कल ज्वर हो आया था
अक्सर संधिकाल में ऐसा ही होता है
विद्या की देवी सरस्वती
विद्या की देवी सरस्वती का जन्मदिवस वसंत
पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है।
खासतौर से देवी भागवत में उल्लेख मिलता है कि
माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही
संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद,
शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी।
....
...स्तुति...
मूढ़ जगत में बुद्धि रूपे व्यापिनी
जननी वागीश्वरी वीणावादिनी
धवल उज्जवल मुख चंद्र सरीखा
कर में धारण वेद-पुराण ज्ञानिनी
झरे मृदु गान अधर स्मितमुस्कान
स्निग्ध,निर्मल,कोमल पतित पावनी
निःशब्द सृष्टि की मुखरित वाणी
वीणा झंकृत स्वर अमृत रागिनी
रंग की बरखा हिय आहृलादित
मधुमास धरा अलंकृत शोभायनी
द्वेष,क्लेश मुक्त कला,ज्ञान युक्त
शतदल सरोज हंस वाहन साजिनी
कर जोड़ शीश नत करूँ विनती माँ
दया दृष्टि चाहूँ हे, ज्ञानदीप प्रकाशिनी
#श्वेता
आज पढ़िए कुछ वासंतिक रचनाएँ
वीणावादिनी ! वरदहस्त तुम
मेरे सिर पर धर देना !
अपनी कृपा के सुमनों से माँ,
आँचल मेरा भर देना !
मैं नहीं योग्य, मैं नहीं शुद्ध,
ना निर्मल मन, ना मति प्रबुद्ध,
माँ अपनी दयावृष्टि करके
हर पातक मेरा हर लेना !
अपनी कृपा के सुमनों से माँ,
सुनो दिहाड़ी
मज़दूरन को
फूलों के गुलदस्ते देना ,
बंद गली
फिर राह न रोके
खुली सड़क चौरस्ते देना ,
साँझ ढले
स्लम की देहरी पर
उम्मीदों के दिए जलाना |
पवन सुहावनी है , रुत मनभावनी है
मेरे घर , मेरे उर में सखी बसंत है !
विमुख वियोग मो' से , समुख सुयोग मेरे
पल प्रतिपल पास प्राणप्रिय कंत है !
दांव - दांव जीत मेरी सांस - सांस गीत गावै
मेरे सुख आनंद को आदि है न अंत है !
जग में हज़ार राह , मोहे न किसी की चाह
मोहे प्राण से पियारो प्रणय को पंथ है !
कोशिशें अनथक करता हूँ कि,
रंग कोई दूसरा ही भर दूँ पीले अमलतास में,
वो लाल गुलमोहर हो मेरे अंकपाश में,
भीनी खुश्बुएँ इनकी हवाओं में लिख दे प्रेम,
सुबासित हों जाएँ ये हवाएँ प्रेम से,
न हो बेजार ये रंग, न हो खलिश खुश्बुओं की...
ऐतिहासिक कवियों ने भी आज के बारे में काफी कुछ लिक्खा है
विस्तार में जाऊँगी तो आपका उत्सव का आनन्द जाता रहेगा
चंद रचनाएँ..
मेरी पगध्वनि सुन जग जागा
कण-कण ने छवि मधुरस माँगा।
नव जीवन का संगीत बहा
पुलकों से भर आया दिगंत।
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गजरता बार-बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत-
वीरों का कैसा हो बसंत
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग
है वीर देश में किंतुं कंत-
वीरों का कैसा हो वसंत
शुभ प्रभात। माँ सरस्वती की कृपा सदैव इस पटल पर बनी रहे।
जवाब देंहटाएंया कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया। वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
(अर्थात,जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें)
आज की इस विशेष विलक्षण प्रस्तुति में मुझे भी शामिल करने के लिए विशेष रूप से आभारी हूँ।
समस्त गुणीजनों व रचनाकारों को नमन व सरस्वती पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।।।।।
सदैव स्वस्थ्य रहें
जवाब देंहटाएंआपके श्रमी होने को नमन
मातुश्री को नमन
जवाब देंहटाएंया कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
बढ़िया अंक..
सादर शुभकामनाएं..
जय शारदे मां
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बधाई
आपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंवाह बासंती रंगों से सराबोर आज की मनभावन
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति मातुश्री को नमन
वसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं सभी मनीषियों को 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंवाह👌👌👌 सुंदर अंकों से सजा बासंती अंक! बसंत जयंती की सभी को बहुत -बहुत शुभकामनाएं और बधाई ।🙏🙏🌹🌹💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी अंक संग्रहणीय रहा एक से बढ़कर एक अप्रतिम रचनाएं एक जगह देख मन हर्षित है बधाई। वीरू भाई
जवाब देंहटाएंvageeshnand.blogspot.com
बहुत सुंदर अंक। आप सबको बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई। मेरे ब्लॉग से माँ वीणापाणि की स्तुति को संकलन में जोड़ने हेतु बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएं