सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
कांकर-पाथर जोरि कै...तिरछी नज़र
हम में से शायद ही कोई कबीर की तरह सांचे हिरदे में 'आप' (भगवान) को खोजने की कोशिश करता होगा.
लेकिन हम इतना तो कर ही सकते हैं कि हम भगवान के रहने के लिए जो कांकर-पाथर जोड़ें वो कम से कम काली कमाई से तो न जोड़ें और वहां तो कोई पूजा-स्थल या इबादतगाह न बनाए जहाँ पहले से ही ऐसा कोई ढांचा खड़ा हो.
भले ही हमारी सच्ची कमाई से बनने वाला पूजा-स्थल आकार-प्रकार और अलंकरण में साधारण होगा किन्तु उसमें ईश-वन्दना का हमको भरपूर संतोष मिलेगा और मन को शांति भी प्राप्त होगी.
संत रैदास की उक्ति –
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’
को हमको आत्मसात करने की ज़रुरत है.
एक सी कब रात ठहरी आज पूनम कल अँधेरी।
सुख कभी आघात दुख का मार ये सब ने सही है।।
एक ही मानव सदा से चेल कितने है बदलता।
दूध शीतल रूप धरता और कहलाता दही है।
दिखावे का सच... पोएट एंड थॉट्स
रास नहीं गलियाँ आती।
जीवन बीता जिस घर में
खाट नहीं वो मन भाती।
धन वैभव सिर चढ़ बोला
भूल गए अपने भाई
जीतने की होड़ ऐसी...
शायद, जाग रही, सोई संवेदना,
या, चैतन्य हो चली चेतना!
या, हृदय चाहता, कोई एक पड़ाव,
आहत होने से पहले!
हम फूल एक फुलवारी के... अपराजिता
फूलों का परिवार हमारा,
जग भर में खुशहाल है।
किसी से कोई द्वेष नहीं है,
किसी से नहीं मलाल है ।
आंसुओं की भी तो भाषा होती है... पुरवाई
आंसुओं से डबडबाई आंखों में
नमक कितना गहरे चुभता है
कितना खारा हो जाया करता है
कोई कोमल मन।
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुन्दर अग्र पंक्तियों के साथ
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक..
आभार..
सादर..
अपने पड़ोसी से
जवाब देंहटाएंहमारी दूरी
असहज लगती है।
–हमारे बचपन में पड़ोसी का घर अपना होता था.. अब तो अपना घर भी अपने कमरे में सिमट गया है
उम्दा लिंक्स चयन
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंइंटरनेट के साथ
हम दुनिया के हर कोने से जुड़े रहते है
पर नाक के नीचे की दुनिया से अलग-थलग
सादर
सुंदर नायाब रचनाओं से रचा संकलन, सादर शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संचयन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंभूमिका सत्य के दर्शन करवाती सी सटीक।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को पांच लिंक में लेने के लिए हृदय तल से आभार।
सादर।
सभी रचनाएं शानदार...। आभार आपका
जवाब देंहटाएंआदरणीया
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार !