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शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

1309.....शब्दों से दूरियाँ, बना ली है सबने!

कल शाम किसी कारणवश बाजा़र गयी रास्ते में 
जगह -जगह प्रेम -दिवस के नाम पर
हो रहे प्रेम-प्रदर्शन को देखकर सोचने लगी 
प्रेम दिखावा है कि अनुभूति
अनायास ही
कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी

प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट विकाय।
राजा परजा जो रुचे, शीश देय ले जाय।।

 कबीरदास जी कहते हैं कि किसी खेत में प्रेम की फसल नहीं होती न किसी बाजार में यह मिलता है। जिसे प्रेम पाना है उसे अपने अंदर त्याग की भावना रखनी चाहिए और इसमें प्राणोत्सर्ग करने को भी तैयार रहना चाहिए।
आधुनिक संदर्भ में खासकर युवावर्ग के लिए यह कथन कितना सार्थक है विचारणीय है न..।
★★★★★
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते है-
आदरणीया मीना जी की सुंदर कविता

वैसे भी जब कवि मरता है
तब कविता ज़िंदा होती है,
प्यार जिन्हें जीवन से होता
उन्हें देख मृत्यु रोती है !
हम अपनी भावुकता में खुश,
तुम्हें लोक-व्यवहार मिले !
प्रेम दिवस पर मेरे प्रियतम
तुमको सबका प्यार मिले !!!

★★★★★
आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार जी
चलो कुछ ख्वाब, शब्दों को हम दें!
संजीदगी, चलो इनमें भरें,
खुद-ब-खुद, ये झूमकर गाएंगे,
ये अ-चेतना से, खुद जाग जाएंगे,
रंग कई, जिन्दगी के देकर,
संजीदा हमें बनाएंगे।

★★★★★
आदरणीया जयश्री वर्मा

तुम क्या जानों,कैसी विरह-वेदना ,
हर आहट पे द्वार,चौखट तकना,
हर सरसराहट,धड़कन बढ़ जाना ,
तुम यूँ जान बूझ न बनो बेगाना।

★★★★★★
आदरणीया दीपा जी

अश्रु मसि से
पलकों ने
कपोलों पर
लिखे अनगिनत
पैगाम
मिटा जाओ
जाते-जाते
अपनी हर पहचान
★★★★★
आदरणीया कामिनी जी
"वेलेंटाइन्स  डे "एक ऐसा शब्द ,एक ऐसा दिवस जो 
पश्चिमी सभ्यता से आया पूरे विश्व के दिलो पर राज 
करने लगा। कुछ लोग कहते है कि हर दिन प्यार का 
होता है तो फिर कोई खास दिन ही क्यों ?बात तो सही है लेकिन याद कीजिये आपने अपने किसी भी प्यार के 
रिश्ते में आखिरी बार कब आपने प्यार का इजहार 
किया था। शायद याद भी नहीं हो।वैसे भी आज कल 
हर रिश्ते में प्यार का बेहद आकाल पड़ा है वैसे मे 
कोई एक खास दिन तो होना ही चाहिए


आज का यह अंक आपको
कैसा लगा?
बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।

हमक़दम के विषय के लिए


कल का अंक पढ़ना न भूलें
कल आ रही हैं
विभा दी विशेष प्रस्तुति के साथ।



14 टिप्‍पणियां:

  1. चुन लिए है, कुछ शब्द मैनें,
    उनकी तन्हाई मिटाएंगे।
    बड़ी बात कही भाई साहब। जब छात्र जीवन था, तो विद्यालय में भी और घर पर भी कहा जाता था कि पुस्तक खोलो और पांच अंग्रेजी एवं हिन्दी के नये शब्द खोजो, पढ़ों और रटो।
    सुंदर प्रस्तुत , सभी को प्रणाम।

    जिसने प्रेम किया है, उसे इस दिवस की उपयोगिता भी समझ में आयी होगी। वे तीन शब्द जिसमें उसमें किसी की दुनिया समायी होती थी।
    जिसने छल क्या है, वह भूल चुका होगा, पुरानी यादें।
    वैसे वैराग्य ही मानव जीवन के प्रेम की आखिरी सीढ़ी है। इसीलिए सन्यास आश्रम की रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सखी..
    तुम क्या जानों,कैसी विरह-वेदना
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात,
    अति उत्तम संकलन
    चलो कुछ ख्वाब, शब्दों को हम दें!
    संजीदगी, चलो इनमें भरें,
    खुद-ब-खुद, ये झूमकर गाएंगे,
    ये अ-चेतना से, खुद जाग जाएंगे,

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन शीर्षक और बेहतरीन समसामयिक भूमिका के साथ सुन्दर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचनाओं का संकलन के साथ प्रस्तुति..
    बहुत बढिया।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय स्वेता जी ,मेरी रचना को मान देने के लिए आभार ,कल जब हर कोई प्रेम दिवस मानाने में मस्त था ,उस वक़्त भारत माँ ने कुछ अनमोल रत्न खो दिए ,उनका इस तरह से शहीद हो जाना आत्मा को झकझोर कर रख दिया ,भगवान उनके परिजनों को ये दुःख साणे की हिम्मत दे ,हम तो और कुछ करन्हि सकते बस आश्रु के रूप में दो श्रद्धा सुमन चढ़ा सकते है।

    जवाब देंहटाएं
  7. कल हुए आतंकी हमले के बाद हर संवेदनशील भारतीय का मन अशांत हुआ है। क्या कहें कुछ समझ नहीं आता। घर परिवार के नौजवान बेटों को कोई कैसे श्रद्धांजलि दे ? बस स्तब्ध हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन
    देश के शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

    जवाब देंहटाएं

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