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मंगलवार, 24 सितंबर 2019

1530..ज्योति कलश छलके, हुए गुलाबी लाल सुनहरे

सादर अभिवादन
कुछ लिखने का मन नहीं है

ख़ुदा की मोहब्बत को फ़ना कौन करेगा?
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा?

ये अश़आर है ज़नाब मिर्जा गालिब का
व्हाट्सएपप मेे बताया कि 
आज मिर्जा गालिब का दो सौ बीसवां जन्म दिवस है
शायद गलती से लिख दिया होगा
खैर..जाने दीजिए...
रचनाएँ देखिए...

माँ, माना कि तेरे आंगन की  गौरैया हूँ मैं...  
कभी इस डाल कभी उस डाल,  
फुदकती रहती हूँ यहाँ- वहाँ!  
विचरती रहती हूँ निर्भयता से,  
तेरी दहलीज के आर पार!  


मु्क्त छंद सा जीवन , 
अपनी लय में लीन , 
तटों में बहता रहे स्वच्छंद . 
न दोहा, न चौपाई - बद्ध कुंड हैं जल के. 
कुंडलिया छप्पय? बिलकुल नहीं - 

बेटियाँ ....अनुराधा चौहान

बेटियाँ भी अजीब होती हैं
इसलिए दिल के बेहद करीब होती हैं
लड़ती-झगड़ती रहती भाई-बहनों से
पीछे उनकी सलामती की दुआ माँगती
रूठ जाती माँ-बाप से नखरे दिखाती

बेटी.... अनीता सुधीर
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तितली के रंगीन परों सी
जीवन में सारे रंग भरे
चंचलता उसकी आँखों में
चपलता उसकी बातों मे
थिरक थिरक कर  चलती थी
सरगम सी बहती रहती थी



इक करिश्मा-सा हर इक बार दिखाती बेटी।
धूप  में छांह  का अहसास कराती  बेटी।

वक़्त के साथ में  चलने का हुनर आता है
वक़्त के हाथ से  इक लम्हा चुराती बेटी।

ज्योति कलश छलके,
हुए गुलाबी लाल सुनहरे
रंग दल बादल के.....
यह एक पुरानी फ़िल्म का गीत है । यह गीत आपको आज 
भी अच्छा लगता होगा। इस गीत की कई ख़ूबियों में से 
एक यह है कि इस गीत की धुन केवल पांच सुरों के 
मेल से बनी है । इस गीत के कर्णप्रिय होने का 
एक कारण यही पांच सुर हैं ।

आज बस..
पर बाकी है विषय क्रमांक नब्बे
विषय
सुर
उदाहरण 

जब सुर खनकते हैं,
बेजान साजों से,
आवाज़ के पंखों पर उड़ने लगता है कोई गीत जब,
झूम झूम लहराते हैं ये दिल क्योंकि..
संगीत दिलों का उत्सव है,
संगीत दिलों का उत्सव है...उत्सव है.....
रचनाकार-सजीव सारथी

अंतिम तिथि- 28 सितम्बर
शाम 3 बजे तक
प्रविष्ठियाँ ब्लॉग सम्पर्क फार्म द्वारा

एक फिल्मी गीत सुनिए..
तेरे सुर और मेरे गीत

-यशोदा

18 टिप्‍पणियां:

  1. जीवित्पुत्रिका का व्रत महिलाओं ने बड़े ही उल्लास के साथ पिछले दिनों रखा । लगभग 33 घंटे का यह निर्जला व्रत अत्यंत कठिन होता है। उसी दिन बेटी दिवस रहा। एक विचार मन में आया है कि क्या पुत्रों की तरह पुत्रियों की लंबी आयु , खुशहाली और उनके स्वास्थ की कामना से भी कोई व्रत शास्त्रों में वर्णित है । जिन्हें माताएं रखती हैं ? वैसे , तो सामने नवरात्र पर्व है। शक्ति की उपासना होगी ही। , परंतु हमारे धर्मग्रंथों में पुत्र और पुत्रियों को लेकर फिर भी यह भेदभाव क्यों ?
    हाँ,बेटी दिवस पर जहाँ अभिभावक अपनी पुत्रियों के फोटो पोस्ट कर एवं उनकी प्रतिभाओं की चर्चा सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे थें। वहीं सेंट मेरी स्कूल मिर्जापुर की दो छात्राएँ डी.आर.जेनी और निखार सोनकर ने राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता के U-14 बालिका वर्ग की राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता में , जो कि 21 एवं 22 सितंबर को गाजियाबाद ग्रेटर नोएडा में संपन्न हुई, में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। दोनों ही छात्राओं ने कड़ी प्रतियोगिता में तेलंगाना को पराजित कर "कॉउंसिल' नेशनल स्पोर्ट्स" के चीफ एक्सक्यूटिव एंड सेक्रेटरी गरेरी अरथून के द्वारा गोल्ड मेडल प्राप्त किया। बिटिया रानी की इस उपलब्धि इनके अभिभावकों की खुशी देखते ही बनी।हम पत्रकारों ने भी फोटो सहित इस समाचार को प्राथमिकता दी। बेटी दिवस पर अपना भी तो कुछ कर्तव्य था, सो किया।

    आप सभी की सुंदर और विचारोत्तेजक प्रस्तुति एवं रचना देख कुछ विचार मेरे मन में आ जाते हैं। अतः यहाँ टिप्पणी कर देता हूँ।
    यदि कुछ अनुचित लिखता हूँ , तो मार्गदर्शन कर दिया करें दी..।
    सादर प्रणाम ...।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके विचार संग्रहनीय अनुकरणीय होते हैं... स्त्री जननी है सृजन कर्त्ता है ईश के पहले नमन योग्य है अतः उसके लिए व्रत पूजा की जरूरत नहीं महसूस की गई होगी... आज भी जरूरत नहीं लगती है... एक बलात्कार का मुद्दा पर रख दिया जाए तो सारे मुद्दे की जड़ वो खुद है..

      हटाएं
    2. ये आपका अधिकार है। और फिर इतने मनोयोग से समय देकर टिप्पणी देना सबसे हो भी नहीं पाता है। स्वच्छंंद हो कर लिखें ।

      हटाएं
    3. जी आभार आप सभी का, पुनः प्रणाम।

      हटाएं
    4. लेकिन ,जब सोना लगा ज्युतिया धागा हम दोनों भाई पहनते थें , तो हमारी छोटी बहन ललचाई नजरों से उसे देखती थी कि उसे कोई क्यों नहीं पूछता है। खैर अब वह इस दुनिया में नहीं है और मैं ठहरा अब यतीम , फिर भी इस असमानता की याद हो आती है।
      सादर..

      हटाएं
  2. व्वाहहहह...
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    सारगर्भित रचनाएँ..
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  3. सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार अंक संकलन, सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
    भुमिका मनलुभाती सरल मन की सरल, सहज नीर धार ज्यों।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति ! सभी लिंक उम्दा !

    जवाब देंहटाएं
  6. ज्योति कलश मेरा प्रिय गीत रहा है ,रचनाों का चुनाव सुरुचिपूर्ण है और प्रस्तुति का आकार इतना सहज-सीमित कि अंत तक आते-आते भी मन का चाव यथावत् बना रहता .इतने अबोझिल प्रस्तुतीकरण के लिये साधुवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है और फिर ये रीतिरिवाज भी कम नहीं।
    अगर किसी ने बेटी के जन्म पर भी थाली बजाने वाले रिवाज को निभाया हो, मिठाई बंटवाई हो, या बेटी के होते ही एक बार के लिए भी मन भारी न हुआ हो तो ही आप बेटी के ऊपर लिख सकते हो वरना तो लोक दिखाई का प्यार वो भी मजबूरी में तो हर पुरुष और औरत करती है अपनी बेटी से।

    दिल पर हाथ रखना और न्याय करना आपका काम है।
    प्रस्तुति अच्छी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर और सरस प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. लाजबाब प्रस्तुति ,साथ में ये दोनों सुरीले गीतों ने तो चार चाँद लगा दिए ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं ,सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी🙏

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही मधुर और मेरे अति प्रिय गीत सुनवाने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! मन मगन हो गया इन्हें सुन कर और इनकी माधुरी में खोया हुआ है कल से आज तक !

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर संकलन...

    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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