सादर अभिवादन
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सोमवारीय विशेषांक में
आप सभी का स्वागत है।
सुर शब्द का प्रयोग संगीत में किया जाता है।
संगीत में प्रयुक्त सात निश्चित शब्द या ध्वनि जिसका स्वरुप,तीव्रता,तन्यता आदि स्थिर है। इसे सरगम कहा जाता है।
सुर शब्द में निहित जीवन-दर्शन अत्यंत वृहद है।
सुर पर आधरित एक गीत दूरदर्शन पर आता था जिसे सुनकर हम सभी उल्टा सीधा,अगडम-बगड़म गाते थे अपने सुर में।
लगता था जैसे कोई देशभक्ति गीत हो।
इस गीत में निहित अर्थ "विविधता में एकता"के भाव को अक्षरशःमहसूस किया जा सकता है।
आप भी सुनकर आनंदित होइये और अपनी स्मृतियों को तरोताज़ा करिये।
★★★■★★★
हमारे प्रिय रचनाकारों के द्वारा
बहुत ही सुंदर एवं
रचनात्मक सुर सजाये.गये हैं।
आप सभी भी पढ़िये
और भाव विभोर हो जाइये
सोमवारीय विशेषांक में
आप सभी का स्वागत है।
सुर शब्द का प्रयोग संगीत में किया जाता है।
संगीत में प्रयुक्त सात निश्चित शब्द या ध्वनि जिसका स्वरुप,तीव्रता,तन्यता आदि स्थिर है। इसे सरगम कहा जाता है।
सुर शब्द में निहित जीवन-दर्शन अत्यंत वृहद है।
सुर पर आधरित एक गीत दूरदर्शन पर आता था जिसे सुनकर हम सभी उल्टा सीधा,अगडम-बगड़म गाते थे अपने सुर में।
लगता था जैसे कोई देशभक्ति गीत हो।
इस गीत में निहित अर्थ "विविधता में एकता"के भाव को अक्षरशःमहसूस किया जा सकता है।
आप भी सुनकर आनंदित होइये और अपनी स्मृतियों को तरोताज़ा करिये।
★★★■★★★
हमारे प्रिय रचनाकारों के द्वारा
बहुत ही सुंदर एवं
रचनात्मक सुर सजाये.गये हैं।
आप सभी भी पढ़िये
और भाव विभोर हो जाइये
★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitQEo3cVJWpgocpLJNX2_3m78ApbowNHh3LaY1AU7QZeADORCjURyp5KdHIPxyVKU4J6QNS1J5R2EIdICFNvCzx58L0zaxoDwXYdTCOkGCL7VHl39POkmtd4nvyNQJEUH1FLjD8O2JfJnl/s320/IMG_20190928_152001.jpg)
न सुर होता न सरगम बनती
सोचो कैसी होती ज़िंदगी
रस ही जीवन संसार का
जीवन के रंग भी हैं रस से
फूलों के रस से ले मधुकर
मधुवन सींचते मधुरस से
★★★★★★
आदरणीया सुजाता प्रिय
मिल्लतों की रीत हो,
सबको सबसे प्रीत हो।
सबके सुरों में आज,
एकता के गीत हो।
एक लय में गा लें जरा,
एक नए अंदाज में।
साथ गुनगुना लें जरा,
एक सुर के राग में।
★★★★★
आदरणीय अनीता सैनी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg798bR6rL4v6nWgKXlvsysdnNfnl_-rQsTbqykAMPmAgizSf3zjsoUbtx2Y_JjUWq0B7vImmI2OQyFveCVYAcGUAG4Nff5zw1SsNvnQQrkEKOtNSri-ZqXIgZNwN1q3ytpUM6RmDF_nU7p/s320/Screenshot_20190927-232218_YourQuote.jpg)
अहर्निश पहर-दर-पहर सुरम्य संगीत मल्हाता,
प्रकृति का कण-कण सुर में मधुर संगीत है गाता
★★★★★
आदरणीया साधना वैद
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjm-00zDbHnlLpo2VP4G0qc0aa-kk7xpViHwog_ienZa1K-PORNeBkrQz96u34F2liVhvp6Rjyo4ZpSGHw3NfDvOv0LTnGaX39chyCZ-8J2NsyJktlXAAUbjAb4K4Ti4AY9djj6-DnjPv7e/s1600/birds.jpg)
हमें तो रोज़ ही गाना है
यह स्वर साधना हमारी
दिनचर्या का
अनिवार्य अंग है !
हम नित्य इन सुरों को
साधते हैं और तुम
नित्य अनसुना कर देते हो
★★★★★
आदरणीया आशा सक्सेना
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjV29ezQIsirtdlUh7sHbDnpLS9scQLtJSMT55IP4DXAF1kCtc9mffwCY3SZWZ7-qazpsc83uEv2IfTMle3lqSBOVLhUcDe20UTCVX6Npqjo4hYeyfXiZVe2QMn9J2z60ytTkWTSzU-v1Y/s320/%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2581-%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A3%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A3%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%258B-%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%258B-%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%2596%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%2596%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25A8-%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B8-min.jpg)
गीत में स्वरों का संगम
वीणा के तारों की झंकार
तबले की थाप पा कर
मधुर ध्वनि उत्पन्न होती
कर्ण प्रिय सुर साधना होती
मन मोहक बंदिश सुन कर
जो प्रसन्नता होती ले जाती
अतीत की गलियों में !
★★★★★
आदरणीया कामिनी सिन्हा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3nc-lg6VB-T5GNpN3p7fChDB0NaINZbV0VMrXG_XCPitSbl4r9m7Ij818e8SuPlCNXgPZqhzOK8ovlyzAfcs-el1JdJGcuOavFmDqOXhA-9dbybU5DfcWR3-fu0FSot0B-clI8xEy5A/s400/download.jpg)
इस गीत के सिर्फ एक पंक्ति से ही गीतकार भरत व्यास ने जीवन में सच्चे प्रेम और ख़ुशी को पाने का हर रहस्य खोल दिए हैं। यदि सुर और गीत की तरह एक हो गए तो जीवन में शास्वत प्रेम की धारा स्वतः ही बहने लगेगी। फिर ना कोई बिक्षोह का डर होगा ना कोई मिलने की तड़प। फिर इस नश्वर जगत में भी जीवन इतना सुरमयी हो जायेगा कि जीते जी स्वर्ग सुख की अनुभूति हो जाएगी।
★★★★★★
आदरणीया कुसुम कोठारी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEit2NhI2cRsMqsYgpSc-0hz8zmKSmXEyGx-txXHiDNflDQg2XC2IUY_pEG3vh-nMJ4POHTiUsSAAemRKwliULpo1c_ZMcs3WUQCOpVQ41b8bPYwcCsCOPIHjYEcDIKsb67KWp8F7jIt-SE/s320/IMG-20180626-WA0013.jpg)
एक सुर निकला उठ चला
जाके विधाता से तार मिला।
संगीत में ताकत है इतनी
साज से उठा दिल में मचला
मस्तिष्क का हर तार झनका
गुनगुन स्वर मध्धम सा चला
★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyBdETi3uoqeXMuf1RtQtHqBQsn-y4YYvJ2ZwIT5QBi7P0oB5nyk4nEG6RrvyNhCN1UDhgruntV8hiBmowFWTsGsQ6cDuNpS6ligLZAEBkOrbMpcZM7yPpO1OecZ9tBAtLySiYohYfGvin/s320/IMG_20190926_093210.jpg)
मैं उषा और तुम दिनकर बनो तो बात बने।
बिखरा दो इंद्रधनुषी रंग तो कोई बात बने,
जीवन बने सप्त सुरों का संगम तो बात बने।
★★★★★
आदरणीया शुभा मेहता
सात सुरों का संगम है ये
शुद्ध -विकृत मिल बनते बारह
श्रुतियाँ हैं बाईस.....
स्वर और श्रुति में भेद है इतना
जितना सर्प और कुंडली में
जब फैले है सुरों का जादू
मन आनंदित हो जाता
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
परम लोक ले जाए सुर ।
★★★★★
आदरणीय सुबोध सिन्हा
कपसता है सुर ...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbic0Zrch9Z3PPgHKYvOw_wugUzNKS6zFEoUXdgtwWj-JaKu0ljETxL1H8TTH9RXI6fJDR9IUzCInN-836haKBJQj9ObPpWEgxIjVbZPs6q8W6apDHnOdiX9xfQsPPRZhH9Vd6JelbxwBi/s200/IMG-20190929-WA0022.jpg)
अनवरत निरपेक्ष ...
किए बिना भेद ... किसी धर्म-जाति का
या फिर किसी भी देश-नस्ल का
षड्ज से निषाद तक के
सात स्वरों के सुर से सजता है सरगम
मानो ... इन्द्रधनुष सजाता हो जैसे
बैंगनी से लाल तक के
सात रंगों से सजा वर्णक्रम
★★★★★
आदरणीय सुबोध सिन्हा
कपसता है सुर ...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbic0Zrch9Z3PPgHKYvOw_wugUzNKS6zFEoUXdgtwWj-JaKu0ljETxL1H8TTH9RXI6fJDR9IUzCInN-836haKBJQj9ObPpWEgxIjVbZPs6q8W6apDHnOdiX9xfQsPPRZhH9Vd6JelbxwBi/s200/IMG-20190929-WA0022.jpg)
अनवरत निरपेक्ष ...
किए बिना भेद ... किसी धर्म-जाति का
या फिर किसी भी देश-नस्ल का
षड्ज से निषाद तक के
सात स्वरों के सुर से सजता है सरगम
मानो ... इन्द्रधनुष सजाता हो जैसे
बैंगनी से लाल तक के
सात रंगों से सजा वर्णक्रम
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आज का यह अंक आपसभी को
कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियाओं की
प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।
#श्वेता सिन्हा
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प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।
#श्वेता सिन्हा