सत्य की सदा जीत होती है।
रही है कि मालूम होता है सत्य को काठ मार गया है।
परोसता, आज मीडिया की भूमिका उस सेल्समैन की भाँति है
जो जनमानस को लुभावने और प्रचलित उत्पाद सनसनी
बनाकर परोसता है।
हाँ मानती हूँ चंद मुट्ठीभर ईमानदार हैंं
पर उनका भी वही हश्र है जो हर क्षेत्र में ईमानदारी का है।
-श्वेता
पूरा विश्व, एक हो जाए।
इक दूजे के साथ बैठकर,
बिना लड़े,भोजन कर पायें।
विश्वबन्धु, भावना जगाने, घर से निकले मेरे गीत।
एक दिवस जग अपना होगा, सपना देखें मेरे गीत।
एक प्रवचन में कहते है। हिंसा हमारे अंदर है। यदि किसी दिन
अखबार में हत्या, बलात्कार की खबर न हो तो हम कहते है आज
कोई खबर नहीं है अखबार में! हम हिंसक है। भाई भाई में झगड़ा
करते है पर परोसी से हो तो एक हो जाते, फिर गांव गांव हो तो एक
हो जाते और फिर देश देश से हो तो एक हो जाते। यह हमारी
हिंसात्मक होने का प्रतीक है।
आदरणीय रवींद्र जी
सड़क पर प्रसव
सड़क पर प्रसव
राजधानी में
पथरीला ज़मीर
कराहती बेघर नारी
झेलती जनवरी की
ठण्ड और प्रसव-पीर
आदरणीय शान्तनु सान्याल
सुबह से पहले...
हर एक अट्टहास के बाद, कुछ देर ज़रूर
ख़ामोशी करती है राज, और इसी
दौरान पैदा होते हैं अकल्पित
इन्क़लाब। धर्म - अधर्म
की दुहाई देने वाले
अचानक जब
साध जाएं
आदरणीया आशा सक्सेना
दोस्त ..
दोस्ती होती दिल से
कोई जोर जबरदस्ती नहीं
जब मन मिल जाएं
कोई उसे तोड़ नहीं सकता
है यह एक ऐसी भावना
जो हो जुड़ी दिल से
★★★★
आज का यह अंक आपको
कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं
की प्रतीक्षा रहती है।
कल का अंक पढ़ना न भूले
विभा दी लेकर आ रही हैं
विशेष प्रस्तुति
हमक़दम का विषय के लिए
यहाँ देखिए
आज के लिए मुझे आज्ञा दें।
-श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंसड़क पर प्रसव
राजधानी में
पथरीला ज़मीर
कराहती बेघर नारी
झेलती जनवरी की
ठण्ड और प्रसव-पीर
भारत का दर्द...
सभी रचनाएँ बढ़िया..
सादर..
आज मीडिया की भूमिका उस सेल्समैन की भाँति है
जवाब देंहटाएंजो जनमानस को लुभावने और प्रचलित उत्पाद सनसनी
बनाकर परोसता है।
बात तो सही है ,लेकिन बेचारे उन पत्रकारों का क्या कसूर है,जिनके लिये दो जून की रोटी की व्यवस्था करना भी उस समाज ने उचित नहीं समझा, जिनके लिये वे लिखते रहें, मिटते रहें और अब बिकते हैं, उन्हीं सुविधाओं के लिये।
सभी को सुबह का प्रणाम,
इस सुंदर अंक के लिये भी..।
सत्य पर बहुत बातें
जवाब देंहटाएंसब खैरियत ?
सुंदर संकलन
सुप्रभात |उम्दा लिंक्स|मेरी रचनाशामिल करने हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और दमदार भूमिका। बस एक बात पर आपसे अलग राय। मुठ्ठी भर बेईमान हैं जो बहुसंख्यक ईमानदार पर हावी है। इसीलिए कहता हूं कि निष्क्रिय सज्जन सक्रिय दुर्जन से ज्यादा घातक है समाज के लिए। सुंदर संकलन। आभार और बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत पेशकश।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसादर
वाह बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहद उम्दा
कलमकारों को खूब बधाई
सुंदर सटीक प्रस्तुति श्वेता दीदी
सभी को सादर नमन शुभ संध्या
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन प्रिय श्वेता |सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंमीडिया के चरित्र पर विचारोत्तेजक बहस आरम्भ करती सटीक भूमिका। सुन्दर विविध विषयी रचनाओं का संकलन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना को इस प्रतिष्ठित पटल पर प्रदर्शित करने हेतु आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंNice poem by Shveta Sinha
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