।।उषा स्वस्ति।।
'इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल
कोहरे डूबी दिशाएं
कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिल
किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी
...क्योंकि सपना है अभी भी!'
धर्मवीर भारती
विचारों के संचार का माध्यम रचनात्मक रूपी शब्द और उनमें छुपी हुई भावनाओ की अभिव्यक्ति झगडा ....✍️
तीर ,कटार ,बरछी ,भाला
सभी आपस में झगड रहे थे
हम एक वार में किसी का भी
कर सकते हैं काम -तमा..
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दस सैंतालीस पर
दरवाज़ा खटखटाता है,
मेरा एक ख़्वाब।
दरवाज़ा ना खोलो
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बूंद ही बनती है बर्फ
धरती तक आते-आते
आजकल हर ओर
जमी है बर्फ...!!
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उसने पहली मुलाकात में ही
कह दिया
मुझे मनुष्य के व्यक्तित्व
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जीवन की ऊबड़ खाबड़ पगडंडियों पर
कभी धूप छांव कभी कंटकों पर चल पड़ी
आंसू और मुस्कुराहटों सेउलझ
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कोई रेस तो है सामने !!!
किसके साथ ?
क्यों ?
कब तक ? - पता नहीं !
पर सरपट दौड़ की तेज़,
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंअभार
सादर वंदे
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सादर
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें इस एक शानदार मंच पर पढ़वाने का धन्यवाद पम्मी जी, आपकी मेहनत से हमें इन नायाब रचनाओं से रूबरू होने का मौका मिलता है...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकई विचार बिन्दुओं का सुन्दर संकलन करने के लिए धन्यवाद, पम्मी जी.
जवाब देंहटाएंएक बूँद हमारी भी जोड़ने के लिए हार्दिक आभार. नमस्ते.