सोमवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है।
रचनाकारों को हम-क़दम के अट्ठावनवें अंक का
विषय दिया गया था "पलाश"
सप्ताह के बीच में कश्मीर के पुलवामा में हमारे
जवानों पर बड़ा आतंकी हमला हुआ।
इस घटना ने देश में भावनात्मक तूफ़ान ला दिया है।
रचनाकारों ने आक्रोश और क्षोभ के वातावरण में भी
इस विषय पर जो लिखा है वह आपके सामने प्रस्तुत
है। पलाश बसंत में उल्लास भरता है और जीवन के
रंगारंग माहौल का प्रतीक बनता है तो त्याग व उत्कर्ष
का उत्प्रेरक भी।
कुछ रचनाएँ 14 फरवरी से पूर्व की हैं तो कुछ बाद
कीं-
सुनो, तुम आज मेरा आंगन बन जाओ,
और मेरा सपना बनकर बिखर जाओ।
मैं...मैं मन के पलाश-सी खिल जाऊं,
अनुरक्त पंखुरी-सी झर-झर जाऊं।
सुनो, फिर एक सुरमई भीगी-भीगी शाम,
ओढ़कर चुनर चांदनी के नाम ।
मैं........तुम्हारी आंखों के दो मोती चुराऊं
और उसमें अपना चेहरा दर्ज कराऊं।
तुम ख़ुशी के तराने गुनगुनाना
अंतर में चुभ जाते हैं मेरे
पपीहे छुआ-छुई खेल रहे हैं
पंडुओं की नींद तोड़ रही है
यह पलाश के फूलने का समय है।
पलाश !! तुम यूं ही खिलते रहना,
.......तुम तो हो वसंत का गहना।
खिलते रहो गांवों में और वनों में,
दिखते कहां हो अब तुम शहरों में ?
चढ़ गए आधुनिकता की भेंट तुम,
अब तो शहरों में ईद का हो चांद तुम।
फूल पलाश सा; न मुझे बनाना ,
रंग स्नेह दे; क्यों हुआ बेगाना ?
बाबा बोलें बच्चा सुन लें,
श्वेत पलाश सा तू मुस्काना ।
हम पलाश के फूल,सजे ना गुलदस्ते में
खिल कर महके,सूख,गिर गये,फिर रस्ते में
भले वृक्ष की फुनगी पर थे हम इठलाये
पर हम पर ना तितली ना भँवरे मंडराये
ना गुलाब से खिले,बने शोभा उपवन की..
हम-क़दम के उनसठवें अंक का विषय जानने के लिये
हमारी मंगलवारीय प्रस्तुति की प्रतीक्षा कीजिए।
पलाश का पुष्प , एक मिशाल है, जीवन दर्शन है,जो बताता है हम मनुष्यों को कि सुख से दुख का नाता है।
जवाब देंहटाएंप्रणाम सभी को, पथिक के विचारों को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंपलाश..
एक बेहतरीन विषय..
साधुवाद सभी रचनाकारों को
आभार...
सादर...
शुभप्रभात 🙏 बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय |बेहतरीन प्रस्तुति |शानदार रचनाएँ |
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई |मुझे स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय |
सादर
अभिव्यक्तियों में निखर गया है पलाश। कहीं खुश है तो कहीं गमगीन है पलाश।
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्तियों में निखर गया है पलाश।
हटाएंकहीं खुश है तो कहीं गमगीन है पलाश।
बेहतरीन प्रतिक्रिया..
सादर नमन..
बेहतरीन रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंBehtareen prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने विचलित व्यथित कर दिया है ! ईश्वर गुमराह लोगों को सद्बुद्धि दें और हमारे शूरवीरों की रक्षा करें यही प्रार्थना है !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंhindi me jankari
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
बेहतरीन संकलन ,पलाश ने इस बार खुशी से ज्यादा गम दिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार।🙏🙏🌷
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल्र करने के लिए धन्यवाद |
सुंदर संकलन 👌👌👌
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