जय मां हाटेशवरी......
आज से 10 दिन बाद......
बेटियों व महिलाओं की असंख्य उपलब्धियों के साथ.....
विश्व महिला दिवस आ रहा है......
ये संदेश लेकर......
आज की बेटी व महिला शिक्षित हैं.....
वो अपने अधिकार जानती हैं.....
वो घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न
जैसे अन्याय अब नहीं सहेगी......
सरकार उसके साथ है.....
उसे कानून का संरक्षण प्राप्त हैं......
मेरा आवाहन........
उन सभी माता-पिता से हैं......
जो बेटियों पर तो.......
हर पल नजर रखते हैं.....
पर बेटों को आवारा छोड़ देते हैं.......
बेटियों की तरह ही......
बेटों पर भी पल-पल की नजर रखो......
तभी सुंदर समाज का निर्माण हो सकेगा......
सबसे पहले पढ़ते हैं......
आज एक नई हलचल
स्वर्ण मंदिर और जालियाँवाला बाग़ के बारे में बचपन से सुनती
और तस्वीर देखती आ रही थी। वाघा बॉर्डर पर सैनिकों का परेड
देखने की भी मेरी दिली तमन्ना थी। दिल्ली में रहते हुए 19 साल हो
गये थे लेकिन कभी जाना न हो सका था। मेरे पति के एक करीबी
मित्र जो रेलवे में कार्यरत हैं और उन दिनों दिल्ली में ही पदस्थापित
थे, उनसे मैंने अमृतसर जाने की इच्छा जतलाई। वे रेलवे के
कार्य से अमृतसर जाते रहते थे, तो उन्होंने कहा कि जब भी
वे जाएँगे तो हमलोगों को भी साथ ले चलेंगे।
बरेली की रहने वाली 14 साल की रेप पीड़िता को कोर्ट ने अबॉर्शन
की अनुमती नहीं दी थी। जब लोगों को पता चला कि
रेप पीड़िता के आर्थिक हालात ठीक नहीं है और वो खुद अभी
एक बच्ची ही है, ऐसे में उस नाजायज बच्चे का तिरस्कार करने की बजाय, हिंदू-मुस्लिम, अमीर-गरीब, करीब एक दर्जन लोग बच्चे
को गोद लेने आगे आएं!
आज भी जब समाज में रेप पीड़िता को ही पूर्णत: दोषी माना जाता है, उसे तिरस्कार भरी नजरों से देखा जाता है,
किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
सरहद पर दिया उनने दिवस और रात में पहरा ।
गर्मी शीत की रातें सुहानी लिख गए हैं वो।।
नही देखी किसी ने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
दुखी होता है मन सबका जवानों की शहादत से ।
मगर फिर भी शहादत को रुहानी लिख गए हैं वो।।
माँ ,"नहीं बेटा सैनिकों को ओढ़ाने से ध्वज गन्दा नहीं
होता ,बल्कि उसकी चमक और सैनिकों की शान दोनों
ही बढ़ जाती है । हमारा ध्वज सैनिकों का मनोबल ,उनके जीवन का उद्देश्य होता है । जब तक वो जीवित रहते हैं ऊँचाई पर लहराते ध्वज को और भी समुन्नत ऊँचाई पर ले जाने को प्रयासरत रहते हैं । परंतु जब उनका शरीर शांत होता है तब यही ध्वज माँ के आंचल सा
उनको अपने में समेट कर दुलारता है
उसने छेड़ा है छत्ता मधुमखियों का
जो नहीं है कायल केवल सुर्ख़ियों का
मेरा देश केवल कहता नहीं है करना जानता है
दुश्मन की नस नस पहचानता है
कायरता से जो छिपा वार कर रहा है
जाहिर है हमारे वीरों से डर रहा है
मै उसे जन्म तो देदूंगा
उन जल्लादो (rapist)से बचाउंगा कैसे
सुनसान रस्तों पे कैसे चलेगी वो
जब दुनिया की सच्चाई बताऊँगा उसे
बड़े बड़े दहेज की मांग करेंगे लोग
ना दे पाया तो उसकी मासूमियत का फायदा उठाएंगे लोग
सोच कर दिल दुखी हो जाता है
कैसे उठाएगी मेरे गरीबी का बोझ
मुझे बेटी नहीं चाहिए
इसका मतलब ये नही मुझे बेटा चाहिए||
गर्भ के जांच की यह अत्याधुनिक तकनीक
शहरों व महानगरों में विष फैला रही!
पृतसत्तात्मक है हमारा समाज
जहाँ वंश पंरम्परा चला रहा है बेटा!
आज भी पुरातन जड़े रह रह कर
अपनी शाखायें फैला रहा!
गर्भ के पूर्व लिंग परीक्षण करना बंद करो
बेटा बेटी में है कोई भेद समझना बंद करो
बेटी को भी बेटा जैसा खूब पढ़ाओं- लिखाओं
वो भी पढ़ लिखकर बढ़ायेगी माँ बापू का मान
देश में ही नहीं विदेशे में कमायेगी सम्मान
बेटी ने पूछा माँ से
क्यों जन्म नहीं देती मुझे
मैं तो तुम्हारा ही अंश हूँ
तुम्हारी ही परछाई हूँ
तुम्हारे प्यार से समाई हूँ
माँ का उत्तर
क्या करू ला कर तुम्हे इस समाज में
जहाँ बेटी अपनी नहीं पराई है
जहाँ सासों ने अपनी बहुओं को आग लगाई है
अब आ गई है हम-क़दम की बारी
साठवाँ क़दम
विषय
अभिशाप
उदाहरण
यह किरन-वेला मिलन-वेला
बनी अभिशाप होकर,
और जागा जग, सुला
अस्तित्व अपना पाप होकर;
छलक ही उट्ठे, विशाल !
अन्तिम तिथि-02 मार्च 2019
प्रकाशन तिथि- 04 मार्च 2019
धन्यवाद