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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

1300... तरुण-किरण खड़ी खोलती है द्वार..


।।भोर वंदन।।

तेरह सौ अंक हो गए आज तक..
यानि हम चौथे  वर्ष की ओर चल पड़े हैं
....
जागो फिर एक बार!
प्यार जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें
अरुण-पंख तरुण-किरण
खड़ी खोलती है द्वार
जागो फिर एक बार!
आँखे अलियों-सी
किस मधु की गलियों में फँसी
बन्द कर पाँखें
पी रही हैं मधु मौन
अथवा सोयी कमल-कोरकों में?
बन्द हो रहा गुंजार
जागो फिर एक बार!
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
🏝
दिन  की शुरुआत नवउजास  
के साथ ..निगाह डाले आज की लिंकों पर..✍

ब्लॉग स्वप्न मेरे की भावपूर्ण ग़ज़ल
यही ज़मीन, यही आसमां, यही सच है 
यहीं है स्वर्ग, यहीं नर्क, ज़िन्दगी सच है
हसीन शाम के बादल का सुरमई मंज़र 
हथेलियों पे सजी रात की कली सच है..
🏝
ब्लॉग उन्नयन की विचारशील रचना..

क्या अब अर्थी से मीत ,कफ़न उतारे जायेंगे ?
पारलोक गमन के बाद भी रगाँधी मारे जायेगे ? 
अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान आजादी करती है..

🏝

ब्लॉग काव्य-धरा ..

मैं ख़ुदा से खफ़ा नहीं होता
ये जो कंधे नहीं तुझे मिलते
तू तो इतना बड़ा नहीं होता
चाँद मिलता न राह में उस रोज
🏝
ब्लॉग विश्वमोहन उवाच ..मौन !

जगा सरकता मैं सपनो में ।
डगर डगर पर जीवन पथ के
छला गया मैं बस अपनो से ।
भ्रम विश्व में, मैं माया जीव!
अपने कौन, बेगाने कौन?..
🏝
आदरणीय कैलाश शर्मा जी की 
खूबसूरत पंक्तियों के साथ..थमती हूँ..

बरस गया सावन तो क्या है, मन का आँगन प्यासा है।
एक बार फिर तुम मिल जाओ, केवल यह अभिलाषा है।
अपनी अपनी राह चलें हम,
शायद नियति हमारी होगी।
मिल कर दूर सदा को होना,..
🏝
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए

।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह'तृप्ति'..✍

16 टिप्‍पणियां:


  1. स्वप्न अधिक न पालो मन में, स्वप्न टूटने पर दुख होता,
    हर पल को मुट्ठी में बांधो, जीवन बस एक तमाशा है।
    शिक्षाप्रद रचनाओं से भरा सुंदर अंक सभी को सुबह का प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सखी..
    बेहतरीन अंक..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. 1300 अंक तक सफर सुखद
    हार्दिक बधाई सभी को
    सुंदर संकलन के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. शतक त्रयोदशी की शुभकामना। बहुत सुंदर प्रस्तुति तृप्ति का अहसास दिलाती। बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. अब चलें 2600 की ओर। सुन्दर प्रस्तुति। बधाईयों और शुभकामनाओं के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी लिंक कमाल के हैं आज ..
    आभार आज मेरी ग़ज़ल को यहाँ जगह सेने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  7. बधाईयाँ और अनन्त शुभकामनाएं । बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  8. लाज़वाब लिंक। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति |हार्दिक शुभकामनायें
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. लाजवाब प्रस्तुति !हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर अंक। महाकवि निराला जी की नायाब काव्य पंक्तियाँ अंक की शोभा बढ़ाती हैं।

    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  12. जागो फिर एक बार!
    प्यार जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें
    अरुण-पंख तरुण-किरण
    खड़ी खोलती है द्वार
    जागो फिर एक बार!
    .....वाह !....महाप्राण निराला जी

    बेहतरीन अंक
    पढवाने के लिए आभार ...

    किन्तु गौतम जी की रचना 'तू जो मुझसे जुदा नहीं होता' लिंक नही हुई हैं......

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
    लुभावनी भुमिका
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं

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