कुछ लिखने का मन नहीं है
शायद गलती से लिख दिया होगा
खैर..जाने दीजिए...
रचनाएँ देखिए...
बेटियाँ ....अनुराधा चौहान
बेटियाँ भी अजीब होती हैं
इसलिए दिल के बेहद करीब होती हैं
लड़ती-झगड़ती रहती भाई-बहनों से
पीछे उनकी सलामती की दुआ माँगती
रूठ जाती माँ-बाप से नखरे दिखाती
बेटी.... अनीता सुधीर
तितली के रंगीन परों सी
जीवन में सारे रंग भरे
चंचलता उसकी आँखों में
चपलता उसकी बातों मे
थिरक थिरक कर चलती थी
सरगम सी बहती रहती थी
भी अच्छा लगता होगा। इस गीत की कई ख़ूबियों में से
एक यह है कि इस गीत की धुन केवल पांच सुरों के
मेल से बनी है । इस गीत के कर्णप्रिय होने का
एक कारण यही पांच सुर हैं ।
आज बस..
पर बाकी है विषय क्रमांक नब्बे
विषय
सुर
उदाहरण
जब सुर खनकते हैं,
बेजान साजों से,
आवाज़ के पंखों पर उड़ने लगता है कोई गीत जब,
झूम झूम लहराते हैं ये दिल क्योंकि..
संगीत दिलों का उत्सव है,
संगीत दिलों का उत्सव है...उत्सव है.....
रचनाकार-सजीव सारथी
अंतिम तिथि- 28 सितम्बर
शाम 3 बजे तक
प्रविष्ठियाँ ब्लॉग सम्पर्क फार्म द्वारा
एक फिल्मी गीत सुनिए..
तेरे सुर और मेरे गीत
-यशोदा
जीवित्पुत्रिका का व्रत महिलाओं ने बड़े ही उल्लास के साथ पिछले दिनों रखा । लगभग 33 घंटे का यह निर्जला व्रत अत्यंत कठिन होता है। उसी दिन बेटी दिवस रहा। एक विचार मन में आया है कि क्या पुत्रों की तरह पुत्रियों की लंबी आयु , खुशहाली और उनके स्वास्थ की कामना से भी कोई व्रत शास्त्रों में वर्णित है । जिन्हें माताएं रखती हैं ? वैसे , तो सामने नवरात्र पर्व है। शक्ति की उपासना होगी ही। , परंतु हमारे धर्मग्रंथों में पुत्र और पुत्रियों को लेकर फिर भी यह भेदभाव क्यों ?
जवाब देंहटाएंहाँ,बेटी दिवस पर जहाँ अभिभावक अपनी पुत्रियों के फोटो पोस्ट कर एवं उनकी प्रतिभाओं की चर्चा सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे थें। वहीं सेंट मेरी स्कूल मिर्जापुर की दो छात्राएँ डी.आर.जेनी और निखार सोनकर ने राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता के U-14 बालिका वर्ग की राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता में , जो कि 21 एवं 22 सितंबर को गाजियाबाद ग्रेटर नोएडा में संपन्न हुई, में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। दोनों ही छात्राओं ने कड़ी प्रतियोगिता में तेलंगाना को पराजित कर "कॉउंसिल' नेशनल स्पोर्ट्स" के चीफ एक्सक्यूटिव एंड सेक्रेटरी गरेरी अरथून के द्वारा गोल्ड मेडल प्राप्त किया। बिटिया रानी की इस उपलब्धि इनके अभिभावकों की खुशी देखते ही बनी।हम पत्रकारों ने भी फोटो सहित इस समाचार को प्राथमिकता दी। बेटी दिवस पर अपना भी तो कुछ कर्तव्य था, सो किया।
आप सभी की सुंदर और विचारोत्तेजक प्रस्तुति एवं रचना देख कुछ विचार मेरे मन में आ जाते हैं। अतः यहाँ टिप्पणी कर देता हूँ।
यदि कुछ अनुचित लिखता हूँ , तो मार्गदर्शन कर दिया करें दी..।
सादर प्रणाम ...।
आपके विचार संग्रहनीय अनुकरणीय होते हैं... स्त्री जननी है सृजन कर्त्ता है ईश के पहले नमन योग्य है अतः उसके लिए व्रत पूजा की जरूरत नहीं महसूस की गई होगी... आज भी जरूरत नहीं लगती है... एक बलात्कार का मुद्दा पर रख दिया जाए तो सारे मुद्दे की जड़ वो खुद है..
हटाएंये आपका अधिकार है। और फिर इतने मनोयोग से समय देकर टिप्पणी देना सबसे हो भी नहीं पाता है। स्वच्छंंद हो कर लिखें ।
हटाएंजी आभार आप सभी का, पुनः प्रणाम।
हटाएंलेकिन ,जब सोना लगा ज्युतिया धागा हम दोनों भाई पहनते थें , तो हमारी छोटी बहन ललचाई नजरों से उसे देखती थी कि उसे कोई क्यों नहीं पूछता है। खैर अब वह इस दुनिया में नहीं है और मैं ठहरा अब यतीम , फिर भी इस असमानता की याद हो आती है।
हटाएंसादर..
व्वाहहहह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
सारगर्भित रचनाएँ..
सादर....
सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार अंक संकलन, सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंभुमिका मनलुभाती सरल मन की सरल, सहज नीर धार ज्यों।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सुंदर भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति ! सभी लिंक उम्दा !
जवाब देंहटाएंज्योति कलश मेरा प्रिय गीत रहा है ,रचनाों का चुनाव सुरुचिपूर्ण है और प्रस्तुति का आकार इतना सहज-सीमित कि अंत तक आते-आते भी मन का चाव यथावत् बना रहता .इतने अबोझिल प्रस्तुतीकरण के लिये साधुवाद!
जवाब देंहटाएंस्त्री ही स्त्री की दुश्मन है और फिर ये रीतिरिवाज भी कम नहीं।
जवाब देंहटाएंअगर किसी ने बेटी के जन्म पर भी थाली बजाने वाले रिवाज को निभाया हो, मिठाई बंटवाई हो, या बेटी के होते ही एक बार के लिए भी मन भारी न हुआ हो तो ही आप बेटी के ऊपर लिख सकते हो वरना तो लोक दिखाई का प्यार वो भी मजबूरी में तो हर पुरुष और औरत करती है अपनी बेटी से।
दिल पर हाथ रखना और न्याय करना आपका काम है।
प्रस्तुति अच्छी।
बहुत सुंदर और सरस प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।
लाजबाब प्रस्तुति ,साथ में ये दोनों सुरीले गीतों ने तो चार चाँद लगा दिए ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं ,सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही मधुर और मेरे अति प्रिय गीत सुनवाने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! मन मगन हो गया इन्हें सुन कर और इनकी माधुरी में खोया हुआ है कल से आज तक !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏