हम सभी तप रहे हैं गर्मी में
अचानक फोन आया भाई कुलदीप का
मैं शिमला में हूँ....
तपन और बढ़ गई...
सादर अभिवादन....
आज की पढ़ी रचनाओं की ओर....
काफी दिनों के बाद रेवा दीदी की ताजी रचना मिली
जब ब्याह हो जाता है
अपना दिल जान सब
न्यौछावर कर देती है स्त्री,
पर जब उसे वो मिलता नही
जो वो चाहती है
जो सबसे कीमती है उसकी नज़र में
तो उदास हो जाती है अंदर से ,
गूगल प्लस में एक रचना मिली
सखी कल्पना जी ब्लाग नहीं लिखती
सो हम उस रचना को विविधा के माध्यम से पढ़वा रहे हैं
हिज्र पल-पल यूँ सताता हैं कि हमको,
मुस्कुराये इक ज़माना हो गया है।
सोचते हैं इन दिनों हम भी कहें कुछ,
सबकी सुनते इक ज़माना हो गया है।
भाई पंकज भूषण दी एक कड़ुआ सच सामने ले आए है
फ़टे कपड़ों में भी शर्म छुपाते हैं गरीब
हमने अमीरों को हया लुटाते देखा है।
गरीब तो मुफ़्त में ही बदनाम है प्रियम
अमीरों को भी फ़टे कपड़ों में देखा है।
एक मार्मिक रचना सखी इन्दिरा दी की कलम से
वादे सबा तो छू कर चलदी
कुछ लेकर कुछ दे कर चल दी
यादों का गमगीन पिटारा
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम अट्ठारहवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
इंतजार, इज़हार, गुलाब, ख़्वाब, वफ़ा, नशा
उसे पाने की कोशिशें तमाम हुई सरेआम हुई
को आधार मान कर रचना लिखनी है
सबको अपने ढंग से पूरी कविता लिखने की आज़ादी है
रचनाकारः रोहिताश घोड़ेला
आप अपनी रचना शनिवार 12 मई 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी
सोमवारीय अंक 14 मई 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
आज्ञा दें...
फिलहाल के लिए
यशोदा
सुप्रभातम् दी:)
जवाब देंहटाएंएक सुंदर अंक पढ़वाने के लिए आभार। बहुत अच्छी रचनाएँ है सारी।
हमक़दम का नया विषय उत्सुकता पैदा कर रही है कि हमारे प्रिय साहित्य सुधी कैसी रचनाएँ लिखेंगे इस बार।
आभार
सादर।
चुनौती कड़ी
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा रहेगी रचनाओं की
सस्नेहाशीष
मुस्कुराये इक ज़माना हो गया है...वाकई~!!!!......बहुत अच्छी रचनाएँ.......वाह! बधाई और आभार!!!.
जवाब देंहटाएंतपन और बढ़ गई...तभी तो सुंंदर अंक का सृजन हुआ बहुत बढिया और विषय challenging 👍
जवाब देंहटाएंऐ दिले - वीरां किसी से दोस्ती कर,
जवाब देंहटाएंतुझको रोए इक ज़माना हो गया है
ये पंक्ति कहीं छोड़ नहीं पाया तो साथ ले आया..
सारे लिंक्स लाजवाब हैं।
मुझे कल ही पता चला कि हम-कदम इसी ब्लॉग का साप्ताहिक "आनन्द" है वरना तो इस हम कदम का लिंक खोजते खोजते पगला गया था। 😂😂और इस के लिए सप्ताह भर के लिए कोई एक टॉपिक दिया जाता जिस पर रचना रची जाती है।
इस बार का टॉपिक मेरी एक ग़ज़ल का शेर दिया गया है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरी रचना पर पीएचडी की जा रही है 😁😍। इतना स्नेह,मान-सम्मान देने के लिए बहुत बहुत आभार यशोदा जी।
हार्दिक बधाई इस उम्दा शेर के लिए -- प्रिय रोहिताश जी - आपकी दो रचनाएँ पढ़ी - उनपर लिखा भी पर कुछ समय तक इन्तजार किया शब्द दिखाई नहीं दिए | पर खूब बढ़िया लिखा आपने |आपके शेर पर रचना मुझे तो पसीने छूट रहे हैं | अबकी बार का लक्ष्य कुछ कठिन सा दिख रहा है पर देखेगे क्या होता है ?
हटाएंकुलदीप भाई शिमला में हैं...
जवाब देंहटाएंकमरे में ठण्डक महसूस हो रही है...
बढ़िया विषय....रोहिताश भाई की नई रचना पढ़ने को मिलेगी....
शानदार अंक....
साधुवाद....
कुलदीप भाई शिमला में हैं...
जवाब देंहटाएंकमरे में ठण्डक महसूस हो रही है...
बढ़िया विषय....रोहिताश भाई की नई रचना पढ़ने को मिलेगी....
शानदार अंक....
साधुवाद....
संक्षिप्त और सार गर्भित भुमिका के साथ शानदार संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाऐं बहुत सुंदर।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल .........
सुन्दर रचनाएँ.........
हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुति। आभारी है 'उलूक' अपने कबाड़ के यहाँ हलचल पर दिखने के लिये। सप्ताह का विषय जोरदार है।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति सभी रचनाऐं बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ।
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति। बेहतरीन संकलन।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति। बेहतरीन संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति के साथ आज का रोचक अंक | सभी रचनाये उम्दा | सभी को हार्दिक शुभकामनाये जिन्होंने आज का अंक अपनी रचनाओं से सजाया है | हार्दिक शुभ कामनाये |
जवाब देंहटाएंसादर आभार लिंक सदा की तरह उत्तमता को लिये हुए !
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