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मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

3965......अपनी ही पैर पर.कुल्हाड़ी मारना....

 मंगलवारीय अंक में आप
सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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गुनगुनी किरणों का
बिछाकर जाल
उतार कुहरीले रजत 
धुँध के पाश
चम्पई पुष्पों की ओढ़ चुनर 
दिसम्बर मुस्कुराया...।

शीत बयार 
सिहराये पोर-पोर
धरती को छू-छूकर
जगाये कलियों में खुमार
बेचैन भँवरों की फरियाद सुन
दिसम्बर मुस्कुराया...।#श्वेता


आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
कैसे-कैसे मैं खुद को बदल रही हूँ 
कहाँ पता था तुम ऐसे बदल जाओगे 
थी बेफ़िक्र तुम्हारे साथ रहने से 
अब ख़ौफ़ज़दा हूँ माहौल बदल जाने से। 

कैसे-कैसे मैं खुद को बदल रही हूँ 
ज़िन्दगी खिलती हुई धुप थी 
अब मैं कबसे ढलती सांझ को निहार रही हूँ 
सुबह और शाम में कम हो रहा है फासला। 

बिन शीशे का आईना...

ए रौशनी का क्या करूं जब
गहरा दर्द वक़्त के साथ
कब का भर चुका,
कहने को उम्र 
ए क़ाफ़िला 
कब का 
गुज़र 
चुका ।



याद कर लो धूप में वे 

छा गए थे छाँव बनकर।

घेरकर चारों तरफ़ से

एक सुंदर गाँव का घर।

गाँव में वो घर औ घर में

माँ से लिपटे थे हुए,

बस उन्हीं कोमल मनोभावों

को सुंदर प्यार को॥




उनका नाम मोबाइल माई
उनकी ऐसी गज़ब ढिठाई
यौवन और बुढ़ापा बचपन
एक तरफ से सबको खाई
 
चौबीस घंटे नेट खाती है.
रिश्तों का जीवन खाती है .
रोता है जब समय बेचारा
धीरे से  हँसकर गाती है


बस !... बस कर ! अपनी सीख अपने ही पास रख ! चाहती क्या है तू ?  हैं ?....यही कि इसका जीवन भी तेरी तरह नरक बन जाय ? डरपोक कहीं की ! खबरदार जो मेरी बेटी को ऐसी सीख दी  ! जमाना बदल गया है अब । अब पहले की तरह ऐसे किसी की गुलामी करने का जमाना नहीं रहा ।  पति हो या सास - ससुर,  किसी से भी दबने की जरुरत नहीं है इसे !  समझी" !


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आज के लिए इतना ही
फिर मिलते है 

अगले अंक में।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. शीत बयार
    सिहराये पोर-पोर
    धरती को छू-छूकर
    जगाये कलियों में खुमार
    बेचैन भँवरों की फरियाद सुन
    दिसम्बर मुस्कुराया...।#श्वेता
    बेहतरीन अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. मंत्रमुग्ध करती दिसंबर की मुस्कराहट के साथ लाजवाब प्रस्तुति....
    सभी लिंक बेहद उम्दा एवं पठनीय
    मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता !

    जवाब देंहटाएं
  3. गुनगुनी किरणों का
    बिछाकर जाल
    उतार कुहरीले रजत
    धुँध के पाश
    चम्पई पुष्पों की ओढ़ चुनर
    दिसम्बर मुस्कुराया...।
    .. वाकई आज की प्रस्तुति में भूमिका की इन पंक्तियों ने मन मोह लिया। सभी प्रस्तुत रचनाओं पर जाना हुआ । सुंदर चयन और सराहनीय प्रस्तुति में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय श्वेता जी💐💐👏👏

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! श्वेता ,सुंदर भूमिका के साथ ,शानदार अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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