चलते हुए एक और रचना
उलूक के दरबार से
गाँधी खुद
एक इतिहास
और इतिहास
शुंड भिशुंड हो गया
गली मोहल्ले
शहर जिले
प्रदेश से
बाहर कहीं
‘उलूक’
कौन
जानता है तुझे
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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जवाब देंहटाएंमैं ही प्यासा हू और मुझी में समुन्दर हैं
ज़िन्दगी तुझ सा कोई अय्यार नही
सुंदर अंक और गीत भी क्या खूब-
"कुछ नहीं चाहिए , तू अगर साथ है.."
सभी को सुबह का प्रणाम।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंगाँधी खुद
एक इतिहास
हो गया..
एक बेहतरीन अंक...
सादर....
सर्दी के इंतज़ार में देवदार के ठूंठ न सूखें
जवाब देंहटाएंतो बर्फ की सफ़ेद चादर तले प्रेम के अंकुर नहीं फूटते
सुप्रभात,
अत्यंत सुंदर अंक और लाज़वाब रचनाये।
आभार
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सजी खूबसूरत प्रस्तुति। आभार 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंप्रिय पम्मी बहन --मनभावन प्रस्तुति। खासकर भूमिका में जो रचना लगाई है आपने बेहद संदेशपरक् और हृदयग्राही है। दिगम्बर जी और जफर जी की खूबसूरत गज़लें और उलूक वाणी बहुत उल्लेखनीय है।सभी रचनाकारों मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। आपको हार्दिक स्नेह के साथ मेरी बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंभूमिकाओं की उत्कृष्ट लड़ियों से सजी सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह.. बहुत सुंदर पंक्तियाँ भूमिका की पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ है सारी आज के अंक में..सुंदर संकलन पढ़वाने के लिए आभार।
आदरणीय पम्मी जी बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी द्वारा। विविध विषयक सुन्दर रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। एक यादगार गीत से तरोताज़ा करता वीडियो। भूमिका में निधि सक्सेना जी रचना सबका ध्यान आकृष्ट करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका पम्मी जी मेरी रचना से आज के लिंक्स की शुरुआत करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स कमाल के हैं ... अनुपम साहित्य की धरा ...
शानदार प्रस्तुतिकरण लाजवाब लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद पम्मी जी।
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