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रविवार, 10 जुलाई 2022

3450 ...किसी मोड़ पर,फिर मुलाकात होगी

सादर अभिवादन
आज दो खबरें हैं
पहली ये कि दिव्या स्थायी रूप से दुबई में सिफ्ट हो गई है
उसने अपने आप को यहाँ से हटा लिया है, पर गूगल से नहीं हटी है

दूसरी ये कि मंगलवार को एक नई सूचना मिलेगी कि आपके एक
गीत-ग़ज़ल , हाईकु इत्यादि लिखना है विस्तृत विवरण मंगल को ही मिलेगी
सादर
अब रचनाएँ ....



जब से
कन्यादान में
शंख पानी ढार
बेटी को पराया  
धन बताया जाने लगा



चेहरा कुछ मासूम बनाकर लोगों को भरमाते हैं
खलनायक मन में हँसता है पाँच सितारा होटल में

मिलजुल के सब ठगते रहते भोली-भाली जनता को
इसी खुशी में फिर जलसा है पाँच सितारा होटल में




तुम जा रहे हो , ना अब बात होगी।
किसी मोड़ पर,फिर मुलाकात होगी।

विरहा की अग्नि से व्याकुल न होना,
प्यार के सावन की बरसात होगी।



ये बारिशें बिल्कुल
सुख और दुख
दर्द और पीड़ा
पाना और खोना
मिलन और विरह
खिलना और मुरझाना
नमी और प्यास




मैं रचि रचि भोजना बनाई
और अपने पिया का खिलाई
मैं लौंगा इलायची मँगाई रामा
अरे रामा खाते पिया मोरे पान
कि होंठवा ललारी रे हारी ॥




न्याय के मंदिर में
आँखों पर पट्टी बांधे
मैं न्याय की देवी ..
प्रतीक्षा रत  ...
कब दे पाऊँगी न्याय सबको...
हाथ में तराजू और तलवार लिये
तारीखों पर तारीख की
आवाजें सुनती रहती हूँ ..
वो चेहरे देख नहीं पाती ,पर
उनकी वेदना समझ पाती हूँ


आज बस

सादर 

4 टिप्‍पणियां:

  1. हर रचना संदेशपरक।
    पठनीय रचनाओं का सुंदर संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी दीदी , बहुत भावपूर्ण रचनाएँ हैं | सभी को देखा | बहुत सशक्त रचनाएँ हैं | पंकज जी की रचना बहुत अच्छी लगी | उषा जी की रचना पर विस्तार से लिखना चाहती हूँ | समय मिलते ही लिखती हूँ | और हमारी प्यारी दिव्या जहाँ भी रहे खुश रहे , खुशहाल रहे यही दुआ है | यहाँ से खुद को हटाकर भी वह दूर नहीं जा पाएगी | वो समय मिलते ही यदा-कदा जरुर उपस्थित रहेगी ऐसी आशा है | फेसबुक पर तो वह हम सबके साथ है ही | और दूसरी सुचना का इंतज़ार है | आशा है कुछ अच्छा ही होगा | सभी रचनाकारों को सस्नेह बधाई | आपका आभार एक सार्थक प्रस्तुति के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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