शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा
रचनाएँ-
तभी अभी तक कोई ना मिला
उसने जैसा चाहा
उसकी जिन्दगी रही अधूरी
मनमीत के बिना |
हर रोज़ ज़िन्दगी ने नई उम्मीद से दस्तक दी,
रात फिर पुराने बोतल में नया शराब दिखाए,
कुछ तुम थे ज़रा बरहम कुछ हम गुमसुम से,
फिर भी वक़्त ने इश्क़ को लाजवाब दिखाए,
आज विश्व कविताओं में से कुछ अनूदित कवितायें आप भी पढ़ें
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
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एक और शानदार अंक, 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों के साथ शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों के साथ शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को इस शानदार प्लेटफॉर्म पर स्थान देने के लिए आभार
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