को कुछ तो कह देना हो रहा है...... डॉ. सुशील कुमार जोशी
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जवाब देंहटाएंकानपुर और कुवैत
दोनो नामराशि मित्र हैं
सो अगाड़ी-पिछाड़ी बैठ गऐ
आगे से टकराई तो कानपुर गया
किसी ने पिछवाड़े से वार किया
तो कुवैत चल देगा...बीच के हम लोग तो
अपने-आप साफ-सुथरे हो जाएँगै
अच्छी रचनाएं पढ़वाई
सादर
उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष
आदरणीय रवींंद्र जी
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्।
सारगर्भित, विचारणीय भूमिका के साथ बहुत अच्छी रचनाओं का शानदार संकलन आज के अंक की विशेषता है।
प्रदूषण का बढ़ता स्तर बड़े शहरों के स्वास्थ्य लिए तो घातक है ही पर गाँवोंं की ओर फैलता यह लाइलाज़ बीमारी भविष्य के लिए अशुभ संकेत है।
आभार एक सुंदर संकलन के लिए।
आभार रवींद्र जी 'उलूक' के सूत्र को आज की सुन्दर प्रस्तुति में स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।.........
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है ।
तूफान के बाद शांति सबसे पुराना जुमला है, तूफान के बाद की शांति याने तबाही और विनाश के बाद की मजबूरी
जवाब देंहटाएंजो बस दहसत छोड जाती है खैर शानदार भुमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति सुंदर रचनाऐं, सभी रचनाकारों को बधाई ।
बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संकलन .... बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअपने आप में परिपूर्ण रचनाओं का समायोजन हैं इस पोस्ट में।
जवाब देंहटाएंशांति के मुद्दे की एक मजेदार बात यह है कि
शांति के मुद्दे से अशांति फैल गयी
इस अशांति से लेकिन शांति नहीं आने वाली।
हवाहवाई ...,😁😁😁😁😂
बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संकलन,
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
उत्तम संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,बहुत खूबसूरत संकलन ..सभी रचनाएँ एक से बढकर एक....सुंंदर भूमिका ..!!
जवाब देंहटाएंविलंबित टिपण्णी के लिए क्षमा चाहूंगी सहृदय धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ एक से बढ़कर एक है संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल .........
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