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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

3969...नाखून हों से मतलब नहीं खबर जहरीली होनी ही चाहिए...

शीर्षक पंक्ति: डॉ.सुशील कुमार जोशी जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

शनिवारीय अंक में आज की पसंदीदा रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ। 

जूते फटे भी रहें तब भी कुछ पालिश तो होनी ही चाहिए

दुकाने खोली हुई किसी की भी हों खुली रहनी भी चाहिए
जमीर हो कहीं भी रखा हुआ किस्मत धुली होनी ही चाहिये

नोचने का जज्बा जरूरी है उंगलियाँ खडी होनी भी चाहिए

नाखून हों से मतलब नहीं खबर जहरीली होनी ही चाहिए

शायरी | दरमियां | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

दरमियां रात  चली  आई  है

सुब्ह होने दो, मिलेंगे फिर से

मौसम का हाल

 चलो ...अपनी भावनाओं को 
     मौसम मान लो ...
      फिर सोचो ......
      सोकर उठे तो मौसम  साफ,
      मन शांत, प्रसन्न.....
        पर एक घंटे बाद....
        मौसम विभाग  की सूचना...
        भारी बरसात, तूफान...

७४६.चाँद


कौन सा चाँद पहले डूबेगा,

जो झील में है वह

या जो झील के बाहर है वह?

या दोनों एक साथ डूबेंगे?

व्यामोह (कहानी)

भारी मन से अर्जुन ने निर्णय लिया कि विभा को अपने माता-पिता के घर वापस चले जाना चाहिए। अलगाव आंसुओं और दिल के दर्द से रहित नहीं था, लेकिन यह अर्जुन के लिए उपचार का अपना रास्ता खोजने का एकमात्र तरीका था। विभा ने बच्ची को खूब प्यार किया और भारी मन से दोनों से विदा ली।

*****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव

7 टिप्‍पणियां:

  1. शायराना अंदाज के साथ ये पेशकश
    काफी से अधिक वज़नदार है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. छपने की सूचना में 12 दिसंबर लिख दिए हैं आज 9 है l आभार रवीन्द्र जी l

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार सर.
      सादर प्रणाम सर.
      यथासंभव संशोधन कर दिया गया है.

      हटाएं
  3. शानदार भूमिका के साथ सुंदर लिंक्स ...मेरी रचना को यहाँ देखकर खुशी हो गई..इतने दिनों से सोए ब्लॉग को कल ही जगाया ..। बहुत-बहुत धन्यवाद अनुज रविन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी ल‍िंंक बहुत खूब हैं रवींद्र जी ...वाह

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर संकलन से सुसज्जित इस पटल के लिए मेरी रचना 'व्यामोह' का चयन किया, इसके लिए भाई रवीन्द्र जी का बहुत आभार एवं एतदर्थ मुझे सूचित करने के लिए आ. यशोदा जी अग्रवाल का भी आभार!

    जवाब देंहटाएं

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