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सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

1312....पलाश !! हम-क़दम का अट्ठावनवाँ अंक...



सादर अभिवादन। 
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है। 
रचनाकारों को हम-क़दम के अट्ठावनवें अंक का 
विषय दिया गया था "पलाश" 
सप्ताह के बीच में कश्मीर के पुलवामा में हमारे 
जवानों पर बड़ा आतंकी हमला हुआ। 
इस घटना ने देश में भावनात्मक तूफ़ान ला दिया है। 
रचनाकारों ने आक्रोश और क्षोभ के वातावरण में भी
इस विषय पर जो लिखा है वह आपके सामने प्रस्तुत 
है। पलाश बसंत में उल्लास भरता है और जीवन के 
रंगारंग माहौल का प्रतीक बनता है तो त्याग व उत्कर्ष
का उत्प्रेरक भी।  
कुछ रचनाएँ 14 फरवरी से पूर्व की हैं तो कुछ बाद 
कीं-  

पलाश
----



बसंत ऋतु को कर विदा 
पतझड़ ने डेरा डाला
पत्ते पीले हो झाड़ने लगे
फिर भी कुछ पौधों पर 
हरी हरी कलियों में से 
झांक रहे केशरिया पुष्प  





सुनो, तुम आज मेरा आंगन बन जाओ,
और मेरा सपना बनकर बिखर जाओ।
मैं...मैं मन के पलाश-सी खिल जाऊं, 
अनुरक्त पंखुरी-सी झर-झर जाऊं।



सुनो, फिर एक सुरमई भीगी-भीगी शाम, 
ओढ़कर चुनर चांदनी के नाम ।
मैं........तुम्हारी आंखों के दो मोती चुराऊं
और उसमें अपना चेहरा दर्ज कराऊं।





पिघल रही सर्दियाँ
झरते वृक्षों के पात
निर्जन वन के दामन में
खिलने लगे पलाश



सुंदरता बिखरी चहुँओर
चटख रंग उतरे घर आँगन
उमंग की चली फागुनी बयार
लदे वृक्ष भरे फूल पलाश




मायूसी    के  मोती   पहनूँ 
तुम  ख़ुशी  के तराने  गुनगुनाना 
अकेलेपन   के   झोंकों   को 
तुम  पलाश  बन  महकाना |



 छूट  रहा  अनुराग  जीवन का 
 तुम  माया  बन  लौट  आना 
 सपना  बन   बिखरी  यादें 

 तुम पलाश  बन  खिल जाना  |




नहीं अच्छे लगते मुझे
ये पलाश के फूल !
नहीं लुभाते ये मेरा मन
अंतर में चुभ जाते हैं मेरे  
ये बन के तीखे शूल !
होते होंगे औरों के लिए
पलाश के ये फूल



खिले पलाश के फूल
सजते रहें सूनी डालों पर
झील में देख अपना अक्स
खूबसूरती पर है इठलाते



कलियों ने भी खिलकर
अपना यौवन दिखलाया
खिले सुर्ख मखमली फूल
लो ऋतुराज वसंत आया




जंगल में कोयल कूक रही है
जाम की डालियों पर
पपीहे छुआ-छुई खेल रहे हैं
गिलहरियों की धमा-चौकड़ी
पंडुओं की नींद तोड़ रही है
यह पलाश के फूलने का समय है।



पलाश !! तुम यूं ही खिलते रहना,
.......तुम तो हो वसंत का गहना।



खिलते रहो गांवों में और वनों में,
दिखते कहां‌ हो अब तुम शहरों में ?



चढ़ गए आधुनिकता की भेंट तुम,
अब तो शहरों में ईद का हो चांद तुम।




अपना वो वैराग्य दे बाबा,
बसंत का उपहार दे बाबा,
फूल पलाश सा; न मुझे बनाना ,
रंग स्नेह दे; क्यों हुआ बेगाना ?



बाबा बोलें बच्चा सुन लें,
वन की आग बन ;
न मन को जलाना,
श्वेत पलाश सा तू मुस्काना ।



हम पलाश के फूल,सजे ना गुलदस्ते में
खिल कर महके,सूख,गिर गये,फिर रस्ते में
भले वृक्ष की फुनगी  पर थे हम इठलाये
पर हम पर ना तितली ना भँवरे मंडराये
ना गुलाब से खिले,बने शोभा उपवन की..


आज बस यहीं तक। 
हम-क़दम के उनसठवें अंक का विषय जानने के लिये 
हमारी मंगलवारीय प्रस्तुति की प्रतीक्षा कीजिए। 
अब आज्ञा दें। 
सादर आभार। 

रवीन्द्र सिंह यादव  

17 टिप्‍पणियां:

  1. पलाश का पुष्प , एक मिशाल है, जीवन दर्शन है,जो बताता है हम मनुष्यों को कि सुख से दुख का नाता है।
    प्रणाम सभी को, पथिक के विचारों को स्थान देने के लिये धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात...
    पलाश..
    एक बेहतरीन विषय..
    साधुवाद सभी रचनाकारों को
    आभार...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात 🙏 बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात आदरणीय |बेहतरीन प्रस्तुति |शानदार रचनाएँ |
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई |मुझे स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. अभिव्यक्तियों में निखर गया है पलाश। कहीं खुश है तो कहीं गमगीन है पलाश।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अभिव्यक्तियों में निखर गया है पलाश।
      कहीं खुश है तो कहीं गमगीन है पलाश।
      बेहतरीन प्रतिक्रिया..
      सादर नमन..

      हटाएं
  6. बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने विचलित व्यथित कर दिया है ! ईश्वर गुमराह लोगों को सद्बुद्धि दें और हमारे शूरवीरों की रक्षा करें यही प्रार्थना है !

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन संकलन ,पलाश ने इस बार खुशी से ज्यादा गम दिए

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
    सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार।🙏🙏🌷

    जवाब देंहटाएं
  11. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल्र करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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