विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ.
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मेरी वफ़ा ज़ाया तो नहीं गई
जवाब देंहटाएंअश्कों-आहों का इनाम पाया।
बहुत सुंदर अंक। मेरी अनुभूतियों को स्थान देने के लिये रवींद्र हृदय से आभार। सभी को सुबह का प्रणाम। चौरेहे पर आज बिल्कुल सन्नाटा है और इस गलन भरी सुबह में जीप की प्रतीक्षा करते हुये इस लिंक की रचनाओं को पढ़ने का आनंद चाय की प्याली से बेहतर है।
जी बहुत सुंदर लेख और सोच है आपकी कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंवृद्धाश्रम जिनकों मिला वे भी किस्मत वाले हैं,यहाँ अपने शहर में ऐसे लोग सड़कों पर दिन गुजर रहे है। उनमें हैप्पी मिठ्ठू जी भी हैं। जिनसे में प्रतिदिन सुबह मुलाकात करता हूं।
शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी..
जवाब देंहटाएंसर्व प्रथम हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ
श्रेष्ठ प्रस्तुति...
विशेष कर द्वितीय पारी विषयक आलेख..
साधुवाद..
सादर..
सुप्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुती
बेहतरीन रचनाएं
आभार....पढवाने के लिए
सुबह सुबह सुन्दर सृजन के साथ दिन की शुरूआत इस से बेहतर क्या हो सकता है । आप सभी का बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय रविन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हलचल का संकलन, बहुत सुन्दर रचनाएँ,
सभी रचनकारों को व हलचल परिवार को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
सादर
वाह बहुत सुन्दर प्र्स्तुति रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवींद्र जी ,सादर नमस्कार,मेरे लेख को इस संकलन में स्थान देने के लिए सहृदय धन्यवाद , आभार आप का ,सभी रचनाकारों को बधाई एवं हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ,हमारी हिंदी भाषा यूँ ही हरी भरी रहे.......
जवाब देंहटाएंविश्व हिंदी दिवस की पैतालीसवें वर्षगाँठ और इस सुन्दर प्रस्तुति की बधाई!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन..
जवाब देंहटाएंरवींद्र जी..बेहद सारगर्भित भूमिका के साथ लाज़वाब रचनाएँ पढ़ने मिली आज के अंक में।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहद उम्दा है...बधाई आपको सुंदर प्रस्तुति के लिए और शुभकामनाएँ सभी रचनाकारों को।
सादर।
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक्स...
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