शीर्षक पंक्ति: डॉ.सुशील कुमार जोशी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
शनिवारीय अंक में आज की पसंदीदा रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।
जूते फटे भी रहें तब भी कुछ पालिश तो होनी ही चाहिए
शायरी | दरमियां | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कौन सा चाँद पहले डूबेगा,
जो झील में है वह
या जो झील के बाहर है वह?
या दोनों एक साथ डूबेंगे?
भारी मन से अर्जुन ने निर्णय लिया कि विभा को अपने माता-पिता के घर वापस चले जाना चाहिए। अलगाव आंसुओं और दिल के दर्द से रहित नहीं था, लेकिन यह अर्जुन के लिए उपचार का अपना रास्ता खोजने का एकमात्र तरीका था। विभा ने बच्ची को खूब प्यार किया और भारी मन से दोनों से विदा ली।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
शायराना अंदाज के साथ ये पेशकश
जवाब देंहटाएंकाफी से अधिक वज़नदार है
आभार
सादर
छपने की सूचना में 12 दिसंबर लिख दिए हैं आज 9 है l आभार रवीन्द्र जी l
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर.
हटाएंसादर प्रणाम सर.
यथासंभव संशोधन कर दिया गया है.
शानदार भूमिका के साथ सुंदर लिंक्स ...मेरी रचना को यहाँ देखकर खुशी हो गई..इतने दिनों से सोए ब्लॉग को कल ही जगाया ..। बहुत-बहुत धन्यवाद अनुज रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंसभी लिंंक बहुत खूब हैं रवींद्र जी ...वाह
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन से सुसज्जित इस पटल के लिए मेरी रचना 'व्यामोह' का चयन किया, इसके लिए भाई रवीन्द्र जी का बहुत आभार एवं एतदर्थ मुझे सूचित करने के लिए आ. यशोदा जी अग्रवाल का भी आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन .आभार
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