जगह -जगह प्रेम -दिवस के नाम पर
प्रेम दिखावा है कि अनुभूति
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चुन लिए है, कुछ शब्द मैनें,
जवाब देंहटाएंउनकी तन्हाई मिटाएंगे।
बड़ी बात कही भाई साहब। जब छात्र जीवन था, तो विद्यालय में भी और घर पर भी कहा जाता था कि पुस्तक खोलो और पांच अंग्रेजी एवं हिन्दी के नये शब्द खोजो, पढ़ों और रटो।
सुंदर प्रस्तुत , सभी को प्रणाम।
जिसने प्रेम किया है, उसे इस दिवस की उपयोगिता भी समझ में आयी होगी। वे तीन शब्द जिसमें उसमें किसी की दुनिया समायी होती थी।
जिसने छल क्या है, वह भूल चुका होगा, पुरानी यादें।
वैसे वैराग्य ही मानव जीवन के प्रेम की आखिरी सीढ़ी है। इसीलिए सन्यास आश्रम की रचना है।
शुभ प्रभात सखी..
जवाब देंहटाएंतुम क्या जानों,कैसी विरह-वेदना
बढ़िया प्रस्तुति
सादर
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
जवाब देंहटाएंअति उत्तम संकलन
चलो कुछ ख्वाब, शब्दों को हम दें!
संजीदगी, चलो इनमें भरें,
खुद-ब-खुद, ये झूमकर गाएंगे,
ये अ-चेतना से, खुद जाग जाएंगे,
जी, आभार
हटाएंबहुत सुन्दर हलचल।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शीर्षक और बेहतरीन समसामयिक भूमिका के साथ सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का संकलन के साथ प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
आदरणीय स्वेता जी ,मेरी रचना को मान देने के लिए आभार ,कल जब हर कोई प्रेम दिवस मानाने में मस्त था ,उस वक़्त भारत माँ ने कुछ अनमोल रत्न खो दिए ,उनका इस तरह से शहीद हो जाना आत्मा को झकझोर कर रख दिया ,भगवान उनके परिजनों को ये दुःख साणे की हिम्मत दे ,हम तो और कुछ करन्हि सकते बस आश्रु के रूप में दो श्रद्धा सुमन चढ़ा सकते है।
जवाब देंहटाएंकल हुए आतंकी हमले के बाद हर संवेदनशील भारतीय का मन अशांत हुआ है। क्या कहें कुछ समझ नहीं आता। घर परिवार के नौजवान बेटों को कोई कैसे श्रद्धांजलि दे ? बस स्तब्ध हैं।
जवाब देंहटाएंआज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन
जवाब देंहटाएंदेश के शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...
सादर आभार ....
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंHttps://techvipul.xyz