मंगलवारीय अंक में आप
सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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भूख के एहसास पर,आदिम युग से
सभ्यताओं के पनपने के पूर्व
अनवरत,अविराम जलते चूल्हे...
जिस पर खदकता रहता हैं
अतृप्त पेट के लिए
आशाओं और सपनों का भात,
जलते चूल्हों के आश्वासन पर
निश्चित किये जाते हैं/वर्तमान और भविष्य की
परोसी थाली के निवाले
उठते धुएँ से जलती पनियायी आँखों से
टपकती हैं मजबूरियाँ
कभी छलकती हैं खुशियाँ,
धुएँ की गंध में छिपी होती हैं
सुख-दुःख की कहानियाँ
जलती आग के नीचे सुलगते अंगारों में
लिखे होते हैं आँँसू और मुस्कान के हिसाब,,
बुझी आग की राख में
उड़ती हैंं पीढ़ियों की लोक-कथाएँ,
बुझे चूल्हे बहुत रूलाते हैं
स्मरण करवाते हैं जीवन का सत्य...
यही तो होते हैं
मनुष्य के
जन्म से मृत्यु तक की
यात्रा के प्रत्यक्ष साक्षी...।#श्वेता सिन्हा ---------
आइये अब आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
कुछ विशेष बीमारियों में दी जाने वाली
कड़वी दवाइयाँ स्वाद के लिए नहीं सेहत के लिए
फायदेमंद होती है....
जो उधर है वो सबसे होशियार है उसको भी पता है वो कहाँ है
वो इधर वाले के कपडे उतारे किस ने देखना है कौन है कहा है
कल इधर वाला उधर होगा तब देख लेंगे किसने क्या कहा है
सजा किस को हुई है या होने वाली है मौज में हैं जो हैं जहां हैं
बाल साहित्य बच्चों के मानसिक मानसिक स्वास्थ्य और विकास के लिए उनमें नैतिक शिक्षा के बीज बोने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
टोपी मोज़ा पहने स्वेटर।
काँप रहा पूरा घर थर-थर॥
कट-कट-कट-कट दाँत कर रहे।
जब भी हम घर से निकल रहे॥
हवा शूल बन जड़ा रही है।
कँपना पल-पल बढ़ा रही है॥
करना क्या है सोच रहे हम?
आता कोहरा देख डरे हम॥
सच है आज के दौर में सच्चा प्रेम दुर्लभ और अमूल्य है-
जिसे दिल से केवल अनुभव किया जाता है
यदि दिल को आभास हुआ थोड़े से झुकाव का
समझ लो प्यार हुआ वरना सब दिखावा है |
सच्चे प्यार को जब चुनते हैं दिल और दिमाग
दिमाग दौनों का उपयोग है आवश्यक प्यार के लिए
केवल मीठी बाते नहीं कह पातीं मन क्या चाहता
कभी कटु भाषी भी प्यार करता है |
और.अब पढ़िए दो अनमोल लेख
जो हमारे सामाजिक रूढियों के प्रति हमें
जागरूक करती है और जीवन मूल्यों के प्रति
हमें सचेत करती है। बदलते दौर में
सामाजिक मानसिकता का बदलना भी
समाज के सर्वांगीण और स्वस्थ विकास के लिए
अत्यंत आवश्यक है,
निम्नलिखित दोनों रचनाएँ प्रतिनिधि हैं-
देखा गया है कि पति की मृत्यु के बाद उस स्त्री के साथ जो भी क्रूरतापूर्ण आडम्बर भरे रिवाज होते हैं जैसे चूड़ी फोड़ना, सिंदूर पोंछना, बिछुए उतारना, सफ़ेद साड़ी पहनाना वगैरह , इस सबमें परिवार की स्त्रियाँ ही बढ़चढ़कर भाग लेती हैं । मेरे एक परिचित की अचानक डैथ हो जाने पर उसकी बहनों ने इतनी क्रूरता दिखाई कि दिल काँप उठा। पहले उसकी माँग में खूब सिंदूर भरा फिर सिंदूरदानी उसके पति के शव पर रख दी। फिर रोती- बिलखती , बेसुध सी उसकी पत्नि पर बाल्टी भर भर कर उसके सिर से डाल कर सिंदूर को धोया व सुहाग की निशानियों को उतारा गया।
कैसी क्रूरता है यह? यदि ये उनकी परम्परा है तो आग लगा देनी चाहिए ऐसी परम्पराओं को।
एक अनूठा अंदाज लेखन का, ओजपूर्ण,
सही मायने में प्रगतिशील वैचारिकी क्रांति का
उद्धोष-
पूजा विथ पर्पस
दूसरी ओर इसी समाज के कुछेक बुद्धिजीवियों का वर्ग अपनी क्रांतिकारी विचारधारा के तहत समाज को यथोचित सकारात्मक राह की ओर मोड़ने की ख़ातिर कुछ ना कुछ अच्छा करके या यूँ कहें कि .. कुछ बेहतर करके समाज के सामने एक आदमकद दर्पण रख देता है, ताकि जिनमें उसी समाज के दकियानूसी सोच वालों को अपने अट्टहास करते हुए घिनौने और क्रूर मुखड़े की झलक भर दिख जाए .. शायद ...
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आज के लिए इतना ही
फिर मिलते है
अगले अंक में।
कुछ विशेष बीमारियों में दी जाने वाली
जवाब देंहटाएंकड़वी दवाइयाँ स्वाद के लिए नहीं सेहत के लिए
फायदेमंद होती है....
'उलूक' होशियार सारा जहां है...
इस अंक में वजन है
आभार
सादर
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंआज के लिए पठनीय रचनाओं का सुंदर संकलन, मेरी रचना को शमिल करने के लिए आपका बहुत आभार, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. इस मंच पर अपनी आज की प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु ...
जवाब देंहटाएंआज भी .. आज की अपनी भूमिका में आपने मानव सभ्यताओं के निरन्तर परिवर्तनशील कालचक्र की गतिशीलता के गूढ़ को अपने अनूठे बिम्बों से सजा कर परोसा है .. शायद ....
( आपकी इस भूमिका को यशोदा जी के उपरोक्त "वजन" करने वाले तराजू पर तौला जाएगा तो सबसे भारी होगा .. शायद ... 🤔😊)
आभार श्वेता जी बेवकूफ 'उलूक' को भी स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंसमाजिक विडम्बना के प्रति आक्रोश दिखाती बहुत ही भावोत्तेजक अंक।
जवाब देंहटाएंशानदार भूमिका के साथ ,खूबसूरत प्रस्तुतीकरण।
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए आभार आपका |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने का शुक्रिया…देर से आने के लिए क्षमा🙏
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने का शुक्रिया…देर से आने के लिए क्षमा🙏
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