यथायोग्य सभी को
जहाँ संस्कार में जहर है घुला
वहाँ दूध ढूँढ़ रहे दूध का धुला
बदल देना तुम जितना बदल सको
शह हो चुकी है तुम ना दहल सको
‘इच्छा’, ‘वासना’, ‘कामना’, ’त्याग तो सही’
'पिपासा'/'तृष्णा से बच’ दूर भाग तो सही'
बुझालो अपनी पिपासा
पपीहा : एक पक्षी होता है जिसे
चातक के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि यह केवल स्वाती नक्षत्र में
होने वाली वर्षा का ही जल पीता है ।
कुछ खग चिंत्तित्त ,बैठे हैं डाल पर
प्यासे हैं ,धैर्य धरे अपने हाल पर
उनको दिखता ,चाल है कोई
बिना स्वार्थ ना दुनियां रोई
प्यासानासा का वैज्ञानिक देख ।
हैरान और सोच रहा था ।।
एक UFO सूरज से 3 दिन तक ।
जब ऊर्जा सोख रहा था ।।
प्यासी इन्द्रावतीगवाह है बस्तर के उन वीर आदिवासियों की
जिन्होंने भूमकाल किये और शासन-सत्ता को चेताया।
यह नदी गवाह है राजतंत्र के लोकतंत्र में विलय की और
उसके बाद के अनेक उठापटकों, खीचतानों और अंतत:
महाराजा प्रवीर चन्द्र भंजदेव की हत्या की।
दृष्टिपास प्यासे के कुआँ आता नहीं है,
यह कहावत है, अमरवाणी नहीं है, और जिस के पास
देने को न कुछ भी एक भी ऐसा यहाँ प्राणी नहीं है, कर स्वयं
हर गीत का श्रृंगार जाने देवता को कौनसा भा जाए!
चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ दर्पण किन्तु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं,
><
फिर मिलेंगे...
अब बारी है हम-क़दम की
चौवनवाँ विषय
मानवता
उदाहरणः
मानवता भी मानवीयता छोड़
अमानवीयता पर उतरी तो
मानव मन हुआ
चिंतित, परेशान।
व्याकुल होकर पूछा-आखिर क्यों?
मानवीयता ने
नासमझ मन को समझाया,
जो दिख रही है अमानवीयता
कल तक थी मानवीयता,
सत्य है।
रचनाकार हैं
राजा कुमारेद्र सिंह सेंगर
अंतिम तिथिः 19 जनवरी 2019
प्रकाशन तिथिः 21 जनवरी 2019
आदरणीय दीदी...
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
बेहतरीन प्रस्तुति...
सदा की तरह लाजवाब...
सादर...
पिपासा'/'तृष्णा से बच’
जवाब देंहटाएंजी बहुत सुंदर संदेश...
फिर भी दुनिया इसी में रमी ही, जो बचा है वह ठगा है।
सभी को सुबह का प्रणाम।
सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह! मन आनंदित हो उठा, ऐसी अनूठी प्रस्तुति पढ़कर।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएं...बेहद सुंदर विशेषांक सुंदर रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंलाजवाब....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाए