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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

1314..बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता ....



।प्रातःवदंन।।
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
वायु चले ,पर मंद चाल से उसे चलाना ,
दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।
कोकिल गावें, किंतु राग रोने का गावें,
भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें
सुभद्रा कुमारी चौहान
🖊
आज के लिंकों में सम्मिलित नामों को क्रमानुसार पढ़ें..
आदरणीया डॉ इंदिरा गुप्ता जी,
आदरणीया अभिलाषा चौहान जी,
आदरणीय विकास नैनवाल 'अंजान' जी
आदरणीय पी. सी.गोदियाल''परचेत''
आदरणीय मनीष कुमार जी✍
🖊
                                              


ललकार ...


तीव्र चपल कुछ नया शोर हैं 

उषा की लाली तप्त हैं 

पवन चल रहा जरा सख्त हैं ! 

चारो ओर फैली हैं कटुता 

व्याप्त हो रही कठिन अवस्था 

दिग्गज दिग दिग डोल रहे हैं 


🖊




थी चांदनी दहक रही।

प्रकृति थी मौन,

वेदना तड़प रही।

खून में उबाल था,

बाजुएं फड़क रहीं।

हरकतें नापाक थीं,

आवाजें उठ रही।

खून का बदला खून,
पुकार ये मच रही

🖊

 हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की डायरेक्टरी 

का 7वां संस्करण आपके सामने प्रस्तुत है. इसमें करीब 120 ब्लॉग हैं जिन्हें उनके URL के पहले अंग्रेज़ी अक्षर के क्रम में लगाया गया है.

🖊



दर्द का होना,

दिलाता है यह

अहसास

के तुम ज़िंदा हो,

के है कुछ तो गलत,

के है सुधार की उम्मीद,
के काम करना है तुम्हे,
के बदल रहा है कुछ
बडा सवाल !

🖊



सिरे सेतु के कहांं से कहांं जोडें, 
असमंजस मे नल-नील हैं।


तमाम कोशिशें खारे समन्दर मे, 
मीठे जल की तलाश जैसी,

पथ कंटक भरा, तय होने अभी 
असंख्य श्रमसाध्य मील हैं।


🖊







देश में ग़म का माहौल है। एक साथ इतने सारे परिवारों पर दर्द का तूफान उमड़ पड़ा है। आख़िर कौन हैं ये लोग जिनके घर की रौनक चली गई है? छोटे मोटे मेहनतकश परिवारों के सुपूत जिन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी, उनकी आशाओं और सपनों का भार था।

🖊
हम-क़दम का नया विषय

यहाँ देखिए

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍


11 टिप्‍पणियां:


  1. बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
    जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता..

    जब शांतिवार्ता असफल रही, तो कृष्ण ने कहा था ,तब कि अब संग्राम होगा।

    अतः ऐसे दर्द को दबाने नहीं,भड़काने का वक्त है।
    जब शत्रु युद्ध चाहता है, तो शंखनाद भी होना चाहिए।
    हाँ, एक छद्मयुद्ध हमें करना चाहिए।
    भले ही रक्तपात हो।

    प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर..
    पसंदीदा रचनाएँ...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ दोपहर सुंदर संकलन आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर संकलन। मेरी पोस्ट को इस संकलन में जगह देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी पोस्ट को यहां स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक्स...

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन हलचल प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,
    सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई,मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए
    सहृदय आभार पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं

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