शीर्षक पंक्ति:+आदरणीया डॉ. (सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-
1.
“तब क्या अलग बात नहीं थी जब आपने फ्लैट खरीदा
था। ख़रीदने के पहले कम से कम दस फ्लैट को जाँच-परखकर, मोल-भाव हुआ होगा। नहीं-नहीं पहले तो योजना
बनी होगी;
उसके पहले भी रक़म जमा की गयी होगी। किसी एक
पड़ाव पर मेरे कानों तक बात पहुँची होती।” जेठानी ने कहा।
“लगभग बीस-पच्चीस साल पुरानी बातों का क्या
बदला लेना चाह रही हो?”
जेठानी के पति ने पूछा।
2.
उस रोज!
किधर से, बह आई इक घटा!
बदली थी, कैसी छटा!
छलकी थी बूंदे,
सागर के, प्यासे तट पे!
3.
कविता | प्रतीक्षा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
मैं जा पहुंची
उस दीवार तक
जिस पर चढ़ कर
धूप उतर गई उस पार
4.
पुस्तक-चर्चा
पुस्तक परिचय : "मुरारी की
चौपाल" (छंदमुक्त कविता-संग्रह)
अक्सर ऐसी हुआ करती थीं चौपालें/जहाँ बैठते
थे लोग हर उम्र के/ फ़ासले मिटाकर/रात्रि के प्रथम पहर में/बनाए जाते थे सामाजिक
क़ाइदे-क़ानून/साझा होते थे सुख-दुख/ ढूँढा जाता था समाधान/हर मुश्किल का/मैंने भी
देखी थी एक ऐसी ही चौपाल बचपन में।
इन पंक्तियों में हमारी संस्कृति और ग्रामीण
परंपरा की वाहक चौपालों के लुप्त होने का दर्द देखा जा सकता है।मुरारी की चौपाल
कविता बताती है कि आधुनिक विकास और प्रगति की अंधी दौड़ में हम क्या-क्या खो चुके
हैं।
5.
मुक्तक में सामान्यतःचार पंक्तियाँ होती है।चारों पंक्तियों में मात्रा भार
समान होता है।मुक्तक में लय और सुविधानुसार मात्रा निर्धारित की जा सकती है।इसकी
चारों पंक्तियां अपने आप में भाव को अभिव्यक्त करने में सक्षम होती हैं। अर्थात
मुक्तक चार पंक्तियों में भाव को अभिव्यक्त करने में सक्षम।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार..
बहुत सुंदर चयन,बधाई।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सादर
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