सादर अभिवादन।
बदलते मौसम में
आस्थाओं को बदलने का
दौर भी आता है
रुख़ करता है उस ओर अवसरवादी
जिस पाले में अधिक पाता है।
आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस है।
सरकारें तम्बाकू उत्पादों से टैक्स कमाती रहेंगीं
तम्बाकू सेवन करने वालों की जानें जाती रहेंगीं
नशे की लत उम्र घटाती रहेगी
स्वजनों को रह-रहकर सताती रहेगी।
आइये अब आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर चलें जहाँ हलचल से
रूबरू होते हैं हम ज़माने की -
रूबरू होते हैं हम ज़माने की -
मैं इश्क हूँ
मैं अमृता हूँ
मैं साहिर के होठों से लगी
उसके उंगलियों के बीच
जलता हुआ एहसास हूँ....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSb3Do7whZAIC5oBuwwDRz1giZSbNqFWrpfak3d2M8oizMdRZ9paMCJIiVPt-n-pG-TeAUmoHUxA9Z4MS-kTbGXoBhAhoN1Ukc64Ou6G_BeRgcAG-vLjK1N4YlQykNw9nOpJ2sTWrk8gI/s320/IMG-20170804-WA0021.jpg)
एक मुसाफिर अंजान डगर का
धुंधली सी भीगी सी राहें
ना कोई साथी ना ही कारवां ।
"जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे
तोबे ऐकला चोलो रे"
फिर हमें आवाज़ देकर क्यूं पुकारा ये बता दे ........ राजेश कुमार राय
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzhC5M8dNmJXlBlouzGOVlNXI7ityYEj5Nt5-1V3i8PDzhHMjQ1LH-MO_D9ogPFOSghesln0-fsJM1O5-6vmFY1P8zVy5PToC8GNN9HERmATJy0PaDIZh8i52WbtQEiPdRaybr01jajyNS/s320/FB_IMG_1494727456620.jpg)
तुमने रिश्तों की सियासत में हमें उलझा दिया है
इस तिज़ारत में हुआ कितना ख़सारा ये बता दे
हादसों को रोकने का तुमने वादा भी किया था
हादसा तब क्यों हुआ फिर से दुबारा ये बता दे
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzhC5M8dNmJXlBlouzGOVlNXI7ityYEj5Nt5-1V3i8PDzhHMjQ1LH-MO_D9ogPFOSghesln0-fsJM1O5-6vmFY1P8zVy5PToC8GNN9HERmATJy0PaDIZh8i52WbtQEiPdRaybr01jajyNS/s320/FB_IMG_1494727456620.jpg)
तुमने रिश्तों की सियासत में हमें उलझा दिया है
इस तिज़ारत में हुआ कितना ख़सारा ये बता दे
हादसों को रोकने का तुमने वादा भी किया था
हादसा तब क्यों हुआ फिर से दुबारा ये बता दे
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghBlgGpVb8oDpvkhTtxomLWwVphDjASHCgRnqEuOIcOIqM0a2k6UivKj-Iy6M-zBWxL6l-S-faA3kMgWY8PahfHRRW_j5zIOM9Y001d02uZlTYI-ytxY0q5DBWpu50eY1XMPy2g-RlwC8/s1600/ShwetaMisra.jpg)
मन का कोलाहल
प्रखर हो जाता है
मौन का बसेरा मन
जब पता है
गहरा समुद्र भी
कभी कभी मौन
हो जाता है
एकांकी हो कर भी
चाँद सभी का कहलाता है
![मà¥à¤°à¥ फ़à¥à¤à¥](https://lh3.googleusercontent.com/-590E_2ewyGk/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAABg/ukGzYeeWZVM/s80-c/photo.jpg)
लेखन का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है,उतने ही विस्तृत है हमारे विचार,उतनी ही विस्तृत है हमारी भावनायें और इन सबका कारण है-हमारे आसपास फैला,सामाजिक ताने-बाने से बुना ये विस्तृत संसार।'अपने विचारों और भावनाओ के सहयोग से विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों और घटनाओं को गहरायी से...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAxkSAuAwITDgyNjhFAiNRwqOUKViHJNp83znQEextR9-sE5nzk-vryO0F2l-zZX4siqOYVQi68bB1uPSgGU4qIZy4OHxulD3YWtgsUGLh8FnWLmz0OY53cX8gmeNQr6VZaW49unDKWHm2/s1600/images+%25281%2529.png)
सवाल करना बेकार है,
हमारा ही आदमी है,
हमारी ही व्यवस्था है,
जो कोई देखे सुने
वो गूंगा, बहरा अँधा है,
मुंह पर चुप रहने की सिलिप लगाओ,
व्यवस्था को कोसने से बाज आओ,
जंहा जाओगे यही हाल मिलेगा
कर्मचारी ग़ायब, शिकायतों का अंबार मिलेगा।
जिन्दगी क्यूँकर सवाल है .....विजयलक्ष्मी
सदके में तेरे सबकुछ दिया
हुई अब जीस्त भी निहाल है ||
जख्म मेरे क्यूँ रख दू गिरवी
दर्द करता रफू भी कमाल है ||
और अब चलते-चलते आनन्द लीजिये आदरणीय राही जी की छायाचित्रण कला और पक्षी ज्ञान शृंखला का -
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEinTq69ZUk6BqFetJO1udMS8D5-xjmZIPXtNbtrwvL0oG23CdG50fy1awn1NRUFYx2EZV12MM408YWk4uPpOtFJaiYSRQ1cHIi5Tcw80mLzgjXQre3gQfj50Wgv0wWeSj0XARy5HRgM5J5G/s640/54a.jpg)
कौवा , जिसे भारतीय, ग्रेनेक्ड, सिलोन या कोलंबो क्रो के नाम से भी जाना जाता है, जो एशियाई मूल की कौवा परिवार का एक आम पक्षी है, लेकिन शिपिंग की सहायता से अब दुनिया के कई हिस्सों में पाया जाता है।
आज के लिये बस इतना ही।
मिलते हैं फिर अगले गुरूवार।
कल अपनी प्रस्तुति के साथ आ रही हैं आदरणीया श्वेता सिन्हा जी।
रवीन्द्र सिंह यादव