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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

1301....आ रहा बसंत फूल-पत्ते पाये निखार ..

सादर अभिवादन। 

आ 
रहा 
बसंत 
फूल-पत्ते 
पाये निखार 
बसंत  बहार 
रंगारंग त्योहार।    

आइये अब आपको आज की 
पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें- 


नजर नजर का फेर है
 कोई कह नहीं सकता
 किसका है कैसा नजरिया
 कोई सोच नहीं पाता
 है क्या पैमाना नजर की  खोज का |



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सतर्कता गयी, दुर्घटना हुई.
अनुशासन ही देश को महान बनाता है.
हम सुनहरे कल की ओर बढ़ रहे हैं.
अच्छे दिन बस अब चौखट पर ही हैं.




चाय की तलब और आलस में लगी है होड़ 
शोर है बच्चों और पंछियों का
शरारतें हैं


बदनीयती

घर के सभी लोगों के लिए कपड़े, पर्फ्यूम, कंघी, तेल, साबुन, साड़ी, सूट के कपड़े आदि सबकुछ तो चढ़ाया था लड़की वालों ने बरिक्षा में। मंदिर की दराज में रखा पंद्रह लाख का वह चेक भी दीदी ले आईं जो लड़की वालों ने नारंग जीजू के नाम पर काटा था।


 क्रोध की वजह से व्यक्ति घर-परिवार और समाज से अलग हो सकता है। इसीलिए जब भी क्रोध आए, किसी भी तरह हमें मौन हो जाना चाहिए। मन को शांत करना चाहिए। मन की शांति के लिए सबसे अच्छा उपाय मेडिटेशन है। लंबे समय तक मेडिटेशन करने से क्रोध को काबू किया जा सकता है। 

हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

8 टिप्‍पणियां:

  1. कोई कह नहीं सकता
    किसका है कैसा नजरिया
    कोई सोच नहीं पाता
    है क्या पैमाना नजर की खोज का |

    सुंदर रचनाओं से भरा अंक। सभी को सुबह का प्रणाम।
    चुनाव आ रहा है। अपनी नजरेंं खुली रखें।
    अच्छा बताएं , वोट किसी पसंदीदा पार्टी को दिया जाना चाहिए अथवा सबसे योग्य प्रत्याशी को ?
    आपके नजरिये से क्या पैमाना हो??


    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात..
    रोचक अंक..
    आभार...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  3. वर्णपिरामिड रोचक... दो होता तो पूर्ण होता
    सुन्दर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर अंक ,सादर नमस्कार सर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें |
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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