अनुभूति है।
    सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं।
    ------
    12 ज्योतिर्लिंगों को प्रणाम करते हुए

    एक ऐसा भी शहर है
    बरसात का एक दिन जहाँ
    कही धूप खिली कहीं छाया
    लुभाती बहुत है जगमाया
    शहर लबालब झमाझम पानी
    का वर्षा जब कृषि सुखानी

    वयं राष्ट्रे जागृयाम्
    आज़ादी के अमृत महोत्सव पर
    पंद्रह अगस्त मनाने का उत्साह
    क्या बताऊँ कैसी इस मन की चाह

    आग में मुझको तपानी उंगलियाँ
    उनींदी पलकों पर छाई बदलियाँ
    प्रिशियस चाइल्ड की तरह
    इश्क़ है एक खूबसूरत एहसास
    ---
    अगले विशेषांक की प्रतीक्षा में-
    ----
    सप्रेम प्रणाम दी
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      हम पुराने ज़माने के लोग लेई से काम निकालते हैं और तुम्हारी ये रचना पढ़ लग रहा कि फैवी क्विकि का जोड़ है ...... रचनाओं के शीर्षक से सार्थक ,सुंदर रचना बन गयी है । अद्भुत ।
      आभार ।

      हटाएं
  12. बहुत अच्छा लगता है भावों में बह जाना
    बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  13. मेरी पोस्ट चर्चा मे शामिल करने के लिए धन्यवाद । धन्यवाद इस बात के लिए भी की कल आप ने बताया कमेंट स्पैम मे जा रहे है ब्लॉग पर प्रकाशित नही हो रहे है । जब ब्लॉग चेक किया तो बहुत सारे कमेंट स्पैम मे मिले सभी को फिर प्रकाशित किया । इतने सालो से ब्लॉग से दूर रहने के कारण कुछ चीजे भूल गयी थी 🙂

    जवाब देंहटाएं
  14. एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट एवं पठनीय लिंक्स अद्भुत तारतम्यता के साथ लाजवाब प्रस्तुति
    👋👋👋👋👋🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  15. शानदार अंक! आपके परिश्रम और हर रचना पर विशेष टिप्पणी को सलाम।
    कुछ लिंक पढ़ चुकी कुछ बाकी ।
    पर सभी बेमिसाल ही होंगे।
    रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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