सादर अभिवादन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
रविवार, 31 दिसंबर 2023
3991 ..सीख लेना अच्छा है सिखा कर जा रहा है कम से कम
शनिवार, 30 दिसंबर 2023
3990 ..बीमार नहीं होना है छुट्टी नहीं लेनी है पीने पिलाने का कार्यक्रम करें कोई रोक नहीं है
सादर अभिवादन
शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023
3989...नववर्ष का आगाज़
बातें करिए
प्रतिस्पर्धा कहीं है ही नहीं
मुकाबला करने आने वाले की
मुट्ठी गरम कर उसे
गीता का ज्ञान दिया जाएगा
एक ही चेहरे के साथ जीने वाले को
नरक ज्ञान की आभासी दुनियाँ
से भटका कर स्वर्गलोक में
होने का आभास
बातों से ही दे दिया जाएगा
नयी विचारधारा के साथ नववर्ष का आगाज़
पुराने जमाने यानि 100 -200 साल पहले के भी कितने ही किस्से-कहानियों में ये वर्णित है कि -माँ-बाप के जरूरत से ज्यादा तानाशाह और महत्वकांक्षा ने कितने ही बच्चों की ज़िंदगियाँ बर्बाद कर दी।70 के दशक तक भी माँ-बाप को देवता मानकर उनकी हर आज्ञा को शिरोधार्य किया जाता था। भले ही वो दिल से ना माना जाये मगर, उनके आज्ञा की अवहेलना करना पाप ही समझा जाता था। हमारी पीढ़ी ने भी माँ-बाप की ख़ुशी और मान-सम्मान के लिए ना जाने कितने समझौते किये। जबकि उस वक़्त में भी माँ-बाप के गलत निर्णय और जरुरत से ज्यादा सख्ती के कारण कितने ही बच्चों ने आत्महत्या तक कर ली और आज भी करते हैं ।
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मिलते हैं अगले अंक में
गुरुवार, 28 दिसंबर 2023
3988...कहो कैसे गुजरे दिन अश्कों के समंदर में...
शीर्षक पंक्ति:आदरणीया उर्मिला सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
2023 बस कगार पर आ चुका है लेकिन याद आता रहेगा कई उपलब्धियों के लिए।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-
सुबह हम
तलाशते हैं ज़िन्दगी को रहस्यमयी
कहानियों में, जराजीर्ण देह के
साथ उतरती है रात, घाट
की सीढ़ियों से सधे
पांव, स्थिर नदी
की गहराइयों में।
जख्म ने हंस कर जख्म से पूछा.....
कहो कैसे गुजरे दिन अश्कों के समंदर में...।
बस कुछ फूल हैं इबादत के
नम दुआओं में पिरोये
जो हर दिन चढ़ाना नहीं भूलती
स्मृतियों के उस ताजमहल में।
ढेर बोझा है दिलों पर
अनगिनत शिकवे छिपे,
मन कहाँ ख़ाली हुआ है
तीर कितने हैं बिंधे !
अब डॉक्टर के निशाने पर सचिन थे!
“क्या आप स्मोक
करते हैं?”
सचिन से पहले ही नीना बोल पड़ी!
“हाँ डॉक्टर
साहेब सचिन चेन स्मोकर हैं! दिन में दो डिब्बी सिगरेट तो ये पी ही लेते हैं !
लेकिन आपने कैसे जाना?”
मेरठ-बैंगलोर-मेरठ कार यात्रा: 7. झालरा पाटन
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बुधवार, 27 दिसंबर 2023
3987.. मौन संवाद..
।।उषा स्वस्ति ।।
सहमी सहमी है उषा, ठिठकी- ठिठकी भोर
कोहरे का कम्बल लिये, रवि ताके सब ओर।
हुआ धुंधलका सब तरफ, दिखता नहीं प्रकाश
अभी सबेरा दूर है, सोचे विकल चकोर !
रंजना वर्मा
शब्दों के सागर में डूबते हुए ..लिजिए आज की पेशकश में शामिल रचनात्मक रूपांतरण ✍️
सारथी कृष्ण की ?
धनुर्धर अर्जुन की ?
देख दुर्दशा भारत माँ की,
शोणित धारा बहती है।
दूर करो फिर तिमिर देश का
उठो ..
✨️
स्पीति यात्रा के दौरान वहाँ के पहाड़ों ने मुझे अपने मोहपाश में बांधे रखा । उनकी बनावट, टैक्चर बहुत अद्भूत था। वे बहुत लंबे, विशालकाय, अडिग थे। मनाली से काजा का दुर्गम रास्ता पार करते हुए इनसे मौन संवाद होता रहा।
✨️
'कैसे हो?'
तो होंठों पर ' उधार की हंसी'
लानी ही पड़ती है
और मीठी जुबां से
'ठीक हूँ '
✨️
मध्य रात के साथ शब्द संधान, समुद्र तट पर
उतरती है भीनी भीनी ख़ुश्बू लिए चाँदनी,
काले चट्टानों को फाँदता हुआ जीवन
छूना चाहता है परियों का शुभ्र
परिधान, इक सरसराहट
के साथ खुलते हैं
ख़्वाबों के बंद..
✨️
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
3986....प्यार सबसे सरल है...
प्यार सबसे सरल
इबादत है—
न किसी शब्द की ज़रूरत
न किसी ज़बान की मोहताजीन
न किसी वक़्त की पाबंदी
और न ही कोई मजबूरी
किसी को सिर झुकाने की...
यह इबादत अपने आप
हर वक़्त होती भी रहती है
और—जहाँ पहुँचना है
वहाँ पहुँचती भी रहती है...