विस्मय नही मेरे चेहरे पर हृदय पर एक गहरी चोट लगी इसलिए नही मैं दोषारोपित हुई,अपितु इसलिए कि मेरी दादी की जीवनी उनकी दादी की सबके बहूओं की जीवनी,सबकी यही कहानी थी,और इतने सदियों बाद आज मेरी भी।
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जवाब देंहटाएंयह शुभकार्य कौन करेग? मैंने तो देखा कि उच्चशिक्षा प्राप्त महिलाएँ भी पति को घर का मुखिया मान उसकी फटकार को भी प्रेम समझ सहती हैंं। तब बात वे नारी जाति के अधिकार की नहीं, गृहस्थ जीवन के समझौते की करती हैंं। उनकी रचनाओं का जग में बड़ा नाम होता है,पर घर मे वह रद्दी कागज का चुटका होता है।
जिन्हें घर के पुरुषों की विचारधारा बदलनी चाहिए,वे जग की स्त्रियों के अधिकार की बात करती है।
नहीं समझ पाता कभी कभी ये नारी शक्ति क्या बात करती है।
सुंदर अंक, सभी को सुबह का प्रणाम, चिन्तन के लिंक पढ़ कर कोई सामग्री मिल ही जाती है मुझे। आभार आप सभी का।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंउपयोगी अंक...
आभार..
सादर..
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंनारी की बदलती तस्वीर हमारे पंगु समाज को एथलेटिक बनाने जैसा रहेगा.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अच्छी रचनाओं का समावेश है..कुछ मार्मिक और कुछ जज्बे से भरी समाज की कुप्रथाओं पर चोट देती हुई.
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं का समावेश के साथ आज की प्रस्तुति बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुंदर प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाए
मेरी रचना को यहाँ जगह देने के लिए आभार ........सहृदय
ईवीएम का द्वंद्व
दल दलदल
भोली जनता
लोकतंत्र
चुनाव
छल
है? .....बहुत खूब आदरणीय ......यथार्थ !
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन.... ।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएं। मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली वर्ण पिरामिड के साथ लाज़वाब सारगर्भित रचनाओं का सार्थक संयोजन...बहुत सुंदर अंक है रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति। बेहतरीन रचनाओं का संकलन है जो अलग-अलग तरह के विचारों से हमारा परिचय कराता है। लाजवाब उल्टा वर्ण पिरामिड है भूमिका में।
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