शीर्षक पंक्ति आदरणीया नूपुरं जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
आज वर्ष का साठवां दिन है अर्थात 29 फरवरी। ग्रेगोरियन कलेंडर (जिसे अंतरराष्ट्रीय
मान्यता प्राप्त है) के अनुसार यह दिन प्रत्येक चौथे वर्ष के अंतराल पर गणना में
आता है। चूँकि पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करने में 365 दिन 6 घंटे और 9 मिनट का समय लगता तो तीन वर्ष तक साल को हम 365 दिन का मानते हैं और चौथे वर्ष शेष बचे अतिरिक्त घंटों व मिनटों
को जोड़कर एक दिन मान लेते हैं (6 घंटे X 4 = 24 घंटे/एक दिन) अतः चौथे वर्ष साल के दिन 366 गिने जाते हैं। जिस वर्ष में 366 दिन हों और माह फ़रवरी 29 दिन का हो तब उसे लीप ईयर (Leap Year) कहते हैं। यहॉँ Leap का अर्थ है छलाँग अर्थात समय का अतिरिक्त छलक जाना।
भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय मोरारजी भाई देसाई
का जन्म दिवस चर्चित रहा क्योंकि वे 29 फ़रवरी 1896 को जन्मे थे और 99 वर्ष पूर्ण करते हुए 10 अप्रैल 1995 को उनका निधन हुआ। अगर वे अगले वर्ष (29 फ़रवरी 1996) तक ज़िंदा रहते तो वे अपने जीवन के सौ वर्ष पूर्ण कर लेते और
अपना 25 वां जन्म दिवस मना लेते।
बहरहाल अब आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
वो दुनिया नहीं जो हमें
तोहफ़े में मिली है,
ईश्वर ने दी है।
वो दुनिया जिसे
हमने मनमानी कर के
बिगाङा है ख़ुद,
और कोसते रहते हैं
हालात को दिन-रात।
मरहम चले लगाने तो गुनहगार हो गए हम
तेरे यादों के पन्नों में ख़ाकसार हो गए हम ।।
जब तक कलम से भाओं की बरसात नही होती
ऐ जाने ज़िगर हमारी दिन और रात नही होती।।
अक्सर फेंकता रहता है
इंद्रधनुषी फंदे, दिन
और रात के मध्य
घूमता रहता
है सपनों
का
बायस्कोप,