उद्देश्य रहा आप सभी रचनाकारों
की रचनात्मकता का सम्मान करना।
ऐसा मंच प्रदान करना जिससे ज्यादा से ज्यादा
पाठक आपसे जुड़ सके।
पिछले कुछ समय से
हम-क़दम में दिये गये
विषयों पर आपकी उदासीनता
आपकी तटस्थता ने
हमें सोचने को मजबूर किया है कि
आपके समक्ष यह प्रश्न रखा जाए
क्या हम-क़दम
को अब अनिश्चित काल के लिए
बंद कर दिया जाना चाहिए?
आप पाठको की प्रतिक्रियायें ही
हमक़दम का भविष्य तय करेगी।
आप सभी सृजनशील
रचनाकारों की सहभागिता और
रचनात्मकता के लिए
हृदय से आभार व्यक्त
करते हैं।
★
पाँच लिंक परिवार का सतत प्रयास रहा है
पाठकों की अभिरुचि के अनुरूप सार्थक
और साहित्यिक रचनाओं का
आस्वादन करवाना।
इसी कड़ी में
आप भी आनंद लीजिए-
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!
ये हवाएँ शाम की, झुक-झूमकर बरसा गईं
रोशनी के फूल हरसिंगार-से,
प्यार घायल साँप-सा लेता लहर,
अर्चना की धूप-सी तुम गोद में लहरा गईं
ज्यों झरे केसर तितलियों के परों की मार से,
सोनजूही की पँखुरियों से गुँथे, ये दो मदन के बान,
मेरी गोद में !
भर्मरों को रस का पान मिला
तब हम मस्तों को हृदय मिला
मर मिटने का अरमान मिला।
है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना,
और सब समय पराया है
बस उतना क्षण अपना ।
तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
तारों की भीड़ में
टिमटिमाती तुम
उजाले की अंगीठी में
मेरी फूंक से जलती और
शोला बनती
अंगारे सी मेरी प्रिय
क्या तुम चाँद भी होती हो कभी !
किसी क्षण
बस तिलमिला रही है अकेली ननद धूप
छिपती -फिरती इधर -उधर
कि कब जायेंगे मुए बादल
और कायम होगा फिर से उसका राज
खुशी से उछल रही है धरती
रचा रही है मेहँदी झूल रही है झूला
गा रही है कजरी जबकि रो रहे हैं
भोकार पार बादल
-श्वेता
जय श्री गणेश...
जवाब देंहटाएंसही समय पर सही प्रस्तुति..
साधुवाद...
सादर..
अखंड सौभाग्यशाली रहो छूटकी
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी को तीज की बधाइयाँ
अमर रहे सुहाग सबका हैं यही कामना करती हूं शिव भोले से
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआप सभी विद्वजनों से निवेदन है कि कृपया हम-कदम,को न बंद करें , मैं हम-कदम का ऋणी हूं,उसके कारण ही मेरे जैसे नवोदित ब्लाॅगरों को थोड़ी सी पहचान मिली।
जवाब देंहटाएंमैं उदासीन नहीं हूं,हां इस समय मां की सेवा में लगी हूं। फिर भी हम-कदम को
नियमित पढ़ती हूं।मैं ऐसे ही लिखना पसंद
नहीं करती जब तक भाव हृदय में न जागे।
आप इसे नियमित करिए,चाहे तो कुछ बदलाव के साथ ,जिससे रचनात्मकता में
और निखार आए।आज के बेहतरीन रचना
संकलन एवं प्रस्तुति के लिए सहृदय आभार सखी,सादर।
बहुत ही सुन्दर सार्थक स्तरीय अंक आज की हलचल का ! इतने महान रचनाकारों की अनुपम रचनाओं पर प्रतिक्रिया देने की योग्यता नहींं पाती स्वयं में ! यह तो सूरज को दीपक दिखाने जैसी बात होगी ! हमकदम को मेरे विचार से जारी रखना चाहिये ! इससे लेखन के प्रति रुझान और तारतम्य बना रहता है और एक तरह का अनुशासन क़ायम रहताहै ! यह संभव है कि कभी-कभी विषय मनोनुकूल ना होने से या किसी व्यक्तिगत कारण होने से प्रविष्टियों की संख्या में कमी आई हो लेकिन इसका यह तात्पर्य तो बिलकुल भी नहीं कि एक बेहतर सिलसिले को रोक दिया जाए !वैसे जैसा आप सब उचित समझें ! मुझे तो कल का विषय जानने की उत्सुकता बनी हुई है ! गणेश चतुर्थी की सभी पाठकों, मित्रों और बंधू बांधवों को हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
सराहनीय प्रस्तुति।उम्दा रचनाओं का चयन।सदा सौभाग्वती भव।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंvery nice inspirational movie quotes