पिछले चौदह फरवरी को सारा संसार
प्रेम-दिवस मना रहा था कुछेक आतंकवादियों ने
सैन्यबल से भरी बसों पर कायराना हमला किया
धिक्कार है ..धिक्कार है
शाश्वत तो ये है कि मनोबल बढ़ता जा रहा है
आतंकवादियों का..
इस अवसर पर रचनाकारों की कलम ने भी
धिक्कारा हमलावरों के...आइए देखें..
आगे आगे मैं जाऊँगा कसम सैन्य की खाता हूँ।
पाकिस्तान पर गर हमले का एक निमंत्रण पाता हूँ।।
एक बार घर मे घुस करके इनका दमन जरूरी है।
इनके काले मंसूबों पर काला कफन जरूरी है।।
बस इक मौका सेना को दो पाकिस्तान मिटाने का।
माँ का जितना दूध पिया है उसका कर्ज निभाने का।।
ललकार रहा है हिन्दुस्तान
सुधर जा ओ अब पाकिस्तान!
मारो, काटो, आतंक करो...
ऐ दहशत गर्दों शर्म करो...
क्या इस्लाम यही सिखलाता है?
क्या कुरान से तुम्हारा नाता है?
कैसे देखूँ माँ के आँसू, वो दृश्य सिंदूर मिटाने का
रोते-बिलखते बच्चों को,शव ढोते बूढ़े कन्धों को।
फट जाती है छाती अपनी, देख तिरंगे में ताबूत
तब भी शर्म नहीं आती,घर में छुपे जयचन्दों को।
बहुत सह लिया घात भीतरी,अब प्रतिकार करो
दुश्मनों के घर में घुसकर,चढ़के उनपर वार करो।
प्रश्न ये, देश की स्वाभिमान पर,
प्रश्न ये, अपने गणतंत्र की शान पर,
जन-जन की, अभिमान पर,
प्रश्न है ये,अपने भारत की सम्मान पर।
ये वीरगति नहीं, दुर्गति है यह,
धैर्य के सीमा की, परिणति है यह,
इक भूल का, परिणाम यह,
नर्म-नीतियों का, शायद अंजाम यह!
टूटी बुढ़ापे की लाठी
बिछड़ गए माँ के लाल
बच्चों से छिना पिता का साया
मिट गया सिंदूर,टूट गई चूड़ियाँ
पथराई आँखे लिए बैठा पिता
बिलखती माँ तस्वीर लगा सीने से
कहां गया मेरी आंखों का नूर
एक झटके में उजड़ी दुनियां
छाती पीट रही क्यों पगली, अभी कर्ज़ यम के बाकी हैं,
यहाँ मौत का जाम पिलाने पर आमादा, सब साक़ी हैं.
बकरों की माँ खैर मना ले, यहाँ भेड़िये छुपे हुए हैं,
कुछ ख़ूनी जामा पहने हैं, पर कुछ के कपड़े ख़ाकी हैं.
यहाँ पर हम महसूस करते हैं कि अब तक सहा
अब नहीं सहेंगे...हम देश के साथ हैं
देश के सारे बच्चे , जवान और वृद्धजन
साथ-साथ लड़ने की कसमें खा रहे है
नारियाँ भी पीछे नहीं है...
बस...अब मिटा दें पाकिस्तान का नाम
दुनिया के नक्शे से
यशोदा
ये वीरगति नहीं, दुर्गति है यह,
जवाब देंहटाएंधैर्य के सीमा की, परिणति है यह...
निश्चित ही चहुंओर यही सवाल है। हमारे यूपी के एक शहीद के पिता ने सरकार से यही पूछा था कि हम अपने जिगर के टुकड़े को माँ भारती की रक्षा के लिये लड़ कर और शत्रुओं को मार कर वीरगति प्राप्त करने के लियें भेजते हैं।
बिना लड़े मरने को नहीं। उन्होंने रट लगा रखा था कि पहले सीएम योगी को यहाँ लाओ,वे जवाब दें, तब करूँगा अपने लाल का अंतिम संस्कार।
सभी को प्रणाम।
आभार
हटाएंस्थाई विकल्प नहीं ढूंढ़ पाने का नतीजा है आतंकवादी हमला
जवाब देंहटाएंदो उसने काटे तो हमने चार काटे तो उसने चालीस काटे हम चार सौ काट लाएं तो वह चार हजार काट ले
माँ जार जार रो ले चिल्लाए ये सत्ताधारियों को क्या दिखता है...
पहले उरी अब पुलवामा अभी भी जवाब नहीं दिया तो इनके हौसले बुलंद होते रहेंगे हमारे जवान शहीद होते रहेंगे
जवाब देंहटाएंअब एक के बदले दस तभी होंगे दुश्मन के हौसले पस्त
वीरों की शहादत को शत् शत् नमन 🙏🙏
चिन्तन का यह समय, देश को संगठित और एकीकृत कर दे तो भी उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।
जवाब देंहटाएंएक दम सत्य
हटाएंबस मौन के सिवा कुछ नहीं है। श्रद्धाँजलि वीरों को।
जवाब देंहटाएंनमन
जवाब देंहटाएंसत सत नमन हैं वीरो को , हम तो उन्हें सिर्फ अश्रुरूपी श्रधांजलि ही दे सकते हैं।
जवाब देंहटाएंमन व्यथित हैं आत्मा दुखी हैं आखिर कब तक हम यूँही बेवजह दंश झेलते रहेंगें ?
जवाब देंहटाएंवीर शहीदों को नमन |सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
शहीद जवानों को सादर श्रद्धाँजलि।
जवाब देंहटाएंग़म और गुस्से का माहौल है देश में।
अफ़वाहबाज़ी से बचकर देश की एकता और अखंडता में अपना-अपना योगदान दें।
देश के लिये बलिदान हुए वीर जवानों के परिवारों के प्रति सदैव संवेदनाएँ बनाये रखें।
यथाशक्ति उनकी मदद के लिये हाथ बढ़ायें।
सोशल मीडिया पर युद्धोन्माद की भाषा आक्रोश से भरती है अतः संयम बनाये रखें।
सेना अपने लक्ष्य भेदने में कुशल है।
आतंकी हों या पाकिस्तान सबक़ सबको मिलेगा।
वीर शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि....।
जवाब देंहटाएंएक बार घर मे घुस करके इनका दमन जरूरी है।
इनके काले मंसूबों पर काला कफन जरूरी है।।
बस इक मौका सेना को दो पाकिस्तान मिटाने का।
माँ का जितना दूध पिया है उसका कर्ज निभाने
आदरणीय यशोदा दीदी -- सार्थक अंक और रचनाएँ |भूमिका के विषय पर मनन की जरूरत है | आतंकवाद आजकी सबसे भयावह समस्या है जिसका खामियाजा सैनिक बल भुगत रहे हैं |
जवाब देंहटाएंनिम्न मध्य वर्गीय और मध्य वर्ग के परिवारों के ये जांबाज बिना किसी कुसूर के दयनीय शहादत पा रहे हैं |अब भी सरकार ठोस कदम ना उठायेगी तो इस स्थिति से ना जाने कितने परिवार इस दर्द से गुजरते रहेंगे | शहीदों को कोटि कोटि नमन और वन्दन !!!!!!!!!!!!
आजकल गूगल प्लस के जाने की आहट से मन सदमे में है | कितने ही महीने हो गये इस पर पांच लिंकों से खुद बखुद मुलाक़ात हो जाती थी पर अब आधे सहयोगियों की रचनाएँ नहीं मिलती | बहुत परेशानी है मन में | यूँ तो समय व्यस्तता का चल रहा है पर पढने को समय निकाल ही लेती थी पर आजकल तो रचनाएँ दिखाई नहीं पड़ रही |सहयोगी मार्गदर्शन करें रचना कहाँ शेयर करूं ? सभी रचनाकारों को सशक्त लेखन के लिए साधुवाद और आपको हाद्रिक आभार | सादर |
प्रिय सखी रेणु जी नमस्कार - आप की टिप्णी पढ़ी बहुत दु:ख हुआ | सभी की यही परशानी है सखी आप fb अकॉउंट से किसी भी दोस्तों को फॉलो करे,धीरे -धीरे सभी से पहचान हो जायगी | G+ की तरह सभी दोस्तों से आप की पहचान वहाँ हो जायगी | सभी दोस्त वहाँ पर लिंक कॉपी कर या डाइरेक्ट रचना प्रकाशित कर रहे है |आदरणीय यशोदा दीदी से वहाँ आप की मुलाक़ात हो जाएगी |मैं आप को फॉलो करती हूँ |
जवाब देंहटाएंआभार
सादर