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बुधवार, 2 मई 2018
1020.. हर इक खबर से उठ रही है ..लपटें ..
16 टिप्पणियां:
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2 तारीख की प्रस्तुति लगता है कुछ पहले प्रकाशित हो गयी है। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ चुनी आपने
आभार
सादर
बहुत सुन्दर रचनाएँ.
जवाब देंहटाएंज्वलंत विषय हर खबर मे आग की लपट...अब चाय और खबर साथ रहे तो क्या मजाल के कोई शिकायत भी कर पाये के चाय ठंडी हो गई...
जवाब देंहटाएंखैर संक्षिप्त मै बहुत कुछ कहती प्रस्तुति, सभी रचनाऐं बहुत सुंदर
केवल हम ही हम अच्छे ..
जवाब देंहटाएंभरम पाले रिश्ते खो देते
उम्दा लिंक्स चयन
वाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनायें
शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंआपने शेल्फ़ से उठा कर किताब मेज पर रख दी ।
उम्मीद है कुछ लोग पन्ने पलट कर भी देखेंगे ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंठंडक प्रदान करता हुआ संकलन ... आभार ।
जवाब देंहटाएंगंभीर भूमिका के साथ एक से बढ़कर एक रचनओं का शानदार संयोजन पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक मुद्दों को समेटती आदरणीया पम्मी जी की सुन्दर प्रस्तुति। प्रस्तावना में उद्वेलित करते समाचारों का ज़िक्र अब एक कड़वी सच्चाई है।
जवाब देंहटाएंइस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रिय पम्मी जी -- बेहतरीन लिंकों के साथ सुंदर प्रस्तुती | सभी लिंक देखे | सभी रचनाएँ सार्थक हैं | आदरणीय नुपुरम जी की रचना पर मेरा कमेंट दिखाई नहीं दिया | उन्हें यही से बधाई देती हूँ | समाचारों में कोई अच्छी खबर आना प्राय दुर्लभ सा हो गया है | यही कटु सत्य है रोजमर्रा की जिन्दगी का |आपको हार्दिक बधाई आज के सुंदर लिंक संयोजन के लिए | सस्नेह --
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक अभिव्यक्ति
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