तेरह सौ अंक हो गए आज तक..
यानि हम चौथे वर्ष की ओर चल पड़े हैं
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जवाब देंहटाएंस्वप्न अधिक न पालो मन में, स्वप्न टूटने पर दुख होता,
हर पल को मुट्ठी में बांधो, जीवन बस एक तमाशा है।
शिक्षाप्रद रचनाओं से भरा सुंदर अंक सभी को सुबह का प्रणाम।
शुभ प्रभात सखी..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक..
आभार..
सादर..
1300 अंक तक सफर सुखद
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई सभी को
सुंदर संकलन के लिए धन्यवाद
शतक त्रयोदशी की शुभकामना। बहुत सुंदर प्रस्तुति तृप्ति का अहसास दिलाती। बधाई!
जवाब देंहटाएंअब चलें 2600 की ओर। सुन्दर प्रस्तुति। बधाईयों और शुभकामनाओं के साथ।
जवाब देंहटाएंआमीन..
हटाएंआभार
सभी लिंक कमाल के हैं आज ..
जवाब देंहटाएंआभार आज मेरी ग़ज़ल को यहाँ जगह सेने के लिए ...
बधाईयाँ और अनन्त शुभकामनाएं । बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंलाज़वाब लिंक। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति |हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसादर
लाजवाब प्रस्तुति !हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक। महाकवि निराला जी की नायाब काव्य पंक्तियाँ अंक की शोभा बढ़ाती हैं।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जागो फिर एक बार!
जवाब देंहटाएंप्यार जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें
अरुण-पंख तरुण-किरण
खड़ी खोलती है द्वार
जागो फिर एक बार!
.....वाह !....महाप्राण निराला जी
बेहतरीन अंक
पढवाने के लिए आभार ...
किन्तु गौतम जी की रचना 'तू जो मुझसे जुदा नहीं होता' लिंक नही हुई हैं......
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंलुभावनी भुमिका
सभी रचनाकारों को बधाई
sundar prastuti
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