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बुधवार, 18 सितंबर 2019
1524..दामन में चांद और सितारे भरे हैं...
8 टिप्पणियां:
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जवाब देंहटाएंदौरे तन्हाई में वो साथ चलते हैं ,
मेरी थकानो में छाँव धरते हैं ,
सारे जहां में चाहे खिज़ा छाये
वो फूल मेरे सिराहने महकते हैं .
उस एक आग को ख़ुदमे में दबा रखा
यह भी जीने का अपना तरीका है, इस उम्मीद से कि कोई तो अपना है..
बेहद सुन्दर प्रस्तुति, प्रणाम।
शुभ प्रभात 🙏💐 बहुत सुंदर प्रस्तुति।मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात दी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाये सजोये हुये हैं ये अंक अच्छा लगा पढ़कर।
मुझे स्थान देने के लिये धन्यवाद।
कहीं उजली, कहीं स्याह अधेंरों की दुनिया ,
कहीं आंचल छोटा, कहीं मुफलिसी में दुनिया।
सादर
वाहः
जवाब देंहटाएंगज़ब
सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी जी भुमिका में सरस काव्य रस्वादन,
जवाब देंहटाएंसभी लिंक शानदार मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।