करूणामयी
रेखाचित्रों को
आज़ादी के
ऐतिहासिक पृष्ठों से
निकालकर चौराहों पर
पत्थर की मूर्तियों में
बदलते बहुरूपियों को
महत्वाकांक्षाओं की अटारी पर
कटारी लिए मचलते देख रही हूँ।
....
बस
कल फिर
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाओं के संग सस्नेहाशीष छोटी बहना
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सभी रचनाएँ प्यारी और सामयिक हैं। मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ प्यारी और सामयिक हैं। मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन किया है आपने।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार प्रिय यशोदा अग्रवाल जी 🙏
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
उम्दा लिंक्स व अंक
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत ही अच्छी हैं, सभी को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार यशोदा जी 🙏