जय हिन्द ... जय भारत के किसान/जवान/वैज्ञानिक
"त्रिवेणी"
आपस में रहने दे, आपस की बातें
दिल लरजता है, रिश्ते की नुमाइश से
खुर्दबीनी से देखते हैं लोग, बाज़ार में
【राहुल जगताप 'देव'】
वादा कर कि अब ना करेगा वादा कभी !
रोज मोम जलती है और याद पिघल कर उतर आती है!
धुआं सी हैं जिंदगी कल का किसको पता है!
【रूपल उपाध्याय】
जब भी मौक़ा आये, बातें कुनबा के इर्द-गिर्द हो
दिल की धड़कन और आवाज़ को
मिटर या वज्न में क्यूं बांधना!
बस निकलने दो काफीया और रदीफ में)
लेख पढ़ें और लिखते रहें; संज
मौत के इंतजार में गुजरी
कुछ तो पैमाने यार में गुज़री
और कुछ एतबार में गुज़री।
मंज़िले ज़ीस्त हमसे सर न हुयी
यादे ग़ेसु ए यार में गुज़री।
आहट सी कोई आए
आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो।
जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो
तो करार आये
ये उम्र लम्हों में , सिमट जाये , तो क़रार आये ,
बात बिगड़ी भी , सँवर जाये , तो क़रार आये !
रातें महकी हो , चाँदनी में यहाँ , बरसों तो क्या ,
कभी दिन में भी , सुरूर आये , तो क़रार आये !
>< सत्तासिवां विषय
ज़िन्दगीउदाहरण
सुनो ऐ ज़िंदगी
ज़रा इक पल भर को
आराम तो दो
सांस तो लो
पृथ्वी सी हूँ
पृथ्वी नही हूँ मैं
उसके पैरों तले तो
आसमान है
और मेरे पैरों तले
मेरे पैरों तले ज़मीन है.. मेरे घर की !
रचनाकार हैं
कैलगरी,कनाडा की जोया
प्रेषण तिथिः 07 सितम्बर 2019
सायंकाल 3.00 बजे तक
ब्लॉग सम्पर्क फार्म के द्वारा
फिर मिलेंगे...
आपकी प्रस्तुति अति विशिष्ट रहती है दी जी...
जवाब देंहटाएंनवोदित रचनाकारों के लिये साहित्यिक लेखन में बिल्कुल प्रकाश पुंज सा..
विज्ञान और तकनीक का जयगान होना ही चाहिए, परंतु ये विनाशकारी न हो ?
प्रणाम सभी को।
उव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सदा की तरह..
सादर नमन...
लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह दी ग़ज़ल पर बढ़िया संकलन..आभार आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ सीखने को मिला।
सादर।
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़लें
सादर नमन
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन माला जोड़ी है ग़ज़लों की।
कुछ तो पैमाने यार में गुज़री
और कुछ एतबार में गुज़री।
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"very nice inspiration quotes about beauty-motivation456
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