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गुरुवार, 10 मई 2018

1028...समुन्दर लिख लेने के बाद नदी लिखने का मन किसी का होता होगा...

सादर अभिवादन। 
आँधी-तूफ़ान की चर्चाओं के बाद अब विश्व-शान्ति की चर्चा ज़ोरों पर है। 
2 मई को आये आँधी-तूफ़ान में भारत में जानमाल की भारी हानि हुई। इसी आँधी में एक समाचार भी उड़ गया जो 2 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के 15 में से 14 भारत के प्रदूषित शहरों की सूची से सम्बंधित था। हमारी रूचि यह जानने में केंद्रित हो गयी कि विश्व का वह 15 वां  शहर कौन सा है और भारत का आला दर्ज़े का प्रदूषित शहर कौन सा है। 
आपकी सेवा में उत्तर हाज़िर है -
प्रथम स्थान - कानपुर, उत्तर प्रदेश (भारत)
पन्द्रहवाँ स्थान - अली सुबह अल-सालेम (सलेम) - कुबैत   

चलिए अब आपको हक़ीक़त और कल्पनालोक की सृजनमय  सैर पर ले चलते हैं - 



मेरी फ़ोटो
छोटे - छोटे दरवाजे
मोटी - मोटी दीवारें थीं
मेरे गाँव वाले घर में
न किसी के दिल में दरारें थीं।



My photo

बात छोटी सी है आसपास रहने वाले सभी लोगों को दिख रहा था लेकिन किसी ने उसकी व्यवस्था करवाने के लिए नहीं सोचा क्योंकि उसका बिल उनके यहाँ नहीं आ रहा था। लोग यह क्यों नहीं समझते कि जब बिजली के खपत के मुताबिक बिल वसूली नहीं होती वह कमर्शियल लाॅस कहलाता है और इसलिए बिजली के दाम बढ़ते हैं।




समुन्दर 
लिख लेने 
के बाद 
नदी लिखने 
का मन 
किसी का 
होता होगा 
पता कहाँ 
चलता है 



जिसे कोई जल्दी नही है,
पेड़ की एक डाली से दूसरी पर कूदती फाँदती
कोयल और एक ही लय जो होश संभाला तबसे 
आज तक सुनती आ रही
कू कु कु कु कु कु 
न जाने कितना चिढ़ाया होगा मेरी आवाज के प्रत्युत्तर 
में तो कितनी बार औऱ चिढ़ के बोलती थी कु कु कु... 


तुम दीप्ति हो, प्रकाशमय हो 
बस यूँ ही धीरे - धीरे 
मेरी मुट्ठीयाँ खुल गयीं 
और आजाद हो गयीं स्मृतियाँ 
सदा के लिये 

हम-क़दम  के अठारहवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........

आज बस यहीं तक। 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 
कल अपनी  प्रस्तुति के साथ आ रही हैं आदरणीया श्वेता सिन्हा जी। 
रवीन्द्र सिंह यादव 

14 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    कानपुर और कुवैत
    दोनो नामराशि मित्र हैं
    सो अगाड़ी-पिछाड़ी बैठ गऐ
    आगे से टकराई तो कानपुर गया
    किसी ने पिछवाड़े से वार किया
    तो कुवैत चल देगा...बीच के हम लोग तो
    अपने-आप साफ-सुथरे हो जाएँगै
    अच्छी रचनाएं पढ़वाई
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय रवींंद्र जी
    सुप्रभातम्।
    सारगर्भित, विचारणीय भूमिका के साथ बहुत अच्छी रचनाओं का शानदार संकलन आज के अंक की विशेषता है।
    प्रदूषण का बढ़ता स्तर बड़े शहरों के स्वास्थ्य लिए तो घातक है ही पर गाँवोंं की ओर फैलता यह लाइलाज़ बीमारी भविष्य के लिए अशुभ संकेत है।
    आभार एक सुंदर संकलन के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार रवींद्र जी 'उलूक' के सूत्र को आज की सुन्दर प्रस्तुति में स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रचना।.........
    मेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. तूफान के बाद शांति सबसे पुराना जुमला है, तूफान के बाद की शांति याने तबाही और विनाश के बाद की मजबूरी
    जो बस दहसत छोड जाती है खैर शानदार भुमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति सुंदर रचनाऐं, सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संकलन .... बधाई सहित शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. अपने आप में परिपूर्ण रचनाओं का समायोजन हैं इस पोस्ट में।
    शांति के मुद्दे की एक मजेदार बात यह है कि
    शांति के मुद्दे से अशांति फैल गयी
    इस अशांति से लेकिन शांति नहीं आने वाली।
    हवाहवाई ...,😁😁😁😁😂

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संकलन,
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!!रविन्द्र जी ,बहुत खूबसूरत संकलन ..सभी रचनाएँ एक से बढकर एक....सुंंदर भूमिका ..!!

    जवाब देंहटाएं
  11. विलंबित टिपण्णी के लिए क्षमा चाहूंगी सहृदय धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिए सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ एक से बढ़कर एक है संकलन

    जवाब देंहटाएं

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