।। उषा स्वस्ति ।।
कागज कलम सभी के पर लिखते हैं कम,
सभी छिपाते ही रहते बस अपने गम।
मैंने अपना दर्द दिखाना सीख लिया,
मैंने तुमसे प्यार लुटाना सीख लिया।
आँसू के सँग गाना, गाना सीख लिया..!!
दीनानाथ सुमित्र
समेटकर आँसुओं के बूंदों को जिसने मुस्कराना सीख लिया ..
उसनें सही मायने में जीना सीख लिया..
चलिये चंद वैचारिक रूपों से रूबरू हो अब नज़र डालते हैं लिंको पर..✍️
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बसंत -बहार की बयार में बहने-बहकने का अधिकार सबका
बसंत की युवास्था का आनंद भी युवास्था वाले लड़के-लड़कियों यानी नई उम्र की नई फसल ने अपने लिए रिजर्व कर रखा है। वैसे है सबके लिए..लेकिन बसंत बहार में पगलाने - हकलाने- नाचने-गाने का पहला अवसर इन्हीं के हाथ लगता है। क्यों लगता है? वैलेंनटाइंस डे की कृपा से! अब बच्चे भी वैलेंटाइंस डे जानते हैं!
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उसने जाने क्या समझा है, उसने जाने क्या माना है?
मैंने तो कुछ किया नहीं है, फिर ये किसका अफ़साना है?
सिर्फ़ रात को नहीं टूटते, दिन में भी गिरते हैं तारे
सूरज वाले आसमान पर उनका भी आना-जाना है।
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मिलन !
मुझे भी नही मिलता !
मिलन !
तुम्हे समय नही मिलता ?
मुझे भी नही मिलता !
ये सोचकर बोलूं
कि मैं तुमसे मिलूं
हुँह !..
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छत से दूसरी छत के आज नजारे देखे हमने.
हर कहानी खुद मंजर नही कहता
जब बोलो अल्फाज चुनकर बोलो
घाव कितना देगा खंजर नही कहता
डॉ राजीव जोशी जी के ग़जल संग आज की प्रस्तुति यहीं तक कल आयेंगे आ०रवींद्र जी..
क्यों हवा में है नमी पुरवाईयों को क्या ख़बर
दर्द कितना धुन में है शहनाइयों को क्या ख़बर।
भीड़ है चारों तरफ पर हम अकेले भीड़ में
किस क़दर तन्हा हैं हम तन्हाइयों को क्या खबर।
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।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
विविध रंग समेटे इस प्रस्तुति के लिए आपका आभार। मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद। आपको बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ। सादर।
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदय से धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंप्रणाम..
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपम्मी सिंह.'तृप्ति'जी,
जवाब देंहटाएं"पांच लिंकों का आनन्द" में मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🌹🙏🌹 - डॉ शरद सिंह
बहुत रोचक सामग्री से भरपूर लिंक्स की प्रस्तुति पर आपको हार्दिक साधुवाद पम्मी जी 🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई 🙏
प्रिय पम्मी सिंह जी,
जवाब देंहटाएंकृपया इस लिंक पर पधारें... इसमें आपके दोहे भी शामिल हैं। धन्यवाद 🙏
दोहाकारों की दृष्टि में वसंत
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह