हाज़िर हूँ.... उपस्थिति स्वीकार हो...नमक हलाल होना
नमक का हक अदा करना
नमक मिर्च लगाना
नमक हराम होना
जले पर नमक छिड़कना
घाव पर नमक छिड़कना
क्या सही या क्या गलत
क्या तुम ही स्वयं बता पाओगे
नमक
जेब से रूमाल निकालकर उन्होंने कुर्सी को झाड़ा और बोले, “बैठिए।” सफ़िया ने पुडि़या और बैग को मेज पर रख दिया। बाहर की तरफ़ झाँककर उन्होंने एक पुलिस वाले को इशारा किया। सफ़िया के पैर तले की जमीन खिसकने लगी-अब क्या होगा!
“दो चाय लाओ, अच्छी वाली।” पुलिसवाला सफ़िया को घूरता हुआ चला गया। फिर उन्होंने मेज की दराज खींची और उसमें अंदर दूर तक हाथ डालकर एक किताब निकाली। किताब को सफ़िया के सामने रखकर उन्होंने पहला सफ़ा खोल दिया। बाईं ओर नजरुल इस्लाम की तसवीर थी और टाइटल वाले सफ़े पर अंग्रेजी के कुछ धुँधले शब्द थे-“शमसुल इसलाम की तरफ़ से सुनील दास गुप्त को प्यार के साथ, ढाका 1946”
नमक
सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ करने से पूर्व गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार से 2 मार्च 1930 को वायसराय को पत्र लिखकर समझौता करने का भी प्रयास किया। परंतु उनका प्रयास असफल रहा । इसके पूर्व 30 जनवरी 1930 को अपने पत्र में यंग इंडिया द्वारा पूर्ण शराबबंदी, राजनैतिक बंदियों की मुक्ति, सैन्य व्यय में 50 प्रतिशत की कमी , सिविल सेवा के अधिकारियों के वेतन में कमी , शस्त्र कानून में सुधार, गुप्तचर व्यवस्था में परिवर्तन, रुपया स्टर्लिंग की दरों में कमी , विदेशी वस्त्र आयात पर प्रतिबंध , भारतीय समुद्र तट सिर्फ भारतीयों के लिए सुरक्षित, भूराजस्व में कमी तथा नमक कर की समाप्ति जैसी 11 मागें वायसराय इरविन के समक्ष रखी ।
भोर के उत्सव
गाँव बैठा शहर के
द्वारे पसारे हाथ
लौट आयेंगे कभी वो
जिनने छोड़ा साथ
आस कोमल-सी निगलता स्वार्थ का दानव
नून
मैं, मेरा औ मेरे अपने,
इनके बाहर निकल न पाया.
दूजे के पतझर पर ही क्यों,
अपने उपवन को हरियाया.
ये दिमाग तो जीत गया पर,
मेरे मन की हार हो गयी.
व्यंग्य किसान और जवान
आचार्य रामभरोसे का कहना है कि सुरक्षा बलों का मनोबल बना रहना बहुत जरूरी है। चाहे वे सीमा पर लड़ने वाले सैनिक हों या आंतरिक सुरक्षा वाली, पुलिस, सीआरपी, बीएसएफ, आरपीएफ, हो या औद्योगिक सुरक्षा बल हों। सरकार जानती है कि सीमा की सुरक्षा से आंतरिक सुरक्षा बहुत जरूरी है। जनता का असंतोष आसमान छू रहा है। पता नहीं वह थैला उठा कर मेहुल भाइयों के पास पहुंचने भी देगी या नहीं।
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पुन: भेंट होगी...
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