शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. सुशील कुमार जोशी सर की रचना से।
सादर अभिवादन।
शनिवारीय अंक में
पढ़िए आज की चुनिंदा रचनाएँ-
‘उलूक’ अच्छा है रात के अँधेरे में देखना दिन
में रोशनी को पीटने से
खर्च किये गए रुपिये पैसे
कर गए पार
पवनसुत
सागर
लेकर राम
का नाम ।
कभी सूनी
दीवारों को देखती
यादों के चिराग जला कुछ ढूढती
नज़र आते मकड़ी के जाले
छिपकली के अंडे टूटी सी खटिया पड़ी।।
तुम सोचती हो कि
बोल-बोल कर
अपनी नाव से
शब्दों को उलीच
बाहर फेंक दोगी
खाली कर दोगी मन
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आभार रवीन्द्र जी | 'राम नाम' लिंक काम नहीं कर रहा है |
जवाब देंहटाएंसचेत करने के लिए धन्यवाद, जोशी जी. हमने जब लिंक पर क्लिक किया तो हमारे ब्लॉग का ड्राफ्ट पोस्ट्स पेज खुल रहा है. इस पेज का एक्सेस तो सिर्फ़ blogger के पास होना चाहिए . इस त्रुटी को सुधारने में मार्गदर्शन कीजिए कृपया. सभी ब्लोग्गेर्स से निवेदन है.
हटाएंसही कहा आपने, मेरे साथ भी यही हो रहा है नुपुर जी 🙏
हटाएंइस त्रुटी को पांच लिंकों के आनंद के द्वारा ही सही किया जा सकता है | आपके चिट्ठे का लिंक सही नहीं दिया गया है |
हटाएंत्रुटि सुधार में देरी के लिए क्षमा !
हटाएंतकनीकी कारणों से आदरणीया नूपुरम जी की रचना का लिंक यथोचित संयोजित नहीं हो सका था जिसे सर्वप्रथम आदरणीय जोशी सर ने इंगित किया तत्पश्चात आदरणीया नूपुरम जी ने ध्यान आकृष्ट किया। अति व्यस्तता के चलते यह त्रुटि देर तक पाठकों को त्रस्त करती रही साथ ही संबंधित ब्लॉगर को भी।
अब यह त्रुटि सुधार संपन्न हो गया है। आप सभी को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए चर्चाकार को सतर्क रहना होगा।
पुनः क्षमा के लिए आग्रह!
वाह!सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति सभी लिंक्स बेहद उत्कृष्ट एवं पठनीय...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.रवीन्द्र जी ।
🙏🙏
त्रुटि सुधार में देरी के लिए क्षमा !
जवाब देंहटाएंतकनीकी कारणों से आदरणीया नूपुरम जी की रचना का लिंक यथोचित संयोजित नहीं हो सका था जिसे सर्वप्रथम आदरणीय जोशी सर ने इंगित किया तत्पश्चात आदरणीया नूपुरम जी ने ध्यान आकृष्ट किया। अति व्यस्तता के चलते यह त्रुटि देर तक पाठकों को त्रस्त करती रही साथ ही संबंधित ब्लॉगर को भी।
अब यह त्रुटि सुधार संपन्न हो गया है। आप सभी को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए चर्चाकार को सतर्क रहना होगा।
पुनः क्षमा के लिए आग्रह!