सादर अभिवादन।
है
आज
मौसम
शोर भरा
पतंग उड़ी
चुनावी वादों की
लूटेगा कौन-कौन?
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
दीन-हीन दुर्बल न रहें वे,
हों किसान अथवा मजदूर
समुचित श्रम का प्रतिदान
मिले, वे समर्थ बनें न कि मजबूर !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjS1xa1EDQXZ8Q-b7qIbthwMFzIWJoLk0Vgpjakx7fCsTXzcoJmOA-aEQBUUaVh-o1jm-0-V6Rzao_r1JvJleU_Ll5UlE-RiP8htb8I2tP7YYVAlmEbFqrd0VHqCzUrLKrzz4KnQRNDtLPK/s320/IMG_20181119_194910.jpg)
नहीं है ख़ौफ़ मौसम का, न कोई डर हवाओं का
उड़ानों की लिए चाहत, परिन्दे घर से निकले हैं।
उड़ानों की लिए चाहत, परिन्दे घर से निकले हैं।
यादों में पगलाई शाम....श्वेता सिन्हा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAJENdZkFU_JAnDJ8PcsY_7e9G7ZAnjIPcH3lQGf9dqUReP3DKX1zApBEeycHOS2PUMNXrPxjV-Qy4GSbRwzIVgW6Q6-CY6LcDCkjT05NnG-s6JzQBlcN_AU-soI5rhhBwVFqnPjgtWC0/s400/gplus1011508361.png)
छत के मुंडेरों के
कोने में छुप गयी
रोती गीली गीली शाम
कुछ बूँदें छितराकर
तुलसी के चौबारे पर
![My photo](https://lh3.googleusercontent.com/-qHZeVzPAf90/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAAJ4/-LmJZkGIGX4/s80-c/photo.jpg)
ये जिंदगी हर पल सबका कड़ा इम्तेहान लेती है
आसान होता नहीं सबके लिए उसे पास कर पाना
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicznQl_WLqDuur7ELTB0gCc7PFoAWCIGlYd89mzoU3Tyx8cb90UO2trKyljw6tl20zQCjuqEFCDDh5jP5hSM87-_6i0FavvMrVrRHqF-GsMoY0z2Q3RXjPBrQzjsZbNp5VIGG1ALpAxsQ/s280/IMG-20190119-WA0026.jpg)
खेत मेरे ,दो बूंद पानी को तरसते रहे,
शेयर बाज़ार से आप कौनसी अच्छी ख़बर लाये हैं,
बदन से आज भी मिटटी की भीनी बू नही जाती,
कई बार किसान तुम्हारे जुठ वादों में नहायें हैं,
सन 1818 में ब्रिटिश जनरल टेलर ने पहली बार इन स्तूपों का वर्णन किया पर तब भी पुनर्स्थापना का काम नहीं हुआ. 1912 से 1919 तक इस जगह को पुरात्तव विभाग - ASI ने सर जॉन हुबर्ट मार्शल के नेतृत्व में फिर से विकसित करने का प्रयास किया. 1989 में इसे विश्व धरोहर या World
Heritage Site का दर्जा मिला.
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
कुछ मेरी कलम से यशोदा अग्रवाल पढ़ने का जूनून :)…संजय भास्कर
तलाशें..उन सफेदपोशों
यहाँ देखिए
दृष्टि
दृष्टि में आज पढ़िए-
कुछ मेरी कलम से यशोदा अग्रवाल पढ़ने का जूनून :)…संजय भास्कर
तलाशें..उन सफेदपोशों
और सरकारी अमले में से
विभीषणों और जयचंदों को
जो इन आतंकवादियों को
खबरें मुहैय्या करवाते हैं
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव