11जनवरी, 1860 - 13 सितम्बर 1928
श्रीधर पाठक का समान अधिकार था।
में अच्छी कविता की हैं। उनकी ब्रजभाषा सहज
और निराडम्बर है, परंपरागत रूढ़ शब्दावली का
प्रयोग उन्होंने प्रायः नहीं किया है। खड़ी बोली में
काव्य रचना कर श्रीधर पाठक ने गद्य और
पद्य की भाषाओं में एकता स्थापित करने का एतिहासिक कार्य किया। खड़ी बोली के वे
प्रथम समर्थ कवि भी कहे जा सकते हैं। यद्यपि
इनकी खड़ी बोली में कहीं-कहीं ब्रजभाषा के
क्रियापद भी प्रयुक्त है, किन्तु यह क्रम महत्वपूर्ण
नहीं है कि महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा
'सरस्वती' का सम्पादन संभालने से पूर्व ही
उन्होंने खड़ी बोली में कविता लिखकर
अपनी स्वच्छन्द वृत्ति का परिचय दिया।
देश-प्रेम, समाज सुधार तथा प्रकृति-चित्रण
उनकी कविता के मुख्य विषय थे। उन्होने बड़े
मनोयोग से देश का गौरव गान किया है, किन्तु
देश भक्ति के साथ उनमें भारतेंदु कालीन
कवियों के समान राजभक्ति भी मिलती है।
★★★★★
सागर के बीच
उसकी छाती पर,
आसमान में चमकते
सूरज के ठीक नीचे,
खो जाती हैं दिशाएं,
अपनी सार्थकता खोकर।
आखिर शून्य के प्रसार की इस
अनंत निस्सीमता
जिसका न ओर
न छोर।
आदरणीय अभिषेक ठाकुर
वजूद तक नहीं रहता, फासला जहां नहीं रहता
जिस भी गली मैं देखूँ, केवल वहाँ नहीं रहता
मुद्दतें गुज़रीं, अब किससे मिलने आए हो
वो शख्स कोई और था, अब यहाँ नहीं रहता
आदरणीया रश्मि जी
फिर से उसे प्यार करना है
ज़िंदगी में ग़म
शुमार करना है
एक बार फिर से
उसे प्यार करना है
वक़्त के ख़ाली लिफ़ाफ़े से
अब जी नहीं बहलता
फूलों की गमक से
अपनी शाम भरना है
एक बड़ी कम्पनी में काम करता था और उस
कम्पनी ने मोहनी को रखना चाहा था तो आपने
विरोध किया था... समय का पहिया
बहुत तेज़ी से बदला...
आदरणीया नुपूर जी का काव्य पाठ का आनंद लीजिए
अपने बड़ों के हाथों का बुना स्वेटर
जवाब देंहटाएंमेरा काम होगा
चलना,
अंत की ओर
अपने अनंत के।
और सब देखेंगे
दिशाएं
मेरी
करवटों में
अनंतता की!
सुंदर और भावपूर्ण विचारोंं वाला अंक ।
सभी को सुबह का प्रणाम।
शुभ प्रभात सखी..
जवाब देंहटाएंउत्तम प्रस्तुति...
ज़िंदगी में ग़म
शुमार करना है
एक बार फिर से
उसे प्यार करना है
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।श्रीधर पाठक जी को नमन।सभी लिंक्स रोचक हैं। मेरी रचना को शामिल करने के लिए दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद श्वेता जी । हार्दिक आभार । आदरणीय
जवाब देंहटाएंश्रीधर पाठक जी के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा । उनकी रचनाएं पढ़ने का मन हो आया ।
सभी रचनाकारों को बधाई !
सुबह का ज़ायका नमकीन हो गया ।
चाय का स्वाद दूना हो गया ।
शुक्रिया ।
हार्दिक आभार बहना सस्नेहाशीष संग
जवाब देंहटाएंश्रीधर पाठक को नमन
वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक भूमिका के साथ खूबसूरत लिंकों का चयन..
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
धन्यवाद।
आभार.... श्वेता जी ,इतनी अच्छी रचनाओं को हम तक पहुंचने के लिए ,सारी रचनाये एक से बढ़ कर एक है ,लेकिन सब से अनमोल और हृदयस्पर्शी लेख गौतम जी का ,दिल भर आया और आँखे नम गई ,स्नेह सखी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
उम्दा रचनाएँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल की प्रस्तुति श्वेता जी
जवाब देंहटाएंसादर